सीएम योगी आदित्यनाथ ने शिक्षकों को दी नसीहत, जनगणना ड्यूटी से भागें नहीं
योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग को अप्रैल 2021 तक के लिए तीन लक्ष्य दिए। इनमें परिषदीय स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करना, शिक्षकों का रिफ्रेशर कोर्स लागू करना और पाठ्यक्रम का सरलीकरण शामिल हैं।
लखनऊ। मुख्यमंत्री बुधवार को लखनऊ के डॉ राम मनोहर लोहिया विवि में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी व सीएसआर (कारपोरेट सोशल रिस्पांसबिलिटी) कॉन्क्लेव में शिक्षकों को संबोधित किये। शिक्षकों को जनगणना के काम से न भागे ने की सलाह देते हुए कहा कि जब आप जनगणना करेंगे तो जानेंगे कि आपके स्कूल में आने वाला बच्चा किन परिस्थितयों से आता है। उसके घर की दिक्कतें क्या हैं? तभी आप असली ज्ञान दे पाएंगे। वही मुख्यमंत्री शिक्षकों के बीच गए तो खुद एक आदर्श शिक्षक के रूप में नजर आए। उन्होंने कहा, चुनौतियों का सामना करने की शिक्षा सिर्फ अध्यापक ही दे सकता है।
उन्होने ने कहा कि यदि आज विश्वविद्यालयों में युवा अराजक हो रहा है, देश के टुकड़े करने की बात करता है तो उसकी शिक्षा पर प्रश्न खड़ा होता है। शिक्षक के काम पर सवाल खड़े होते हैं। उन शिक्षकों को सोचना चाहिए जिन्होंने इन्हें प्राइमरी और माध्यमिक स्तर पर शिक्षा देकर विश्वविद्यालय तक पहुंचाया। उन्हें आत्म मंथन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि शिक्षक स्कूल जाएगा और अक्षर व अंकज्ञान करवाएगा तो बच्चा खुद ही पढ़ने लगेगा। शिक्षक को सिर्फ स्कूल तक सीमित नहीं होना चाहिए।
योगी ने बेसिक शिक्षा विभाग को अप्रैल 2021 तक के लिए तीन लक्ष्य दिए। इनमें परिषदीय स्कूलों में एनसीईआरटी का पाठ्यक्रम लागू करना, शिक्षकों का रिफ्रेशर कोर्स लागू करना और पाठ्यक्रम का सरलीकरण शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षकों को आचार्य चाणक्य को अपना आदर्श मानते हुए समाज और आवश्यकता के अनुरूप खड़े होना पड़ेगा। यदि ऐसा नहीं कर सकते तो वे अपने पेशे, वर्तमान व भावी पीढ़ी के प्रति दोषी होंगे। यदि अपने पेशे के प्रति शिक्षकों में सम्मान का भाव नहीं है तो उसे तत्काल छोड़ दें, सरकार और समाज पर बोझ न बनें। शिक्षक केवल स्कूल जाने तक सीमित नहीं रहें, बल्कि वे सर्वज्ञ रहकर खुद भी चुनौतियों का मुकाबला करें और भावी पीढ़ी में भी वही भाव पैदा करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मार्च 2017 में उन्होंने सत्ता संभाली तब प्रदेश में बेसिक शिक्षा की स्थिति बहुत खराब थी। स्कूलों में प्रोक्सी टीचर्स पढ़ाते थे, इन्फ्रास्ट्रक्चर और सुविधाएं नहीं थीं। तीन साल में सरकार के प्रयास से 92 हजार स्कूलों का कायाकल्प हुआ है। स्कूलों में अवस्थापना सुविधाओं के साथ स्मार्ट क्लास, लाइब्रेरी भी उपलब्ध कराई गई है। यदि कॉरपोरेट जगत इसमें सहयोग करे तो 31 मार्च तक सभी 1.58 लाख स्कूलों का कायाकल्प संभव हो सकता है।