उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव इन दिनों सुर्ख़ियों में बने हुए है. बीते दिनों उनकी मुरादाबाद के होटल में हुई प्रेस वार्ता में अफरा तफरी मच गई. जिसमें तीन पत्रकारों को चोटें आई उसके बाद उनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई.
कुछ देर में समाजवादी पार्टी के जिलाध्यक्ष के द्वारा दो पत्रकारों के खिलाफ संगीन धाराओं में केस दर्ज करा दिया गया है. उसके बाद कई जिलों के पत्रकारों में रोष व्याप्त हो गया. लेकिन किसी ने ये भी सवाल नहीं किया है कि आखिर सभी लोग विपक्ष से ही क्यों सवाल करते है सत्ता पक्ष से सवाल कब करोगे?
अभी अभी अखिलेश यादव ने एक ट्विट करते हुए कहा है कि आज जिस प्रकार संविधान पर हमले हो रहे हैं, नेताओं पर झूठे मुक़दमों व जाँच एजेंसियों के छापे के बाद अब शारीरिक हमले तक हो रहे हैं, वो भाजपा की हिंसक राजनीतिक सोच का कुपरिणाम है. दूसरों पर सिंडीकेट से संचालित होने का आरोप लगानेवाले लोग वास्तव में स्वयं 'संघीकेट' से संचालित हैं.
इस बात को शेयर करके उन्होंने संविधान की दुहाई जरुर दी है. लेकिन क्या सत्ता के बाद क्या भी संविधान की दुहाई देने वाले अखिलेश यादव संविधान में जनता का भरोसा कायम रख पाएंगे.