नाराज महिला अनुदेशिका बोली, ये कैसा नारी का सम्मान है, जहां एक बेटी को प्रसव अवकाश मय वेतन मिलता हो तो दूसरी को अवैतनिक क्यों ?
The angry female instructor said, what kind of respect is this for a woman
उत्तर प्रदेश के अनुदेशक अनुदेशिका मानदेय, नियमितीकरण , 100 बच्चों की बाध्यता , ट्रांसफर समेत कई समस्या से जूझता हुआ अब सत्याग्रह आंदोलन के साथ क्रमिक अनशन के जरिए सरकार पर दबाब बनाता नजर आ रहा है। दो अक्टूबर गांधी जयंती के दिन चार जिलों से शुरू हुआ यह काम अब प्रदेश के कई जिलों में अब शुरू हो चुका है।
आज प्रदेश के कई जिलों गांधी जी की प्रतिमा के सामने अनुदेशकों ने क्रमिक अनशन शूरु किया है। इस अनशन में अनुदेशक सरकार से नियमितीकरण और अपने 17000 हजार के आदेश को लेकर मांग कर रहा है।
इस दौरान बातचीत करते हुए जालौन जिले के एक अनुदेशिका ने कहा कि क्या प्रदेश में महिला अध्यापक ही मोदी और योगी के बेटियाँ है। क्या हम उनकी बेटी नहीं है जो उन्हे प्रसव का अवकाश सवेतनिक मिलता है जबकि हमें वही प्रसव अवकाश अवैतनिक मिलता है क्यों? क्या हम सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे के तहत नहीं आते है या महिला सशक्तिकरण की बात करने वाली सरकार हमारा दोहन क्यों करती है। बात महिला आरक्षण की करती है लेकिन हम बेटियों को लेकर जरा भी चिंतित नहीं है तो क्या समझा जाए।
इस तरह आज क्रमिक अनशन गोरखपुर , आजमगढ़ , बस्ती , बांदा , जालौन, गाजीपुर समेत कई जिलों में किया गया है। अनुदेशक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विक्रम सिंह का कहना है कि सरकार ने अगर मांगे नहीं मानी तो हम इस आंदोलन के जरिए लखनऊ में भी क्रमिक अनशन करेंगे। हमें चूंकि बच्चों की शिक्षा की चिंता है इसलिए हम अपनी छुट्टी के दिन यह क्रमिक अनशन कर रहे है ताकि हम किसी तरह से बच्चों की शिक्षा और पढ़ाई का कोई नुकसान न हो। सरकार जब तक हमारी मांग नहीं मांगेगी तब तक हम इस अनशन को यूं ही अनवरत जारी रखेंगे।