दोपहर बाद भी अस्पताल नहीं पहुंचे चिकित्सक, एक रुपए के बजाए मरीजों से पर्चे के नाम पर 5 रुपये वसूल रहा है स्वास्थ्य कर्मी
फार्मासिस्ट के सहारे चल रहा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चायल
कौशाम्बी चायल तहसील क्षेत्र के विकासखंड चायल स्थित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दुर्दशा का शिकार है इस अस्पताल में चिकित्सक कभी-कभी आते हैं बुधवार के दिन दोपहर बाद चिकित्सक अस्पताल में नहीं पहुंच सके हैं जिससे मरीज अस्पताल के इर्द-गिर्द घूमते रहे हैं अस्पताल में पर्चा बनाने के नाम पर सरकार ने एक रुपए निर्धारित किया है लेकिन फुटकर पैसे नहीं है यह कह कर मरीजों से 5 रुपए वसूले जा रहे हैं मरीजों का इलाज वार्ड ब्याय और फार्मासिस्ट करते हैं फार्मासिस्ट भी कभी-कभी आते हैं.
वार्ड ब्याय मरीजों के इलाज के लिए मौजूद रहता है जबकि मरीजों को इलाज के लिए सरकार ने चिकित्सकों की तैनाती की है लेकिन चायल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात चिकित्सक निजी नर्सिग होम संचालन में व्यस्त रहते हैं जिसके चलते आए दिन सरकारी अस्पताल से उनका गायब रहना आम बात हो गई है बीते कई वर्षों से चायल अस्पताल में डॉ मुक्तेश द्विवेदी की तैनाती है जो चुंबक की तरह चायल अस्पताल से चिपक गए हैं जिले में तमाम स्थानांतरण स्वास्थ विभाग द्वारा किए गए हैं लेकिन डॉक्टर मुक्तेश द्विवेदी की कुर्सी का चुम्बक स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी नहीं हिला सके हैं एक स्थान पर लंबे समय से जमे होने के चलते डॉ मुक्तेश द्विवेदी मठाधीश हो गए हैं इनके कार्यकाल में अस्पताल में बड़े घोटाले किए जाने की भी चर्चा है इन्हें हटाकर इनके कार्यकाल के बजट की जांच कराई गई तो बड़े घोटाले उजागर होना तय है.
सूत्रों की मानें तो इस अस्पताल में सरकारी योजनाओं के संचालन में बड़े पैमाने पर हेराफेरी की गई है करोड़ों रुपए की दवाइयां का गलत उपयोग किया गया है मरीज और उनके परिजनों को सरकारी योजनाओं का लाभ अस्पताल में नहीं मिल पाता है स्वास्थ्य योजनाओं का संचालन अभिलेख में करने के बाद जिला अधिकारी और शासन को गुमराह करने का भरसक प्रयास इस अस्पताल के चिकित्सक द्वारा बार-बार किया गया है.
अस्पताल से चिकित्सक के गायब रहने के मामले में मरीजों को दिए जाने वाले दवाई के लिए बनाया गया रजिस्टर की हैंडराइटिंग से मिलानकर चिकित्सक की अनुपस्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है लोगों ने शासन प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराते हुए अस्पताल के चिकित्सक का निलंबन करते हुए बीते कई वर्षों में अस्पताल में मरीजों के लिए संचालित योजनाओं की जांच कराए जाने और सरकारी बजट किस योजना में खर्च किया गया है जांच कराकर योजना को दीमक की तरह चाटने वाले चिकित्सक को बेनकाब करने की मांग जनता ने की है.