दिल्ली: समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव और बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती के बीच बातचीत हुई. उनकी मुलाकात 4 घंटे से ज्यादा समय तक चली. इस मैराथन मुलाक़ात के बाद अब सीटों का तालमेल भी तय हो चुका है जिसकी 15 जनवरी तक घोषणा हो जाना तय माना जा रहा है.
समाजवादी पार्टी और बीएसपी के बीच महागठबंधन लगभग अब तय मुकाम पर पहुंच चुका है. इस गठवंधन में राष्ट्रीय लोकदल और अन्य क्षेत्रीय दलों को भी शामिल किया जाएगा. फिलहाल कांग्रेस इस महागठबंधन में शामिल नहीं है. लेकिन महागठबंधन अमेठी और रायबरेली की सीट छोड़ेगा. यह तय माना जा रहा है.
सूत्रों के हवाले से खबर है कि सपा और बसपा 37-37 सीटों पर अपने प्रत्याशी खड़े करेंगे. दो सीटें राष्ट्रीय लोकदल के लिए (संभावित रूप से अजीत सिंह और जयंत चौधरी) के लिए छोड़ी जाएगी. दो सीटें महागठबंधन के अन्य साथियों (संभावित रूप से ओमप्रकाश राजभर की पार्टी) के लिए छोड़ी जाएंगी. साथ ही अगर कांग्रेस साथ आती है तो उसे दो सीटें दी जाएंगी. इसके तहत राहुल गांधी के लिए अमेठी और सोनिया गांधी के लिए रायबरेली सीट छोड़ी जाएंगी. अन्य सीटों पर सपा और बसपा गठबंधन अपने उम्मीदवार उतारेंगे.
सूत्रों ने बताया कि अन्य साथियों के महागठबंधन में नहीं जुड़ने की स्थिति में 1-1 सीटें सपा और बसपा आपस में बांट लेंगी. कांग्रेस पार्टी को फिलहाल दो से ज्यादा सीटें देने से दोनों नेताओं ने इनकार कर दिया है.
माना जा रहा है कि सपा-बसपा के साथ रालोद का जुड़ना तय है. हालांकि कांग्रेस पर संशय बना हुआ है. जानकारी के अनुसार, कांग्रेस सीटें बढ़ाने की मांग कर रही है लेकिन दोनों दल इस पर राजी नहीं है. मायावती कांग्रेस को ज्यादा भाव नहीं दे रही हैं. मध्य प्रदेश में भी बसपा ने अकेले लड़ने का ऐलान कर दिया है.
वहीँ इस महागठबंधन के बीच बढती नजदीकियों से बीजेपी की हालत पतली होती नजर आ रही है. अगर इस महागठबंधन ने अपने उम्मीदवारों को लेकर सही निर्णय लिया तो यूपी में परिणाम कुछ अलग होंगे जिसका केंद्र सरकार की सेहत पर बुरा असर पड़ेगा. बता दें की कुछ लोंगों का मानना है कि अगर यूपी में महागठबंधन बन जाता है तो इसके हिस्से में 60 से ज्यादा सीटें आ सकती है.