स्वप्निल द्विवेदी
बहराइच में नवागत जिलाधिकारी डॉ दिनेश चंद्र सिंह राजस्व व सिंचाई विभाग के अफसरों के साथ घाघरा नदी के किनारे बने कई किलोमीटर लंबे बेलहा बहरौली तटबन्ध का निरीक्षण करने निकले थे इसी दौरान उनका काफिला तटबन्ध किनारे एक झोपड़ी पर अचानक रुक गया.
पहले तो किसी को ये समझ नही आया कि आखिर डीएम साहब यहां रुके क्यों हैं लेकिन थोड़ी ही देर में तश्वीर साफ हो गई जब डी एम गाड़ी से उतर कर झोपड़ी में बैठी महिला से मिलने पहुंचे और उससे उसकी कुशल क्षेम पूंछने के साथ कढ़ाई में बन रहे खोये के बारे में जानकारी ली एक गरीब महिला ने अपनी झोपड़ी में पहली बार जब किसी बड़े अफ़सर को सामने देखा तो उसे भी आश्चर्य हुआ।
वहां से निकलते समय जिलाधिकारी की दरियादिली का एक और रूप देखने को मिला जब उन्होंने उस महिला का खोया बिकवाने के लिए अपने मातहत अफसरों को खोया खरीदने की सलाह दी और स्वंय भी अपनी जेब की पर्स से दो सौ रुपये महिला को देकर बोले उन्हें भी एक किलो खोया चाहिए।
महिला ने भी बिना देर किए खोया रखने के लिए वहां बैठे एक अन्य व्यक्ति से प्लास्टिक की थैली लाने को कहा तो डी एम ने खोया बेंच रही महिला को प्रतिबंधित प्लास्टिक थैला उपयोग न करने की सलाह दी और खरीदे गए खोये को पेड़ के पत्ते व अखबार में रखकर देने को कहा।
जिलाधिकारी दिनेश चंद्र के इस काम का नतीजा भी कुछ ही देर में दिखाई पड़ा जब झोपड़ी में बना खोया देखते देखते बिक गया।