फर्रूखाबाद की घटना से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण तथ्य आये सामने, 23 करोड़ रूपए मांग रहा था बच्चों को छोड़ने के एवज में.
फायरिंग में पुलिस वालों और नागरिक के घायल होने की घटना के दौरान इस दौरान पल पल की जानकारी लेते रहे और अधिकारियों को गाइड करते रहे.
हर बच्चे के एवज में एक करोड़ रुपये मांग रहा था सनकी हत्यारा.
एक तरफ थी 23 मासूमों की जिंदगी, तो दूसरी तरफ था सनकी हत्यारा.
सीएम योगी का था सीधा आदेश, हर हाल में बच्चे बचाए जाएं, बिना खरोंच आए.
9 घंटे के बड़े आपरेशन में सनकी हत्यारा हुआ ढेर, बचाए गए सारे मासूम बच्चे.
पूरे देश में हो रही है योगी की यूपी पुलिस की तारीफ, गृहमंत्री अमित शाह ने भी सफल ऑपरेशन के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और यूपी पुलिस को दी बधाई.
अपराध और अपराधियों के खिलाफ योगी की मुहिम ने पेश किया एक और बड़ा उदाहरण.
ना अपराध से कोई समौझात - ना अपराधियों से.
कल शाम घटना की जानकारी मिलते ही सीएम योगी ने तत्काल सारी बैठकें और महत्वपूर्ण कार्यक्रम किए रद्द.
तत्काल बुलाई क्राइसिस मैनेजमेंट टीम की आपात बैठक.
योगी तब तक इस आपरेशन को मानीटर करते रहे जब तक एक एक बच्चा सकुशल अपने घर नहीं पहुंच गया.
सीएम ने साफ शब्दों में कहा नहीं आनी चाहिए एक भी बच्चे को खंरोच, हमारी प्राथमिकता सिर्फ और सिर्फ बच्चों को जल्द से जल्द सुरक्षित छुड़ाने की होनी चाहिए, इसके लिए जो भी जरूरी कार्रवाई करनी पड़े करिए.
घटना के तत्काल बाद सीएम ने कानपुर रेंज के सभी अधिकारियों को मौके पर पहुंचने को कहा, साथ ही एटीएस की एक टुकड़ी घटनास्थल के लिए रवाना कर दी गई.
अपराधी के उग्र होने की खबर मिलते ही सीएम ने बीच मीटिंग से एडीजी एटीएस को भी घटनास्थल पर भेज दिया.
यह एक बेहद खतरनाक आपरेशन था। बच्चों को अपनी बेटी के जन्मदिन पार्टी के बहाने धोखे से बंधक बनाने वाले इस सनकी अपराधी के पास न सिर्फ अवैध असलहे थे बल्कि उसने विस्फोटक भी जमा कर रखा था। इतना ही नहीं धमाके को अंजाम देने की योजना के साथ उसने एलपीजी सिलेंडर भी इकट्ठा कर रखे थे।
घटना की जानकारी तब लगी जब बच्चे अपने घर नहीं पहुंचे तब एक बच्चे की मां पौने चार बजे के करीब अपने बच्चे को ढूंढते हुए अपराधी के घर पर पहुंची। जब उसने दरवाजा खटखटाया तब अंदर से आवाज आई कि तुम्हारे ही नहीं सारे बच्चों को बंधक बना लिया है सबको मार कर घर उड़ा दूंगा।
बदहवास महिला ने इसकी सूचना ग्रामीणों को दी जिसके तुरंत बाद 112 की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस और ग्रामीणों को देखते ही अपराधी फायर करना शुर कर दिया। मौके पर मौजद पुलिस के लोगों ने उसे समझाने बुझाने का प्रयास किया तो वह अजीबोगरीब बातें करता रहा और बीच बीच में फायर भी करता रहा। इसी दौरान जब स्थानीय विधायक पहुंचे और ऊसे सूचना दी गई तो उसने विधायक समझकर ताबड़तोड़ फायर किया। यही नहीं उसने बम भी फेंके। इसमें ग्रामीण अनुपम दूबे, कोतवाल राकेश कुमार, दीवान जयवीर सिंह और सिपाही अनिल कुमार घायल हो गए।
फायरिंग में पुलिस वालों और नागरिक के घायल होने की घटना के दौरान इस दौरान पल पल की जानकारी लेते रहे और अधिकारियों को गाइड करते रहे.
यह एक बेहद कठिन आपरेशन था। क्योंकि नौ महीने की मासूम से लेकर 23 बच्चे एक सनकी अपराधी के बंधक थे। अंदर क्या चल रहा है। यह पता नहीं चल पा रहा था। अंदर से बार बार धमकी आ रही थी। सबको मार डालूंगा घर उडा दूंगा। ऐसे में मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि एक तरफ अपराधी को बातचीत में उलझाकर पुलिस घर में घुसकर बच्चों को सकुशल बाहर निकालने का आपरेशन करे।
इसी रणनीति के तहत बातचीत करते हुए पुलिस ने 9 महीने की एक बच्ची को सुरक्षित रेस्क्यू करा लिया। साथ ही अपराधी को बातचीत में उलझाए रखा।
बातचीच के दौरान अपराधी ने एक बार कहा कि हर बच्चे के हिसाब से एक करोड़ रूपए यानी कुल 23 करोड़ रूपए दे दो, सबको छोड़ दूंगा। उसने ये भी कहा कि पहले भी सजा हो चुकी है। मुझे डर नहीं लगता। सबको मार कर भाग जाऊंगा।
पुलिस उसे उलझाने के लिए समझाती रही कि थोड़ा वक्त दो, पर इसी बीच अचानक उसका रवैया बदला। उसने कहा मुझे कोई बातचीत नहीं करनी, मैं घर को उड़ाने जा रहा हूं। इस बीच कुछ ग्रामीणों ने देखा कि वह घर के अंदर बम फिट करना शुरू कर दिया है और ज्वलनशील पदार्थ फैलाना शुरू कर दिया। अंदर से एक धमाके की आवाज भी आई जिसका इस्तेमाल उसने एक दरवाजा के पास किया था।
ऐसे में पुलिस ने ग्रामीणों की मदद से मकान के पिछले हिस्से का दरवाजा तोड़ा और घर के अंदर घुस गए। डरे सहमे बच्चे घर के अंदर घुप्प अंधेरे में तहखाने के एक कोने में कैद थे। पुलिस को घुसते देख अपराधी ने पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने जवाबी कार्रवाई में उसे ढेर कर बच्चों को बचा लिया।