आखिर क्यों बने जिला मुख्यालय का रेलवे स्टेशन भरवारी
जब भी कोई नया जिला बनता है तो उसको पड़ोसी जिला स्तर की सभी सुभिधा से युक्त किया जाता है उसको जंक्शन की भी सुभिधा प्रदान की जाती है यही नियम है
कौशाम्बी जिला मुख्यालय रेलवे स्टेशन बनाने की आवाज फिर उठने लगी है लोगो ने फिर भरवारी को रेलवे का प्रमुख स्टेशन बनाने की आवाज बुलंद कर दी है. यहाँ यह बताना अति आवश्यक है कि बच्चो को पढ़ाने के लिए दर्जनों इंग्लिश स्कूल के साथ ही दर्जनों जूनियर हाई स्कूल व दर्जनों महाविद्यालय भी भरवारी में है. यहाँ पर संस्कृत महाविद्यालय भी है साथ ही विधायक चायल संजय गुप्ता द्वारा स्वास्थ से संबंधित बी फार्मा डी फार्मा व लगभग आधा दर्जन अस्पताल है.
जहाँ पर काफ़ी दूर दूर से लोगो को अपने स्वास्थ्य लाभ के लिए आना पड़ता है इसके साथ ही यहा से चार किलोमीटर की दूरी पर संदीपन मुनि का आश्रम व गंगा घाट है. इसी जगह से भगवान पुरषोत्तम राम जी अपने पैरों से चल कर चरवा होते हुए आये थे. सबसे महत्वपूर्ण यह है कि भरवारी से चालीस किलोमीटर की दूरी पर भगवान तुलसी दास जी की की जन्मस्थली है. जिसके दर्शन के लिए लोगो का आवागमन बराबर लगा रहता है साथ ही कर्वी होते हुए कामता नाथ स्वामी जी का सिद्धि पीठ मंदिर है और विशेष रूप से शिक्षा का केंद्र है इस लिए भी रेलवे का प्रमुख स्टेशन भरवारी बनना चाहिए.
लोगो का कहना है कि क्योंकि प्रयागराज से भरवारी की दूरी 38 किलोमीटर की है. जबकि प्रयागराज से सिराथू की दूरी 60 किलोमीटर है वही भरवारी से मंझनपुर की दूरी मात्र 12 किलोमीटर है वही सिराथू से मंझनपुर की दूरी 16 किलोमीटर की है जबकि सिराथू से माता शीतला देवी कड़ा की दूरी मात्र 9 किलोमीटर पर है जबकि सिराथू से राजा पुर की दूरी 56 किलोमीटर की दूरी पर है.
यहा यह भी बताना अति आवश्यक है कि जब भी कोई नया जिला बनता है तो उसकी पुराने जिला की कम दूरी पर जो भी स्टेशन होता है. उसी को जिला स्तरीय सुभिधा प्रदान करते हुए रेलवे का प्रमुख् व कौशाम्बी का स्टेशन मान कर वह सारी सुभिधा से लैस किया जाता है. जो नया जिला का रेलवे का स्टेशन माना जाता है ऐसे में यदि नगर पालिका परिषद की जनता की आवाज व भावनाओ की कदर की जाय तो प्रमुख् स्टेशन के साथ ही जंक्शन की भी सुबिधा भरवारी स्टेशन से जनपद वासियो को मिल सकती है. इसमें कौशाम्बी जनपद के लोकप्रिय सांसद विनोद सोनकर व विधयाक चायल की भी अहम भूमिका पर निर्भर करेगी.