लॉकडाउन में फंसे यूपी के मजदूर की दिल्ली में मौत, गोरखपुर में 1 साल के बेटे ने पुतले का किया दाह संस्कार
गोरखपुर. देश में कोरोना (COVID-19) के प्रकोप को देखते हुए सरकार ने लॉकडाउन (Lockdown) लगाया है. ताकि खतरनाक वायरस से लोगों को बचाया जा सके. हालांकि इस लॉकडाउन की वजह से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. खासकर मजदूर और गरीब तबके के लोगों को खासी दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच गोरखपुर (Gorakhpur) के चौरीचौरा से मानवीय संवेदना को झकझोर देने वाली खबर सामने आई है. यहां के निवासी एक मजदूर की दिल्ली में लॉकडाउन के दौरान मौत हो गई है.
मजदूर की मौत की खबर दिल्ली प्रशासन ने किसी तरह उसके परिवार तक पहुंचाई. लेकिन आर्थिक हालात खराब होने और पैसे की कमी की वजह से गरीब परिवार ने शव का दाह संस्कार कर पाने में बेबसी जताई है. इतना ही नहीं दिल्ली प्रशासन को मृतक मजदूर के शव का दाह संस्कार करने का संदेश भिजवाया है. हैरानी की बात यह है कि जानकारी के बावजूद इस बेबस और गरीब परिवार की मदद के लिए कोई भी सामने नहीं आया. आखिरकार बेबस परिवार द्वारा एक साल के बेटे से उसके पिता के प्रतीकात्मक पुतले का दाह संस्कार कराया.
कोरोना जांच में निगेटिव आई रिपोर्ट
दरअसल चौरीचौरा जिले के डुमरी खुर्द गांव के सुनील दिल्ली के भारत नगर स्थित प्रताप बाग इलाके में किराये के मकान में रहते थे. जबकि गोरखपुर में सुनील की पत्नी पूनम, चार बेटियां और एक साल के बेटे के साथ गांव में रहती हैं. ऐसे में दिल्ली में मजदूरी करके सुनील अपने परिवार की बेहतर जिंदगी के लिए जद्दोजहद कर रहे थे. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. 11 अप्रैल को उनकी तबीयत खराब हो गई थी. जिस पर स्थानीय लोगों की सूचना पर पुलिस ने उन्हें हिंदू राव अस्पताल में भर्ती कराया था. जहां तबीयत बिगड़ने पर उन्हें सफदरगंज अस्पताल रेफर कर दिया गया. सफदरजंग में इलाज के दौरान 14 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. अस्पताल प्रशासन ने एहतियातन मृतक सुनील की कोरोना जांच भी कराई लेकिन रिपोर्ट निगेटिव थी.
पति अस्पताल में, फोन छूटा घर पर
इस बीच परिवार के लोग लगातार 3 दिनों से सुनील के फोन पर कॉल करते रहे. लेकिन फोन सुनील के कमरे में होने की वजह से उनसे संपर्क नहीं हो पाया. फोन भी डिस्चार्ज होकर स्विच ऑफ हो गया. वहीं सुनील की मौत के बाद जब पुलिस ने उनके कमरे से उनका फोन लेकर उसे चार्ज किया तो सुनील की पत्नी का फोन आने पर उनकी बात हो पाई. पति की मौत की खबर सुनकर पत्नी रोने लगी.
पति की अस्थियां किसी तरह भेजने का किया अनुरोध
जब दिल्ली पुलिस ने वहां आकर शव ले जाने की बात कही तो पत्नी ने अपनी बेबसी जाहिर की. मृतक मजदूर की पत्नी ने शव मंगाने और उसका दाह संस्कार कर पाने में असमर्थता जताई. इसके बाद मजदूर की पत्नी ने तहसीलदार के जरिए यह संदेश भेजवाया और अंतिम संस्कार के बाद पति की अस्थियां किसी तरह घर भेजे जाने का भी अनुरोध किया है.
दिल्ली पुलिस दाह संस्कार को लेकर पसोपेश में
फिलहाल दिल्ली पुलिस दाह संस्कार को लेकर पसोपेश में है, वहीं बेबस और लाचार मजदूर के परिवार ने उसके प्रतीकात्मक पुतले का दाह संस्कार कर दिया है. पत्नी पूनम के आगे अभी पूरे परिवार के भरण पोषण की चुनौती है. भविष्य के बारे में पूछने पर वह कहती हैं कि सरकार से मदद की उम्मीद है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस बेबस और लाचार परिवार की सुध अभी तक किसी ने लेना मुनासिब नहीं समझा.