UP में IPS अधिकारियों की कथित तौर पर ट्रांसफर-पोस्टिंग में घिरे IPS अजयपाल को क्लीन चिट, सुबूतों के अभाव में कोर्ट ने बंद किया केस, पत्रकार चंदन-स्वप्निल राय भी बरी

उत्तर प्रदेश में IPS अधिकारियों की कथित तौर पर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने के आरोपों में घिरे जौनपुर के SSP अजयपाल शर्मा, पत्रकार चंदन राय समेत चार लोगों को बड़ी राहत मिली है।

Update: 2023-02-25 05:03 GMT

उत्तर प्रदेश में IPS अधिकारियों की कथित तौर पर ट्रांसफर-पोस्टिंग कराने के आरोपों में घिरे जौनपुर के SSP अजयपाल शर्मा, पत्रकार चंदन राय समेत चार लोगों को बड़ी राहत मिली है। भ्रष्टाचार निवारण संगठन (विजिलेंस) मेरठ सेक्टर में दर्ज हुए मुकदमे में फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लग गई है।

इन्वेटीगेशन ऑफिसर को पर्याप्त सुबूत नहीं मिल पाए। जिन ऑडियो रिकॉर्डिंग के आधार पर ये केस दर्ज हुआ था, उन्हीं ऑडियो से आरोपितों का वॉयस सैंपल मैच नहीं हुआ। आखिरकार इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर ने FR लगा दी और फिर कोर्ट ने इसे स्वीकार भी लिया है।

आपत्तिजनक वीडियो पर दो अफसरों में हुआ था विवाद

साल-2019 में जिला गौतमबुद्धनगर के SSP रहे अजयपाल शर्मा और वैभव कृष्ण के बीच विवाद हुआ था। कुछ आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हुई थीं। एक IPS ऑफिसर ने माना कि वीडियो वायरल करने में कहीं न कहीं दूसरे IPS ऑफिसर का हाथ है। जड़ें खुदनी शुरू हुईं तो पूर्व SSP अजयपाल शर्मा से जुड़ी छह ऑडियो रिकॉर्डिंग 3 सितंबर को नोएडा पुलिस को मिलीं।

तत्कालीन एसएसपी नोएडा वैभव कृष्ण ने शासन को भेजी थी रिपोर्ट 

ये रिकॉर्डिंग 5 और जून 2019 की थीं। इसमें IPS ऑफिसर और कुछ पत्रकारों के बीच कथित तौर पर IPS ऑफिसरों की ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर रुपयों के लेनदेन की बात हो रही थी। एक ऑडियो में अजयपाल शर्मा की पोस्टिंग मेरठ, आगरा या सहारनपुर कराने के नाम पर 20 लाख व 50 लाख रुपए टोकन मनी का जिक्र हो रहा था। तत्कालीन एसएसपी वैभव कृष्ण ने एसआईटी जांच की सिफारिश करते हुए शासन को पूरा चिट्ठा बनाकर भेज दिया।

19 सितंबर 2020 को विजिलेंस ने की दर्ज की FIR 

पहले एसआईटी जांच हुई। फिर शासन के आदेश पर 19 सितंबर 2020 को नोएडा के पूर्व SSP अजयपाल शर्मा, पत्रकार चंदन राय, स्वप्निल राय और एडवरटाइजिंग एजेंसी संचालक अतुल कुमार शुक्ला के खिलाफ मेरठ विजिलेंस सेक्टर में भ्रष्टाचार की FIR हुई। ये FIR इंस्पेक्टर विजय नारायण तिवारी ने कराई थी।

मुकदमे में सबूत सच साबित नहीं हुए 

इंस्पेक्टर विजय नारायण ने मुकदमा दर्ज होने से पहले हुई प्रारंभिक जांच में मुकदमे का आधार इन्हीं छह ऑडियो क्लिप को बनाया था। इस मुकदमे की सुनवाई मेरठ की एंटी करप्शन कोर्ट में चली। आरोपितों ने कहा कि उन्हें गलत फंसाया जा रहा है। कोर्ट चाहे तो उनकी आवाज का मिलान करा सकता है।

पिछले साल कोर्ट के आदेश पर सभी नामजद आरोपितों का वॉयस सैंपल लेकर लखनऊ लैब में जांच के लिए भेजा गया। IPS अजयपाल शर्मा की वॉयस 100 फीसदी मिसमैच मिली। जबकि अन्य तीनों लोगों की वॉयस मैचिंग ग्रेविटी स्टैंडर्ड 60% से कम पाई गई। कुल मिलाकर वॉयस मैच नहीं होने से नामजद आरोपितों को उसी वक्त राहत मिल गई थी।

23 फरवरी को मुकदमा हुआ बंद 

अब 11 फरवरी 2023 को इस मुकदमे के इन्वेस्टीगेशन ऑफिसर ने पर्याप्त सुबूत के अभाव में फाइनल रिपोर्ट लगाकर एंटी करप्शन कोर्ट मेरठ में प्रस्तुत की। 23 फरवरी 2023 को कोर्ट में इस रिपोर्ट पर सुनवाई हुई। मुकदमा वादी विजय नारायण तिवारी ने कोई प्रोटेस्ट नहीं किया। जिसके बाद कोर्ट ने ये फाइल बंद करने का आदेश जारी कर दिया है। एंटी करप्शन कोर्ट के एडीजीसी सत्येंद्र कुमार ने 'दैनिक भास्कर' से इसकी पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि विजिलेंस सेक्टर-मेरठ में दर्ज मुकदमा संख्या-01/2020 साक्ष्यों के अभाव में न्यायालय ने बंद कर दिया है।

इस पूरे प्रकरण में ये बताना भी जरूरी है कि जब IPS वैभव कृष्ण और अजयपाल शर्मा में विवाद शुरू हुआ तो उप्र शासन ने आईपीएस वैभव कृष्ण को सस्पेंड किया था जबकि अजयपाल शर्मा समेत, IPS ऑफिसर सुधीर सिंह, गणेश साहा, हिमांशु कुमार और राजीव नारायण मिश्रा को तत्काल मुख्य जिम्मेदारी से दूर कर दिया था। और ज्यादातर वक्त पीएसी कमांडेंट के तौर पर बीता। 

 वैभव कृष्ण 5 मार्च 2021 को बहाल हो गए। फिलहाल वे लखनऊ मुख्यालय में SP सुरक्षा हैं।  

इसके बाद धीरे-धीरे एक-एक करके इनकी बहाली शुरू हुई। अजयपाल शर्मा को पिछले दिनों ही जौनपुर SSP बनाकर भेजा गया है।राजीव नारायण मिश्र को एक दिन पहले ही मिर्जापुर का कार्यवाहक SSP बनाया है। हिमांशु कुमार मुरादाबाद पीएसी में सेनानायक हैं। गणेश साहा को पिछले महीने ही लखीमपुर खीरी का SSP बनाया है।

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