उत्तर प्रदेश में गठबंधन में साथियों को सीट देने से पहले बीजेपी ने अपना ट्रंप कार्ड चल दिया है, बीजेपी के रुख को देखे तो साफ है पार्टी लोकसभा सीटों के मामले में समझौता करने को तैयार नहीं है. बीजेपी गठबंधन के मामले में सबसे ज्यादा परेशान राज्य सरकार में मंत्री और सुहलदेव समाज पार्टी के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से है. राजभर अक्सर अपने बयानों के जरिए सरकार के लिए संकट पैदा करते रहे हैं.
सहयोगी दलों को मनाने के लिए बीजेपी की नई पहल
यही वजह है कि बीजेपी ने ओम प्रकाश राजभर के बेटे अरविन्द राजभर को उत्तर प्रदेश के लघु उद्योग निगम और उनके करीबी समझे जाने वाले सुदामा राजभर को पशुधन विकास निगम का चेयरमैन बनाया. साथ ही राज्य मंत्री का दर्जा भी दे दिया. इसके अलावा राजभर की पार्टी से जूड़े 6 और लोगों को अलग- अलग निगमों में पद दिया गया. इसके बावजूद भी बात नहीं बनी तो बेजेपी ने अलग रणनीति अपनाई.
ऐसे में भगवा पार्टी ने ओम प्रकाश राजभर के राजनीतिक प्रभाव वाले राजभर समुदाय के वोटों की काट के लिए राज्य सरकार में मंत्री अनिल राजभर का कद बढ़ा दिया. राजभर मतदाताओं के प्रभाव वाले इलाकों में बीजेपी ने कई मौकों पर अनिल राजभर का कद बढ़ा कर पेश किया. इसके पहले पार्टी ने सकलदीप राजभर को राज्यसभा भेजकर ये संदेश दे दिया है कि राजभर वोटों पर सिर्फ ओम प्रकाश राजभर का ही कब्जा नहीं है.
वहीं, बीजेपी के अंदरुनी सूत्रों की मानें तो बीजेपी अनुप्रिया पटेल के अपना दल को 2 और ओमप्रकाश राजभर के सुहलेदव समाज पार्टी को एक से ज्यादा सीट देनें को तैयारा नहीं है. पार्टी लोकसभा सीटों को छोड़ इनकी और मांगे मानने को तैयार नहीं है, भले ही पार्टी को लोकसभा चुनावों में इनका साथ क्यों न छोड़ना पड़े.