देवबंद दारुल उलूम का फतवा- हालात और मजबूरी के तहत मस्जिदों में सैनिटाइजर का इस्तेमाल करना सही

दारुल उलूम देवबंद द्वारा जारी फतवे में यह भी कहा गया है कि कपड़ों या बदन पर सैनिटाइजर के छींटे पड़ जाने से कपड़े या बदन नापाक नहीं होता है.

Update: 2020-06-12 03:10 GMT

विश्व विख्यात दीनी तालीम के अज़ीम मरकज दारुल उलूम देवबंद ने देश के मौजूदा हालात और COVID-19 से बचाव के लिए सैनिटाइजर के इस्तेमाल को सही करार दिया है. 

दारूल उलूम द्वारा जारी फतवे में बताया गया कि देश में इस समय Corona महामारी फैली हुई है और ऐसे में मस्जिदों के अंदर सैनिटाइजर का छिड़काव, हाथों पर सैनिटाइजर लगा होने के बावजूद वजू कर लेना, मस्जिदों के फर्श को सैनिटाइज करना मजबूरी के तहत दुरुस्त है. क्योंकि इस समय सबसे पहले COVID-19 महामारी से बचाव करना है.

बता दें कि सैनिटाइजर में अल्कोहल होता और बरेली से जारी फतवे में सैनिटाइज के प्रयोग को नाजायज करार दिया गया था. अब दारुल उलूम ने हालात और मजबूरी के मद्देनजर सैनिटाइजर के प्रयोग को सही ठहराया है.

जबकि सामान्य हालात में अल्कोहल से बनी चीजों का छिड़काव मस्जिदों में कराना सही नहीं है. दारुल उलूम द्वारा जारी फतवे में यह भी कहा गया कि कपड़ों या बदन पर सैनिटाइजर के छींटे पड़ जाने से कपड़े या बदन नापाक नहीं होता है.

दारुल उलूम ने फैसला लिया है कि कोरोनावायरस के चलते इस साल कोई भी नया एडमिशन किसी भी नए छात्र तलबा का नहीं करेगा, जो पहले से दाखिले हैं उन्हीं को आगे प्रमोट किया जाएगा. हर साल बड़ी संख्या में कई राज्यों से छात्र देवबंद में पढ़ाई के लिए आते थे.

 

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