लोकसभा संग्राम 73– अपना दल के साथ छोड़ने के बाद चौकीदार की सांसदी पर यूपी से मँडरा सकते है ख़तरे के बादल ?

सियासी गलियारों में इस तरह की ख़बरें तैर रही है कि एनडीए से अपना दल (एडी) का मन भर गया है या यूँ कहे कि प्रियंका गांधी ने अनुप्रिया पटेल को कांग्रेस के साथ आने के लिए मना लिया है

Update: 2019-02-24 11:08 GMT

लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी

राज्य मुख्यालय लखनऊ। लगता है यूपी के सियासी गुणा भाग में घिरते जा रहे है नरेन्द्र मोदी जहाँ एक और बसपा और सपा ने गठबंधन कर यूपी की सियासत को अपनी ओर आकर्षित करने में बहुत हद तक सफल दिख रहे है वही मोदी की भाजपा पर देशभर में जिसे मोदी पप्पू कहते है अब वही पप्पू राहुल गांधी अप्पू बनकर गप्पू पर भारी पड़ रहा है।


सियासी गलियारों में इस तरह की ख़बरें तैर रही है कि एनडीए से अपना दल (एडी) का मन भर गया है या यूँ कहे कि प्रियंका गांधी ने अनुप्रिया पटेल को कांग्रेस के साथ आने के लिए मना लिया है वैसे एक बात और है अनुप्रिया पटेल काफ़ी दिनों से मोदी-योगी सरकार से नाराज चल रही है जिसको महसूस कर राजनीति के खिलाड़ी परिवार की सदस्य यूपी से अपनी सियासी पारी की शुरूआत करने वाली प्रियंका गांधी ने तो उनके मन की बात सुनी है और उन्हें शायद आश्वस्त भी कर दिया है अगर ऐसा होता है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का वाराणसी से जीतना मुश्किल हो जाएगा ये मैं नही आँकड़े बता रहे है इस सीट पर अपना दल के प्रभाव वाले एक लाख पचास हज़ार से ज़्यादा वोट है जिन्हें अपना दल प्रभावित करता है।


मोदी सरकार में शामिल परिवार कल्याण राज्यमंत्री अनुप्रिया पटेल आज कल खुलकर सामने आ चुकी है कुछ का तो कहना है कि किसी भी समय अनुप्रिया पटेल इसकी घोषणा कर सकती है कि अब हम एनडीए का हिस्सा नही रहे है उनकी पार्टी अलग रास्ता चुनने के लिए मार्ग तलाश कर रही है या कर लिया है।अगर अपना दल मोदी की भाजपा से अलग होती है तो यूपी की ये वो सीटें है जहाँ अपना दल का प्रभाव रहता है उनमें चौकीदार की सीट भी है जिन्हें माँ गंगा ने बुलाया था जी हाँ वाराणसी सीट भी शामिल है।2014 के लोकसभा चुनाव में सत्ता की दहलीज़ पर ले जाने वाले राज्य में चारों ओर से घिरती जा रही है मोदी की भाजपा के स्वयंभू चाणक्य कहने वाले अमित शाह की समझ में भी कुछ नही आ रहा है यूपी की लडाई को कैसे पार करे इसी राज्य ने कुल 80 में से 71 सीटें मोदी की भाजपा की झोली में डाली थी और दो उसकी सहयोगी पार्टी अपना दल को दी थी यानी 73 सीट मिली थी।


यूपी की सियासत का परिदृश्य मोदी की भाजपा के विरूद्ध बन रहा है सपा-बसपा ने गठबंधन कर उसकी राह में पहले ही मुश्किलें खड़ी कर दी थी पर अब अपना दल भी ऑंखें दिखा रहा है अनुप्रिया पटेल ने हाल ही में कहा कि मोदी की भाजपा अपने सहयोगियों की बात सुनने को तैयार नही है ऐसी परिस्थिति में अपना दल के पास मोदी की भाजपा से संबंध तोड़ने के अलावा कोई रास्ता नही है।अपना दल के अलग होने पर मोदी की भाजपा को क्या नुक़सान होगा यूपी की 8 लोकसभा सीट और 32 विधानसभा सीटें ऐसी है जहाँ अपना दल के प्रभाव वाले वोटर है जैसे पटेल,कुर्मी,वर्मा और कटियार जाति की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।


पूर्वांचल के 16 जिले ऐसे है जहाँ कुर्मी वोटरों की संख्या 8 से 12 % तक है और यहाँ चुनावी तस्वीर बदलने की व अपने पक्ष मे करने की हैसियत रखते है।अपना दल का पटेल व कुर्मी वोटरों पर पकड़ है प्रतापगढ़ ,फूलपुर , प्रयागराज , (इलाहाबाद) ,गोंडा , बाराबंकी ,बरेली , खीरी ,धौरहरा , बस्ती , मिर्ज़ापुर व वाराणसी जनपदों में चुनावी दिशा अपने पक्ष में करने या किसी भी तरफ़ मोड़ने में सक्षम है।अपना दल के पास यूपी की दो लोकसभा सीटें है मिर्ज़ापुर और प्रतापगढ़, मिर्ज़ापुर से अनुप्रिया पटेल और प्रतापगढ से कुमार हरिवंश सिंह सांसद है विधानसभा में भी 9 विधायक है।मोदी की भाजपा के लिए सबसे बड़ा खतरा माना जा रहा है अपना दल का अलग होना क्योंकि वाराणसी, मिर्ज़ापुर , फूलपुर ,चंदौली , प्रतापगढ , भदोही , कौशाम्बी व इलाहाबाद जैसी सीटों के परिणाम बदलने में कुवत रखता है अपना दल।अनुप्रिया पटेल अगर रास्ता अलग अख़्तियार करती है तो मोदी की भाजपा के लिए यूपी की राह मुश्किल हो जाएगी सियासी गलियारो में यह सब समझ रहे है।


अनुप्रिया की नाराज़गी की वजह 2014 में दो सीट जीतने वाला अपना दल दस सीटों की माँग कर रहा है जिसमें फूलपुर प्रयागराज जैसी सीटें शामिल है अपना दल की दावेदारी पर मोदी की भाजपा हैरान और परेशान है इस नाराज़गी ने अगर अपना अलग आसियाना तलाश लिया तो वाराणसी से चौकीदार की सांसदी जाती रहेगी तब चौकीदारी भी जाती रहेगी इससे इंकार नही किया जा सकता है क्योंकि हार्दिक पटेल हो सकते है विपक्ष के संयुक्त प्रत्याशी अगर अपना दल अलग राह पकड़ता है इस लिए यूपी में मुसीबतों के पहाड़ खड़े है देश के स्वयंभू चौकीदार के सामने अब देखना है कि वो किस तरह निपटते है इन सब मुसीबतों से या सब हथकण्डे फेल रहेंगे असल में एक वजह और है मुसीबतों की नरेन्द्र मोदी ने अपनी इमारत झूट पर खड़ी की थी जिसे सच करने में दुस्वारिया आ रही है यही वजह है नरेन्द्र मोदी किसी भी मोर्चे पर सफल नही रहे है।

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