Gorakhpur News: एक थप्पड़ के बदले कर दी थी हत्या, बन गया था यूपी का मोस्ट वांटेड अपराधी, एनकाउंटर में मारा गया विनोद उपाध्याय

माफिया विनोद उपाध्याय की तलाश एसटीएफ को बहुत दिनों से थी। बसपा के टिकट पर विधानसभा का चुनाव भी लड़ चुका था विनोद

Update: 2024-01-05 11:15 GMT
Gorakhpur News: एक थप्पड़ के बदले कर दी थी हत्या, बन गया था यूपी का मोस्ट वांटेड अपराधी, एनकाउंटर में मारा गया विनोद उपाध्याय
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Gorakhpur : UPSTF ने गोरखपुर के कुख्यात माफिया विनोद उपाध्याय को मुठभेड़ में ढेर कर दिया है। बताया जा रहा है कि गुरुवार की रात सुल्तानपुर में एसटीफ और माफिया के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई, जिसमें पुलिस की जवाबी कार्रवाई में माफिया ढेर हो गया।माफिया विनोद उपाध्याय का एनकाउंटर यूपी एसटीएफ की टीम ने गुरुवार रात को कर दिया। सुबह घायल अवस्था में उसे अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां टीम ने मृत बता दिया। विनोद उपाध्याय एक लाख रुपये का इनामी था। विभिन्न जिलों में कुल 35 मुकदमे दर्ज थे। गोरखपुर के मूल निवासी और एसटीएफ डीएसपी दीपक सिंह की टीम के साथ ये मुठभेड़ सुल्तानपुर में हुई थी। बताया जा रहा कि भागते वक्त उसके पास एक पिस्टल और स्टेनगन भी थी, जिससे वो हमलाकर भागने की फिराक में था। इसी दौरान एसटीएफ की गोली से घायल हो गया।

नेपाल के अपराधी ने मारा था थप्पड़

बताया जा रहा है कि बृहस्पतिवार की रात सुल्तानपुर में एसटीफ और माफिया के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई, जिसमें पुलिस की जवाबी कार्रवाई में माफिया ढेर हो गया। पुलिस को उसकी जमीन कब्जाने, हत्या और हत्या के प्रयास समेत कई मामलों में तलाश थी दरअसल, 2004 में गोरखपुर जेल में बंद रहने के दौरान नेपाल के अपराधी जीत नारायण मिश्र ने विनोद को एक थप्पड़ मारा था। जिसके बाद 7 अगस्त 2005 को संतकबीरनगर में विनोद ने जीत नारायण की हत्या कर थप्पड़ का बदला लिया था। इस घटनाक्रम में जीत नारायण और उसका बहनोई गोरेलाल भी मारा गया था।

2007 पीडब्ल्यूडी टेंडर को लेकर हुआ था चर्चित

साल 2007 की बात है। करवा चौथ त्योहार के दिन एक टेंडर को लेकर पीडब्ल्यूडी पर माफिया विनोद उपाध्याय और अजीत शाही के बीच विवाद हो गया। विवाद गैंगवार में बदल गया। दूसरी तरफ से तब विनोद उपाध्याय गैंग पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी।इसमें रिपुंजय राय और सत्येंद्र की मौत हो गई थी। हमले का आरोप लालबहादुर यादव गैंग पर लगा था। इस मामले में अजीत शाही, संजय यादव, इंद्रकेश पांडेय, संजीव सिंह समेत छह लोग जेल गए थे।

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