Gorakhpur News: गीताप्रेस के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का हुआ निधन, मुख्यमंत्री सहित कई गणमान्य लोगों ने जताया शोक

लगभग 40 वर्षों से गीताप्रेस से जुड़े थे बैजनाथ अग्रवाल

Update: 2023-10-28 08:30 GMT

Gorakhpur : गीता प्रेस गोरखपुर के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल का 27 अक्टूबर की रात ढाई बजे निधन हो गया। वे गीता प्रेस से साल 1950 से जुड़े थे. उनके साथ-साथ उनका पूरा परिवार गीता प्रेस से जुड़ा हुआ है। उनका निधन 27-28 अक्टूबर की रात हुआ. जानकारी के मुताबिक, उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी. रात को खाना खाने के बाद वे सोने चले गए थे. उनके निधन पर मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने शोक जताया है।

मुख्यमंत्री ने जताया शोक

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गीता प्रेस, गोरखपुर के ट्रस्टी बैजनाथ अग्रवाल के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा है कि विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ जी का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा। वह ईश्वर के अनन्य भक्त थे। मुख्यमंत्री ने कहा है कि बैजनाथ जी के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है। मुख्यमंत्री ने शोकाकुल परिजनों से बातकर उन्हें ढांढस बंधाते हुए हुतात्मा की सद्गति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की है।

शोक संदेश में मुख्यमंत्री योगी ने कहा है कि विगत 40 वर्षों से गीता प्रेस के ट्रस्टी के रूप में बैजनाथ का जीवन सामाजिक जागरूकता और मानव कल्याण के लिए समर्पित रहा. वह ईश्वर के अनन्य भक्त थे. उन्होंने कहा कि बैजनाथ के निधन से समाज को अपूरणीय क्षति हुई है।

हाल ही में गीता प्रेस ने शताब्दी वर्ष मनाया था

  उन्होंने शोकाकुल परिजनों से बातकर उन्हें ढांढस बंधाया। गौरतलब है कि हाल ही में गीता प्रेस गोरखपुर ने अपना शताब्दी वर्ष मनाया था. भारत सरकार ने गीता प्रेस गोरखपुर का चयन साल 2021 के गांधी शांति पुरस्‍कार के लिए किया था. हालांकि, गीता प्रेस ट्रस्ट ने सम्मान तो स्वीकार कर लिया, लेकिन पुरस्‍कार के रूप में मिलने वाली एक करोड़ रुपये की राशि लेने से इंकार कर दिया था. उस वक्त गीता प्रेस के ट्रस्टी कृष्ण कुमार खेमका ने मीडिया से बातचीत में कहा था कि 100 वर्ष की परंपरा का पालन हो रहा है। हमारे महापुरुषों के बनाए मूल्यों की बात है। इसलिए ये कहना थोड़ा अतिशियोक्ति होगी कि अगर एक करोड़ में दो शून्य बढ़ा भी दिए जाएं तो भी गीता प्रेस ये राशि स्वीकार नहीं करेगी। महापुरुषों ने ये नियम बनाया था कि हमें किसी तरह का सम्मान और आर्थिक सहयोग नहीं लेना चाहिए।

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