UP Election: यूपी विधानसभा चुनाव को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने किया ऐलान, इतनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी पार्टी
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी तैयारी कर रही है.
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दलों ने कमर कस ली है. इस चुनाव के लिए हैदराबाद के सांसद असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी तैयारी कर रही है. इस बीच एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी आने वाले यूपी विधानसभा चुनाव में 100 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी.
ओवैसी ने कहा "हमारी पार्टी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है. हम 1-2 और पार्टियों के साथ बातचीत कर रहे हैं और समय बताएगा कि हमारा गठबंधन होता है या नहीं, लेकिन हम चुनाव जीतने की स्थिति में हैं."
हालांकि ओवैसी ने 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान बहुत पहले कर दिया था. इस दौरान वे ओम प्रकाश राजभर की पार्टी सुभासपा से गठबंधन करने के लिए बेताब भी दिखे थे और भागीदारी संकल्प मोर्चा में शामिल होने वाले थे, लेकिन बाद में ओम प्रकाश राजभर ने पलटी मार दी और अखिलेश यादव के साथ जा मिले. ऐसे में ओवैसी अब गठबंधन के लिए दूसरों दलों की तरफ देख रहे हैं.
ओवैसी के ऐलान से कई पार्टियों की हो सकती है नींद खराब
उन्होंने कई बार सपा से भी गठबंधन करने की इच्छा जाहिर की है लेकिन सपा या अखिलेश यादव की तरफ से कुछ खास जवाब नहीं मिला है. ऐसे में ओवैसी का एक बार फिर से 100 सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान करके कई पार्टियों की नींद खराब कर सकते हैं. खासकर वे सपा, बसपा और कांग्रेस के लिए यह बड़ी चुनौती बन सकते हैं क्योंकि एआईएमआईएम के इतनी ज्यादा सीटों पर मैदान में उतरने से मुस्लिम वोटों पर बड़ा असर पड़ सकता है.
2017 में 38 सीटों में से 37 पर हुई थी जमानत जब्त
इन सब बातों से बेपरवाह ओवैसी आए दिन यूपी में दिख रहे हैं और पिछले कुछ महीनों में उन्होंने तोबड़तोड़ रैली की है. जहां उन्होंने मुस्लिम समाज से जुड़े मुद्दों को उठाया है, साथ ही जीत का दावा करते भी नज़र आएं हैं. आपको बता दें कि एआईएमआईएम ने 2017 में यूपी विधानसभा का चुनाव 38 सीटों पर लड़ा था. लेकिन 37 सीटों पर उसकी जमानत जब्त हो गई थी. एआईएमआईएम को 2 लाख 4 हजार 142 वोट मिले थे. एआईएमआईएम ने जिन सीटों पर चुनाव लड़ा था, वो मुख्य तौर पर पश्चिम उत्तर प्रदेश की मुस्लिम बहुल सीटें थीं. लेकिन मतदाताओं ने उन्हें बहुत तरजीह नहीं दी.