Anudeshak News: अनुदेशकों ने मनाया श्रमिक दिवस, बोलें! हमारी हालत मजदूरों से भी बदतर
प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह कहते हैं कि,एक मजदूर महीने में 12000 से 15000 कमा लेता है, जबकि हमें केवल 9000 की मजदूरी मिलती है।
1 मई को श्रमिक दिवस मनाया जाता है। यह दिन, रात-दिन मेहनत मजदूरी करके अपना पेट पालने वाले श्रमिकों के सम्मान में मनाया जाता है। इस दिन देश के श्रमिकों के भलाई के लिए सरकार घोषणाएं करती है,जिससे की उनका जीवन बेहतर बन सके। लेकिन देश में एक ऐसा तबका भी है जो इस दिन भी अपने आपको असहाय महसूस करता है, उपेक्षित महसूस करता है, क्योंकि सरकार उनके भलाई के लिए अभी तक कुछ भी नहीं की है। जी हां, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के सरकारी जूनियर हाईस्कूल में पढ़ाने वाले अनुदेशकों की जो मात्र 9000 के अल्प मानदेय पर नौकरी कर रहे हैं। देश की नींव मजबूत करने वाले, बच्चों का भाग्य बनाने वाले, अनुदेशकों की खुद की नींव ही इतनी कमजोर है की वह तिल- तिल घुटकर जी रहे हैं। हालात यह है कि अनुदेशकों मानदेय एक मजदूर की मजदूरी से भी कम है। एक मजदूर जहां न्यूनतम 400 से 500 तक एक दिन में कमा लेता है तो वहीं अनुदेशक के एक दिन का मानदेय केवल 300 रुपए है।ऐसी स्थिति में अनुदेशकों की हालत एक मजदूर से भी बदतर है।
हमारी हालत एक मजदूर से भी बदतर: विक्रम सिंह
इस अवसर पर प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह कहते हैं कि, "हमारी हालत एक मजदूर से भी खराब है, क्योंकि एक मजदूर महीने में 12000 से 15000 कमा लेता है, जबकि हमें केवल 9000 की मजदूरी मिलती है। ऐसे में अगर सही रूप से हमें मजदूर कहा जाए तो वह गलत नहीं होगा। लेकिन हद तो तब हो जाती है जब आज के दिन भी हम अनुदेशक रूपी श्रमिकों को सरकार कोई भी तोहफा नहीं देती। हमारा केवल शोषण करती है।"