खुली गुंडई ! विधायक पीआरओ ने की बालिकाओं से छेड़खानी विरोध करने पर परिजनों पर हमला 

रंगीन मिजाजी पीआरओ के कारनामे पर विधायक ने कहा मामले की नहीं है जानकारी 

Update: 2020-07-26 14:50 GMT

कौशाम्बी। एक विधायक के रंगीन मिजाजी पीआरओ के कारनामे के चलते जहाँ बालिकाएं शर्मसार हो रही हैं वही उनके पीआरओ के कारनामे से आम जनमानस के बीच विधायक की छवि बचाना उनके लिए भी कठिन साबित हो रहा है। बालिकाओं से छेड़खानी के बाद परिजनों पर हमला कर दिया गया फिर तहरीर वापस लेने के लिए मजबूर करने वाले इस पीआरओ का आतंक विधायक के साथ रहने से इतना बढ़ जाएगा यह गम्भीर बिषय है और इस पर विधायक के साथ पार्टी को भी मन्थन करने की जरूरत है।

जानकारी के मुताबिक नाग पंचमी के पर्व पर गुड़िया पीटे जाने की परंपरा में अँधावा गांव की बालिकाएं गुड़िया फेकने गई थी रास्ते में विधायक के पीआरओ और उनके कुछ साथियों द्वारा बालिकाओं के साथ आम रास्ते पर खुलेआम अश्लील हरकतें की गई। बालिकाओं के साथ भद्दा मजाक किए गए यह बात लड़कियों ने अपने परिजनों से बताई जिस पर बालिकाओं के परिजनों ने रंगीन मिजाजी पी आर ओ के परिजनों को उलाहना दिया।

उलाहना देने से बौखलाए विधायक के रंगीन मिजाजी पीआरओ ने कई गांव से बिरादरी और साथियों को फोन कर के बुला लिया और खुली गुंडई नग्न नाच करते हुए बालिकाओं के परिजनों को दौड़ा दौड़ा - कर जमकर मारा पीटा मामला महेवा घाट थाना क्षेत्र के अंधावा गांव का है। छेड़खानी के बाद हमला हो जाने से पीड़ित बालिका के परिजनों ने न्याय की उम्मीद से मामले की तहरीर महेवा घाट थाना पुलिस को दिया लेकिन मामला सत्ता पक्ष के एक विधायक के पीआरओ से जुड़ा था इसलिए पुलिस मुकदमा दर्ज करने के बजाय पीड़ितों को ही समझाने बुझाने लगी इतने में विधायक के पी आर ओ भी समर्थकों समेत थाने पहुंच गए दबंगों और पुलिस के गठजोड़ के बाद बालिकाओं के पीड़ित परिजनों को तहरीर वापस लेने के लिए थाने के भीतर मजबूर कर दिया गया और यही बात थानेदार ने पुलिस आला अधिकारियों को बता दी कि पीड़ितों ने आपसी समझौता कर लिया है 

इस मामले में जब सत्ता पक्ष के विधायक से बात की गई तो उन्होंने कहा कि उन्हें इस मामले की कोई जानकारी नहीं है अब सवाल उठता है कि बिधायक के रंगीन मिजाजी पी आर ओ के इन कारनामों से आम जनता के बीच भारतीय जनता पार्टी के साथ साथ विधायक  की छवि का क्या प्रभाव पड़ेगा और पी आर ओ के कारनामों को संज्ञान लेते हुए विधायक को अपने और जनता के बीच के संबंधों को भी ध्यान में रखते हुए जनहित के मुद्दों पर निर्णय लेना होगा वरना यह जनमानस है कब पलटी मार देगा इस इस बात की जानकारी राजनीति के बड़े-बड़े मठाधीशों को नहीं हो सकी है।

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