यूपी में दो लाख शिक्षकों के परिवार संकट में, परिवार दाने दाने को मोहताज

उत्तर प्रदेश के शिक्षा मित्र अनुदेशकों के परिवार भुखमरी के कगार पर आए।

Update: 2024-01-14 17:30 GMT

उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग में कार्यरत अनुदेशक, शिक्षा मित्र और कस्तूरबा बालिका विधालय के शिक्षक अब दानेदाने को मोहताज हो गए है। अनुदेशक और शिक्षा मित्रों को एक जनवरी से 15 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश तो मिला लेकिन उन्हे इस अवकाश का मानदेय नहीं मिलेगा। इस कारण इनके पौने दो लाख परिवार संकट में है। जबकि कस्तूरबा गांधी बालिका विधालय की महिला शिक्षको और बालिकाओं को शीतकालीन अवकाश भी नहीं मिला। यह एक ही पढ़ाई की पद्धति में दोहरा मापदंड कैसा है। 

क्या है मामला 

उत्तर प्रदेश के प्राथमिक विधालय में डेढ़ लाख शिक्षा मित्र कार्यरत है। साथ ही उच्च प्राथमिक विधालय में 27555 अनुदेशक पढ़ाते है। जिन्हे पिछले वर्ष से जो एक माह का मानदेय नहीं मिलता था उसे अब दो बार झटका दिया गया है। एक बार यह मानदेय जून के महीने में 15 दिन नहीं मिलता है साथ ही जनवरी के 15 दिन भी अब नहीं मिलता है। हालांकि इससे पहले भी एक माह का ही मानदेय नहीं मिलता था लेकिन वो जून के महीने में ही 30 दिन का गेप होता था उस दौरान अनुदेशक और शिक्षा मित्र एक माह मजदूरी , सब्जी और रिक्शा चलाकर अपना भरण पोषण करते थे। लेकिन अब यह अवकाश सरकार ने पिछले वर्ष से दो बार में दिया जाने लगा अब इनके घर में भोजन का संकट दो माह होने लगा क्योंकि इस भीषण महंगाई में चार हजार पाँच हजार में एक माह का घर खर्च कैसे चलेगा। 

कस्तूरबा के शिक्षकों की समस्या 

उत्तर प्रदेश के 746 कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में से कई जिलों में तो शीतकालीन अवकाश हुआ जबकि कई जिलों में आज भी अवकाश को लेकर झगड़ा हो रहा है। जबकि इस भीषण ठंड में भी कई जिलों में अवकाश की घोषणा नहीं हुई जबकि कई जिलों अत्यधिक शीतलहर को दृष्टिगत रखते हुए जिलाधिकारी द्वारा प्रदत्त निर्देश के अनुपालन में कक्षा 1 से8 तक के समस्त परिषदीय विद्यालय/ कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय/ सीबीएसई/ आईसीएसई ( समस्त बोर्ड ) / मान्यता प्राप्त सभी विद्यालयों में दिनांक-15 से16 जनवरी 2024 तक अवकाश घोषित किया जाता है। गोंडा जिले के अधिकारियों को और कस्तूरबा विद्यालय के बच्चो,स्टाफ को ठंड नही लगती ये सभी फौलाद के बने है। यह सभी कर्मचारियों ने शिकायत भी की। 

इसके बावजूद इनके यहाँ भी वेतन बिसगतियों को लेकर लगातार मांग होती रहती है। 

अभी बीते दिनों शिक्षा मित्रों ने धरना दिया उसके बाद उनकी लगातार सरकार से वार्ता हो रही है लेकिन अभी तक कोई परिणाम नहीं निकला है जबकि अनुदेशकों ने 27 दिसंबर को धरना दिया तो उनसे भी सरकार के अधिकारियों ने 15 दिन का समय मांगा था। जो बीते 12 जनवरी को पूरा हो गया है। अभी उनको भी कुछ नहीं मिला है। हालांकि इस दौरान शिक्षा मित्रों को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों में कार्यरत शिक्षामित्रों को दिए जा रहे मानदेय को देश के वित्तीय इंडेक्स के अनुसार जीवन यापन के लिए जरूरी धनराशि से काफी कम माना है। शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर विचार कर निर्णय लेने के लिए राज्य सरकार को चार हफ्ते में एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने उम्मीद जताई है कि उच्च स्तरीय कमेटी अगले तीन माह में सहानुभूतिपूर्वक विचार कर नियमानुसार शिक्षामित्रों के मानदेय बढ़ाने पर उचित निर्णय लेगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने जितेंद्र कुमार भारती सहित 10 याचिकाओं को निस्तारित करते हुए दिया है।

अब देखना यह होगा कि इन दो लाख परिवारों की जिम्मेदारी कौन लेगा जो भुखमरी के कगार पर बैठे हुए है। जहां प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार प्रदेश के जनहित के काम कर रहे हो तो प्रदेश के मुखिया को इन बातों को प्राथमिकता पर देखना होगा। 

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