चित्रकूट में BJP के खराब प्रदर्शन के लिए कौन जिम्मेदार ?

लोकसभा चुनावों के परिणाम में चित्रकूट की दोनो विधानसभाओं (कर्वी और मानिकपुर) में भाजपा पार्टी तीसरे नंबर पर रही ।

Update: 2024-06-06 03:32 GMT

विश्लेषण - अनुज हनुमंत, पत्रकार

लोकसभा चुनावों के परिणाम में चित्रकूट की दोनो विधानसभाओं (कर्वी और मानिकपुर) में भाजपा पार्टी तीसरे नंबर पर रही । यह जनमत काफी चिंताजनक है क्योंकि कर्वी में तो पहले से सीट नही है और मानिकपुर में गठबंधन वाले काबिज हैं। शीर्ष नेतृत्व को यह सोचने की आवश्यकता है की चूंक कहां हुई ? संगठन के अंदर क्या पद की लोलुपता और चापलूसों के बनाए फर्जी समीकरणों ने चित्रकूट में पार्टी को तीसरे नंबर पर लाकर खड़ा कर दिया ? बांदा विधानसभा की तुलना में कर्वी और मानिकपुर में सबसे अधिक संख्या में भाजपा नेताओं ने अपने बूथ हारे हैं जो की ऐसे सभी नेताओं की स्थानीय पकड़ को दर्शाता है ।

कुछ नेता ऐसे भी हैं जिनके बयानों ने पार्टी को लगातार कमजोर किया । बीजेपी की इस हालत के जिम्मेदार दूसरी पार्टियों से आए नेता भी हैं और पार्टी के अंदर मठाधीशी वाला ट्रेड स्थापित करने वाले नेता भी ! चित्रकूट छोटा सा जिला है लेकिन यहां भाजपा संगठन में इतने गुट हैं की गिनती करते करते थक जाइएगा , फिर चुनाव के वक्त गुटबाजी कैसे रुकेगी ! कुछेक पद में आसीन ऐसे भी चिल्लर टाइप नेता हैं पार्टी के अंदर और बाहर हैं जो अपना बूथ नही जीत सकते , जिनके पास कोई विजन नही है ,कार्यकर्ताओं से बात करने की तमीज नही और न ही अपनी बिरादरी का 100 वोट है ! इसके बाद भी जबरन ज्ञान देते रहेंगे और कुर्ता टाइट रखेंगे ।

मुझे लग रहा है की ऐसे सभी नेता आखिरी पंक्ति में कार्य कर रहे युवाओं का हक खा रहे हैं और संगठन को भी अंदर से खोखला कर रहे हैं । एक समस्या सबसे बड़ी यह भी है की सबसे अधिक मूल रूप में सिर्फ कार्यकर्ता और कुछेक पदाधिकारी ही बचे हैं पार्टी में , बाकी सब दूसरी पार्टियों से आकर मलाई छान रहे हैं । इस चुनाव में अधिकांश बूथ अध्यक्ष , सेक्टर अध्यक्ष और मंडल अध्यक्ष तक नाराज थे ,सबसे बड़ा सवाल है की आखिर इन्हे अपनी ही पार्टी से क्यों नाराज होना पड़ा ? प्रत्याशी का सही चयन न करना क्या पार्टी को भारी पड़ा ? आखिरी पंक्ति में मेहनत कर रहे कार्यकर्ता की कौन सुनेगा ? सत्ता में रहने के कारण क्या भाजपा संगठन के बड़े पदाधिकारी और जिले के अधिकांश पदाधिकारी कुछ ज्यादा ही सुखभोगी हो गए हैं और कार्यकर्ता के दुख दर्द से उन्हें कोई सरोकार नहीं !

कई ऐसे कार्यकर्ता भी हैं जिनके ऊपर फर्जी मुकदमे लगे और कुछ ऐसे भी हैं जिनके साथ सरकारी मशीनरी ने अन्याय किया । इन दोनों तरह के कार्यकर्ताओं के साथ क्या आज तक पार्टी का कोई पदाधिकारी खड़ा हुआ ? अधिकांश मामलों में उत्तर मिलेगा नही । कुछ ऐसे भी कार्यकर्ता हैं जो गुटबाजी के चक्कर में पिस गए और उनके ऊपर फर्जी मुकदमे लादकर कार्यवाही की गई । मोदी योगी का क्या दोष वो थोड़े ही निचले स्तर पर आकर न्याय अन्याय करेंगे या संगठन चलाएंगे , ये सब कार्य यही के जिम्मेदार करेंगे । यानी हार और खराब प्रदर्शन की जिम्मेदारी स्थानीय स्तर पर भी तय होनी चाहिए !!

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