चूल्हा चौका से शुरू हुई सास बहू की जंग पंचायत चुनाव तक पहुंची
ग्रामीणों के हाथ में है सास बहू की मर्यादा किसकी मर्यादा बचाते हैं ग्रामीण और चुनावी युद्ध मे किसे देखना पड़ेगा पराजय का मुंह
कौशाम्बी कहावत है कि एक बार जंग शुरू हो गई तो उसका अंत कभी नहीं होता है. इसी तरह का एक मामला जिले की राजनीति में चर्चा में है. सिराथू ब्लॉक के बिदनपुर ककोढा ग्राम पंचायत से एक परिवार की सास और बहू के बीच चूल्हा चौका को लेकर शुरू हुई लड़ाई दिनों दिन बढ़ती गई. सास बहू के बीच वर्चस्व की जंग ने एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिए चुनावी मैदान में कुश्ती शुरू कर दी है. ग्राम प्रधान की सीट पर सास को पराजय का मुंह दिखाने के लिए उन्हीं की बहू ने ठान लिया है. अपनी सास के विरोध में बहु ने चुनावी जंग में ताल ठोक दिया है दोनों के बीच चुनावी मुकाबला दिलचस्प है.
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव 2021 के चुनाव की तैयारी में विदनपुर ककोढा ग्राम प्रधान पद पर बिलोस चंद्र सोनकर की पत्नी विमला देवी चुनावी अखाड़े के मैदान में कूद पड़ी हैं और वह बराबर चुनाव प्रचार कर चुनावी युद्ध जीतने का प्रयास कर रही है. विमला देवी के बड़े बेटे संदीप सोनकर की पत्नी दीपमाला ने भी इसी ग्राम पंचायत बिदनपुर ककोढा से ग्राम प्रधान पद पर अपना दावा ठोक दिया है और बराबर वह ग्राम के मतदाताओं के संपर्क में हैं.
आमने सामने सास बहू के चुनाव मैदान में कूद पड़ने से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव दिलचस्प हो गया है दोनो एक दूसरे को कड़ी टक्कर दे रही हैं. देखना यह है कि इस चुनावी समर में कौन बाजी मारता है लेकिन ग्रामवासी ऊहा पोह में है कि मतदान किसको किया जाए त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में अब ग्रामीणों के हाथ में सास बहू की मर्यादा है. किसकी मर्यादा को ग्रामीण बचाते हैं और चुनावी युद्ध मे किसे पराजय का मुंह देखना पड़ेगा. यह तो ग्रामीणों पर निर्भर है चुनावी अखाड़े में सास बहू की कुश्ती क्षेत्र में चर्चा का विषय बना है.