मुसीबत में अनुदेशक शिक्षा मित्र कैसे चलाएं घर

Anudeshak Shiksha Mitra in trouble how to drive home

Update: 2023-08-20 12:12 GMT

उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में अनुदेशकों की नियुक्ति हुई उसके बाद उन्हे 7000 हजार वेतन मिलना तय हुआ। बाद में मांग के बाद अखिलेश सरकार ने 8400 किया उसके बाद जब बीजेपी सरकार आई तो 17000 हजार की घोषणा हुई जो आज तक लागू नहीं हुई। उसके बाद 1470 की रिकवरी हुई। बाद में विधानसभा में तत्कालीन बेसिक शिक्षा मंत्री ने अनुपमा जायसवाल ने 9800 रुपये की घोषणा की जो नहीं लागू हुआ। जब मांग फिर रखी और रोजाना स्पेशल कवरेज न्यूज पर डिबेट हुई और चुनाव चल रहा था तब जाकर चुनाव फँसता देख सीएम योगी आदित्यनाथ ने 2000 हजार बढ़ाए जो मिल रहे है। 

तब अब जाकर 9000 मानदेय हुआ जो न मान है न देय है। अब डबल बेंच से जीतने के बाद सरकार और अनुदेशक दोनों सुप्रीमकोर्ट के द्वार पर खड़े है, कोर्ट ने कहा कि पहले 17000 हजार दो फिर आओ। देखते है आगे क्या होगा। फिलहाल मामला कोर्ट में पेंडिंग है। 

वहीं उत्तर प्रदेश में बीजेपी के शासनकाल में पूर्व मुख्यमंत्री माननीय कल्याण सिंह के द्वारा 1999-2000 में प्राथमिक विद्यालयों में की शिक्षकों की कमी को देखते हुए उन जगह को भरने के उद्देश्य से तथा विद्यालयों में सुचारूप से चलाने के उद्देश्य से शिक्षामित्र का चयन किया गया। शिक्षा मित्र के पद पर चयन कर उन्हे 2250 रुपए के मानदेय पर सिर्फ बच्चों को पढ़ाने का काम दिया गया था। उस समय बड़ी तादात में प्राइमरी स्कूल शिक्षकों के अभाव में बंद हो गए थे। 

समय बीतने के साथ-साथ मानदेय की मांग के दौरान कई बार लाठियां चली लोग जेल भी गए तब जाकर 2250 से 24 सौ रुपए फिर 3000 और उसके बाद 5000 मानदेय हुआ। उसके बाद सपा सरकार आई और अपने घोषणा पत्र के वादे के मुताबिक प्रदेश के सभी 137000 शिक्षा मित्रों का समायोजन किया गया। अब शिक्षा मित्रों को 40000 हजार वेतन मिलने लगा। तब एक तबका हाईकोर्ट चला गया जहां सरकार की लचर पैरवी के चलते शिक्षा मित्र हार गया और सरकार अपील में सुप्रीमकोर्ट चली गई जहां फिर हार गए। उसके बाद सरकार ने दस हजार रुप���े का मानदेय किया है तब से लेकर अब तक कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई।

अब आप बताओ हर त्यौहार पर हमेशा ये लोग मानदेय को लेकर रोना रोते है जब एक प्रोग्राम में महिला शिक्षा मित्र ने रोकर अपनी बात कही तो मामला भावुक हो गया। 

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