गांव की लड़की प्रियंका यादव ने बढ़ाया बाराबंकी का मान, लगातार तीसरी बार पीसीएस परीक्षा पास कर बनी डिप्टी एसपी

Update: 2022-10-22 16:17 GMT

बाराबंकी।'कौन कहता है आसमान में सुराख नहीं हो सकता, एक पत्थर तो तबियत से उछालो यारों' इन्ही पंक्तियों को चरितार्थ करते हुए गांव की एक बेटी ने अपने दृढ़ आत्मविश्वास, कड़े परिश्रम का और सतत लगन के दम पर लगातार तीसरी बार पीसीएस की परीक्षा पास कर अपने गांव व जिले का नाम रोशन किया है।

हम बात कर रहे है मसौली क्षेत्र के ग्राम दहेजिया मजरे ज्योरी निवासी प्रियंका यादव की। प्रियंका पहले प्रयास में वन क्षेत्रधिकारी बनी फिर जिला समाज कल्याण अधिकारी और वर्ष 2021 की पीसीएस परीक्षा पास कर अब डिप्टी एसपी बन गयी है। प्रियंका यादव के पिता रामनरेश यादव ने दो दशक पहले अपने गांव में ही अपने निजी खेत में छप्पर डाल कर नेता सुभाष चंद्र बोस स्कूल की जब शुरआत की थी तो किसी को यह नही पता था कि छप्पर के नीचे पढ़ने वाली गांव की बेटी एक दिन पिता के सपनों को साकार कर पीसीएस अधिकारी बनेगी।

जूनियर के बाद हाई स्कूल आइडियल इन्टर कालेज मोहम्मदपुर बाहु सहादतगंज व इंटरमीडिएट युग निर्माण इन्टर कालेज हरख, बीएसी मुंशी रघुनन्दन प्रसाद पटेल डिग्री कालेज बाराबंकी तथा एमए सहयोगी आरबी परास्नातक महाविद्यालय खुशहालपुर से करने के बाद पीसीएस ( क्षेत्रीय वन अधिकारी ) की तैयारी में समाज कल्याण विभाग उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित आदर्श पूर्व परीक्षा प्रशिक्षण केंद्र अलीगंज लखनऊ में उपनिदेशक सुनीता यादव के मार्गदर्शन में 5 महीने की कोचिंग की। जिनके ही आशीर्वाद का नतीजा रहा कि पहले ही प्रयास में पीसीएस परीक्षा पास कर प्रियंका वन क्षेत्रधिकारी बनी।

लेकिन प्रियंका यही नही रुकी बल्कि निरन्तर प्रयास करते हुए दूसरी बार पीसीएस परीक्षा पास कर जिला समाज कल्याण अधिकारी बन गयी और वर्ष 2021 में तीसरी बार पीसीएस परीक्षा उतीर्ण कर डिप्टी एसपी बन कर क्षेत्र का गौरव बढ़ाया और यह साबित कर दिया कि शहरों के बड़े बड़े महंगे स्कूलों के पढ़ने वाले बच्चे ही अधिकारी नही बन सकते बल्कि गांव के छप्पर नुमा स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे भी अधिकारी बन सकते है।आईएएस बनने का है प्रियंका का सपना

पीसीएस की परीक्षा पास कर जिले का नाम रोशन करने वाली प्रियंका यादव ने बताया, 'मैं मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हूं। मेरे पिता रामनरेश यादव निजी स्कूल के संचालक एव शिक्षक हैं और मेरी मां रामरती यादव ग्रहणी हैं। मेरे दो बड़े भाई हैं और घर की मैं सबसे छोटी बेटी हूं। मेरा परिवार पूरी तरह से गांव से जुड़ा हुआ है। जिस माहौल से मैं आती हूं वहां लड़कियों का घर से निकलना भी मुश्किल हो जाता है, लेकिन मेरे माता-पिता ने मुझे काफी सपोर्ट किया, इसलिए अपनी सफलता का श्रेय उन्हें देना चाहती हूं क्योंकि चुनौतियों के बीच उन्होंने मुझे आगे बढ़ने का मौका दिया। प्रियंका का कहना है कि मुझे अभी भविष्य में काफी कुछ करना है, मेरा सपना आईएएस बनने का है। उन्होंने कहा कि मेरी बचपन से इच्छा थी कि कल तक लोग मुझे मेरे पापा के नाम से जानते थे लेकिन आने वाले समय में मेरे नाम से मेरे पापा को जाना जाय।

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