कुशीनगर: 36 साल बाद जुदा मां-बेटे का हुआ मिलन, बूढ़ी मां की सूख गई थी आंखें

आज से 36 साले पूर्व खड्डा क्षेत्र के मरिचहवा निसासी पन्द्रह वर्षीय सुरेश अपने पिता की मार से खफा होकर गांव के ही कुछ लडको के साथ घर छोड़कर राजस्थान पहुंच गया

Update: 2021-10-07 06:50 GMT

फोटो : केवल प्रतीकात्मक 

 संजय चाणक्य

कुशीनगर : उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंच चुकी, वह बूढी माँ अपनी पथराई आंखों से 36 साल बाद अपने कलेजे के टुकड़े को देखी तो मारे खुशी में चीख पडी.. अरे ई त हमार सुरेशवा ह। बारह वर्ष की आयु में अपने बेटे से बिछडने के बाद बूढी माँ को विश्वास नही हो रहा है कि छत्तीस साल बाद उसके आचंल से लिपटकर जो रो रहा है उससे कभी इस तरह से मुलाकात होगी।

वह अपने बेटे को सीने से लगाकर आसमान की ओर देखती है फिर कपकपाये होठो से ईश्वर को धन्यवाद देते हुए कहती है हमार विश्वास के लाज रख लेहल हे भगवान तोहार लाख लाख धन्यवाद। मा-बेटे के मिलाप का यह दृश्य, भरत मिलाप से कम नही था, जिसके साक्षी गांव वालो के साथ-साथ उ0प्र0 अपराध निरोधक समिति के सुल्तानपुर व कुशीनगर जिला इकाई के पदाधिकारी बने। मां-बेटे का यह मिलन सुल्तानपुर समिति के पदाधिकारियों की कडी मेहनत व खड्डा उपजिलाधिकारी के विशेष सहयोग का सुखद परिणाम है। तभी तो वह बढी माँ कहती है बाबू भगवान तोहरालोगन के हमेशा खुश रखे।

बात उन दिनो की है जब कुशीनगर जनपद देवरिया जिले का हिस्सा हुआ करता था। आज से 36 साले पूर्व खड्डा क्षेत्र के मरिचहवा निसासी पन्द्रह वर्षीय सुरेश अपने पिता की मार से खफा होकर गांव के ही कुछ लडको के साथ घर छोड़कर राजस्थान पहुंच गया।

इधर अपने जिगर के टूकडे को ढूढने के लिए मा- बाप इधर-उधर रहे और थक हारकर भगवान के भरोसे उसकी वापसी की राह निहारने लगे। इस बीच सुरेश के पिता खुद को कोसते-कोसते भगवान को प्यारे हो गये। अपने कलेजे के टूकडे से बिछड़ने और पति का साथ छूटने के बाद सुरेश की माँ कलावती देवी अपने छोटे बेटे के सहारे जिन्दगी गुजर-बसर करने लगी लेकिन भगवान पर से कभी उनका विश्वास नही उठा वह जब भी किसी मंदिर - मजार के रास्ते गुजरती थी तो बस यही कहती आख बंद भइले से पहले हमारे बेटवा से मिलवा दीह भगवान। यह बूढी माँ का अटूट विश्वास का ही नतीजा है कि 36 साल बाद उसका बेटा सही सलामत उसके पास लौट आया है। इसके लिए उ0प्र0 अपराध निरोधक समिति के जिला इकाई सुल्तानपुर के पदाधिकारियों के मेहनत को नकारा नही जा सकता है।

🔴 घर छोडने के बाद सुरेश का 35 साल का सफर

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गांव के लडको के साथ राजस्थान पहुचे सुरेश एक व्यापारी के वहा रहकर कामकर रहा था लेकिन सुरेश के पैर तले जमीन उस समय खिसक गया जब व्यापारी ने बताया कि उसके साथी उसे यहां बेचकर फरार हो गये है। किसी तरह सुरेश वहा चार साल बंधुआ मज़दूरी करने के बाद एक रात मौका देखकर भाग निकला और वहा से दिल्ली पहुंच गया। यहा तकरीबन सत्तरह वर्षो तक एक व्यक्ति के पास रह कर सेवादार का कार्य करता रहा। इसी दरम्यान सुल्तानपुर के एक मंदिर के पीठाधीश्वर से दिल्ली मे उसकी मुलाकात हुई और सुरेश पीठाधीश्वर के साथ सुल्तानपुर चला आया। यहा उनके साथ रहकर मंदिर की साफ-सफाई करता था। सूरेश की माने तो वह दस वर्षों तक यहा कार्य किया पीठाधीश्वर की मृत्यु के बाद नये पीठाधीश्वर ने उसे मंदिर से हटा दिया इसके बाद वह रोजी-रोटी के लिए सुल्तानपुर की सड़कों पर खाक छानने लगा।

🔴 उ0प्र0 अपराध निरोधक समिति के सम्पर्क मे आया सुरेश

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पेट की आग बुझाने के लिए मंदबुद्धि का सुरेश रोजी-रोटी की तलाश मे भकटते हुए अपराध निरोधक समिति के सदस्य व सब्जी किसान हरिराम के पास पहुचा। यहां हरिराम ने अपने यहां काम पर रखने से पहले सुरेश कुशवाहा से उसके विषय मे जानकारी लेनी शुरू किया तो सुरेश की दर्द भरी दास्तान का पन्ना एक के बाद एक खुलता चला गया जिससे यह पता चला कि सुरेश कभी देवरिया जनपद का हिस्सा रहा कुशीनगर जनपद के खड्डा तहसील क्षेत्र के मरिचहवा गांव का रहने वाला है। उसके बाद हरिराम ने सुरेश की कहानी से अपने तहसील संयोजक हरिगोविंद मौर्य व जिला सचिव अमर बहादुर सिंह से अवगत कराया। फिर क्या सुल्तानपुर की कमेटी ने पहले अपने स्तर से सुरेश कुशवाहा का घर पता किया फिर मोबाइल फोन के जरिए उसकी मां से वार्ता किया उसके बाद अपराध निरोधक समिति कुशीनगर से सम्पर्क कर 36 वर्षो से बिछडे सुरेश को उसकी मां से मिलवाने के लिए सुल्तानपुर से रवाना हुए।

🔴 एसडीएम खड्डा ने पेश किया मानवता की मिसाल

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बचपन मे पिता की मार से नराज होकर घर से निकले सुरेश को अपराध निरोधक समिति सुल्तानपुर की टीम अपने जिला सचिव अमर बहादुर सिंह के नेतृत्व मे लेकर कुशीनगर पहुची। यहा अपराध निरोधक समिति कुशीनगर के जिला सचिव संजय चाणक्य के निर्देश पर वरिष्ठ पत्रकार व समिति के उप जिला सचिव बीबी त्रिपाठी ने उनका स्वागत किया। इसके बाद इन लोगो ने एडीएम विन्ध्यवासिनी राय से वार्ता कर पूरे मामले से अवगत कराया। मजे की बात यह है कि एडीएम ने मामले को एसडीएम खड्डा अरविंद कुमार के जिम्मे टालकर किनारा कस लिया। लेकिन एसडीएम अरविन्द कुमार न सिर्फ अपनी नैतिक जिम्मेदारियों का पूरे निष्ठा से निर्वहन किया बल्कि लगातार बारह घंटे के भागीरथ प्रयास से सुरेश की मां को ढूढ निकाला और मा-बेटे को मिलाने मे मानवता का मिसाल पेश किया। इस दौरान उपजिलाधिकारी अरविन्द कुमार ने अपराध निरोधक समिति के कार्यो की सराहना करते हुए एसओ रामकोला से वार्ता किया, स्वयं सुपुर्दगी का रिपोर्ट तैयार किया और टीम के लोगो को अपने साथ बैठाकर भोजन कराया। एसडीएम की दरियादिली और मानवतावादी कार्यो को देख बरबस बीबी त्रिपाठी के मुह से निकल पडा " यह नजीर है नजारा नही।" उपजिलाधिकारी के मानवतावादी कार्यो का जनपद मे चहुओर गुणगान हो रही है।

🔴 36 साल बाद हुआ माँ-बेटे का मिलन

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एसडीएम अरविन्द कुमार द्वारा सारी व्यवस्था करने के बाद अपराध निरोधक समिति सुल्तानपुर व कुशीनगर के लोग सुरेश को लेकर रामकोला थाने पहुंचे जहां सुरेश की बुढी माँ पथराई आखो से अपने कलेजे के टुकडे का राह निहार रही थी। सुरेश को देखते ही बूढी माँ कलावती देवी ने सुरेश को बचपन मे लगे पीठ और पैर की निशान देखी और देखते ही फफक कर चीख पडी " अरे ई त हमार सुरेश वे ह।" और सीन से लगाकर रोने लगी। माँ-बेटे के मिलाप का यह दृश्य था तो खुशी का, लेकिन इस खुशी मे भी माँ-बेटे का आंसू थमने का नाम नही ले रहा था।

मौजूद हर कोई माँ-बेटे को ढाढस बढा रहा था। इसके बाद सुल्तानपुर के जिला सचिव अमर बहादुर सिंह ने सभी के मौजूदगी मे पूरे घटना क्रम को बताया। इस दौरान कलावती भी अपनी आंसू पोंछती हुए कहती है विश्वास नाही होत रहल ह। कुछ साल पहले एगो साधू हमार बेटा बनकर आइल रहल और ठग के चल गइल एही से मनवा घबडात रहल ह। लेकिन भगवान पर भरोसा रहल ह कि शरीर से प्राण निकले से पहिले हमरे बेटवा से जरुरी मिलइहन। भगवान के बहुत कृपा बा। फिर कलावती समिति के सदस्यों को हाथ जोडती है वह कुछ कहना चाहती है परन्तु जुबान उनका साथ नही देता लेकिन आंखे समिति के सदस्यों को ढेर सारी दुआएं दे रही थी।

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