इंटेलिजेंस ब्यूरो और उदयपुर की पुलिस सोती रही, पाकिस्तान के इशारे पर कार्य कर रहे थे आतंकवादी
आतंकवाद उतपन्न करने के लिए उदयपुर में कन्हैयालाल टेलर की हत्या के प्रति जहां केंद्रीय गुप्तचर एजेंसी इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) पूरी तरह असफल रही है, वही उदयपुर का इंटेलिजेंस पुलिस की भी नाकामयाबी उभरकर आ रही है । उदयपुर में पिछले कई साल से गहरी साजिश रची जा रही थी, लेकिन दोनों एजेंसी के अधिकारी आराम से सोते रहे । सवाल यह उतपन्न होता है कि आईबी जैसी एजेंसी का औचित्य क्या है ?
जयपुर में आईबी का झालाना में बहुत बड़ा कार्यालय है । बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी विक्रम ठाकुर यहां संयुक्त निदेशक पद पर तैनात है । आईबी की पूरी सूचना अखबारों पर आधारित होती है । सूचना तंत्र पूर्णतया जर्जर और मृतप्रायः है । तनख्वाह लेना और सिक्रेट फंड का पैसा हजम करना ही इस एजेंसी का काम है । राजस्थान में दो सौ से अधिक कर्मचारी और अधिकारी कार्यरत है ।
आईबी का मुख्य कार्य देश मे छिपे आतंकवादी और विदेशो के लिए जासूसी करने वालो की निगरानी कर गृह मंत्रालय व स्थानीय पुलिस को रिपोर्ट देना । लेकिन यह महकमा बुनियादी कार्यो से परे हटकर मजे लूट रहा है । केंद्र सरकार को विक्रम ठाकुर के अलावा उदयपुर में कार्यरत अधिकारियों के खिलाफ इस गंभीर लापरवाही के लिए अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी चाहिए ।
इसी तरह लोकल इंटेलिजेंस भी चादर तानकर सोती रही । पुलिस महकमें को इंटेलिजेंस से कोई मतलब नही है । मतलब है तो उगाही से । उदयपुर के थाना प्रभारी स्तर के हर अधिकारी को बदलने की जरूरत है । राजस्थान के हर जिले में इंटेलिजेंस के अधिकारी और कर्मचारी तैनात है । लेकिन ये केवल दिखावे के लिए है । अखबारी खबर के आधार पर रिपोर्ट कर अपनी ड्यूटी निभा रहे है ।
उदयपुर में हुई कन्हैयालाल टेलर का पहला मामला है जिसकी जांच केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधीन कार्यरत राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) द्वारा की जा रही है । संभवतया इससे पहले राजस्थान के किसी प्रकरण की जांच एनआईए की ओर से नही की गई । मामले की गंभीरता को देखते हुए आईजी नितिन कुमार के नेतृत्व में गृह मंत्रालय ने उसी दिन विशेष टीम उदयपुर रवाना करदी थी । नितिन कुमार जम्मू कश्मीर कैडर के बहुत ही काबिल अफसर है । वही इस केस की पड़ताल कर रहे है ।
एनआईए का गठन 2008 में आतंकवाद और नक्सलवाद की रोकथाम तथा उनकी फंडिंग की पड़ताल के लिए की गई थी । यह जांच एजेंसी गृह मंत्रालय के अधीन कार्य करती है । इसके संस्थापक महानिदेशक राधा विनोद राजू थे । वर्तमान में दिनकर गुप्ता इस जांच एजेंसी के महानिदेशक है । गुप्ता राजस्थान के सेवानिवृत्त आईएएस मधुकर गुप्ता के भाई है और पंजाब में डीजी थे । उनकी हाल ही में कुलदीप सिंह के स्थान पर फुल टाइम नियुक्ति हुई है । वाइसी मोदी की सेवानिवृति के बाद सिंह एनआईए का अतिरिक्त कार्य देख रहे थे ।
आम लोगो को सीबीआई और एनआईए के बीच गफलत हो जाती है । देखा जाए तो दोनों जांच (इन्वेस्टिगेशन) एजेंसी है । सीबीआई की स्थापना मुख्य रूप से भ्रस्टाचार की रोकथाम के लिए की गई थी । लेकिन यह महत्वपूर्ण प्रकरण जैसे बोफोर्स आदि की भी जांच करती है । एनआईए जहां गृह मंत्रालय के अधीन है, वहीं सीबीआई केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय (डीओपीटी) के अधीन कार्यरत है । केंद्र की एक और एजेंसी है - आईबी और रॉ । इन दोनो का कार्य राजनीतिक, घुसपैठ, नक्सलवाद, साम्प्रदायिकता, श्रमिक तथा हर प्रकार की गुप्त सूचना एकत्रित करना है ।
सीबीआई का दायरा सीमित है जबकि एनआईए असीमित और ज्यादा शक्तियों के अंतर्गत कार्य करती है । एनआईए को किसी भी राज्य में जांच करने का पूरा अधिकार है । लेकिन सीबीआई के साथ ऐसा नही है । राजस्थान की गहलोत सरकार ने तो सीबीआई के पूरी तरह पर कतर दिए है । बिना राज्य सरकार की अधीन राज्य में कार्यरत केंद्रीय कर्मचारी को वह ट्रेप भी नही कर सकती है ।
जयपुर में भी अब एनआईए का दफ्तर खुलने की अधिसूचना तो जारी हो चुकी है । फिलहाल दफ्तर दिल्ली से संचालित हो रहा है । एनआईए को राष्ट्रद्रोह, टेलीफोन टेपिंग के अलावा सरकार का तख्ता पलट षड्यंत्र की जांच का भी अधिकार है । जिस तरह सीबीआई और ईडी का दखल देश मे बढ़ता जा रहा है, उसी तरह एनआईए भी अपना करिश्मा दिखाएगी ।