बाबरी विध्वंस केस में फैसला 30 सितंबर को, कोर्ट ने आडवाणी, उमा समेत सभी 32 आरोपियों को मौजूद रहने को कहा

कोर्ट ने मामले में सभी 32 मुख्य आरोपियों को इस दिन सुनवाई में शामिल होने को कहा है.

Update: 2020-09-16 13:00 GMT

लखनऊ : बाबरी विध्वंस मामले में (Babri Demolition Case) लखनऊ में सीबीआई की स्पेशल कोर्ट (CBI Special Court) 30 सितंबर को फैसला सुनाने वाली है. कोर्ट ने मामले में सभी 32 मुख्य आरोपियों को इस दिन सुनवाई में शामिल होने को कहा है. इनमें भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं जैसे- लालकृष्ण आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी और कल्याण सिंह भी शामिल हैं. इस केस में स्पेशल सीबीआई सीबीआई जज एसके यादव फैसला सुनाने वाले हैं.

इसके पहले स्पेशल जज ने 22 अगस्त को ट्रायल का स्टेटस रिपोर्ट देखने के बाद मामले की सुनवाई पूरी करने की समय सीमा को एक महीना बढ़ाकर 30 सितंबर तक कर दिया था. कोर्ट ने ट्रायल पूरी करने के लिए 31 अगस्त तक का वक्त दिया था. मामले में दो सितंबर से फैसला लिखना शुरू किया जाना था. सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील मृदल राकेश, आईबी सिंह और महिपाल अहलूवालिया ने आरोपियों की तरफ से मौखिक दलीलें पेश की. इसके पहले कोर्ट ने नाराजगी जताई थी कि बचाव पक्ष अपना लिखित जवाब दाखिल नहीं कर रहा. स्पेशल जज ने बचाव पक्ष के वकील से कहा था कि अगर वह मौखिक रूप से कुछ कहना चाहते हैं तो 1 सितंबर तक कह सकते हैं, वरना उनके मौके खत्म हो जाएंगे.

इसके बाद सीबीआई के वकीलों ललित सिंह, आर.के. यादव और पी. चक्रवर्ती ने भी मौखिक दलीलें दीं थीं. सीबीआई सुनवाई के दौरान आरोपियों के खिलाफ 351 गवाहों और लगभग 600 दस्तावेज प्रस्तुत कर चुकी है. अदालत को फैसला करने में सीबीआई के गवाहों और दस्तावेजों पर गौर करना है. एजेंसी पहले ही 400 पेजों की लिखित बहस दाखिल कर चुकी है.

बता दें कि बाबरी मस्जिद को कारसेवकों ने दिसंबर, 1992 में ढहाया था. उनका दावा था कि अयोध्या में यह मस्जिद भगवान राम के ऐतिहासिक राम मंदिर के स्थान पर बनाई गई थी. बाबरी विध्वंस मामले में अदालत का फैसला 28 साल बाद आ रहा है.

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