लखनऊ. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में मौसम के बदले मिजाज के चलते तेज हवाओं के साथ बारिश और ओले पड़ने से किसानों (Farmers) की मुसीबतें बढ़ गई हैं. एक ओर जहां बेमौसम बारिश और ओले गिरने से दलहनी और तिलहनी फसलों पर खासा बुरा असर पड़ रहा है, तो वहीं दूसरी ओर तेज हवाओं के चलते बड़े स्तर पर गेंहू की फसल भी खेतों में गिर गई है. यही नहीं, अगले 48 घंटे इसी तरह का मौसम रहने की आशंका जताई गई है. इस वजह से पूर्वी-पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ बुंदेलखड से जुड़े लाखों किसानों को बड़ा नुकसान होने की और संभावना बढ़ गई है.
लखनऊ के उप कृषि निदेशक ये बोले
लखनऊ के उप कृषि निदेशक सीपी श्रीवास्तव ने कहा कि बारिश के साथ ओले पड़ने के चलते सर्वाधिक नुकसान चना और मसूर जैसी दलहनी और सरसों जैसी तिलहनी फसलों का हो रहा है. दरअसल, ओले पड़ने पर पकी फलियां कटकर जमीन पर गिर जाती हैं. जबकि जो फसलें कटकर मडाई के लिये खलिहानो में पड़ी हैं, उनमें और अधिक नुकसान होता है. हालांकि इस दौरान तेज हवाओं के साथ हुई बारिश और ओले गिरने से दलहनी-तिलहनी फसलों के साथ ही साथ न सिर्फ गेंहू की फसल भी गिर जाने से काफी नुकसान हुआ है बल्कि आलू और टमाटर जैसी कई सब्जियों पर भी इस ओलावृष्टि का बुरा असर पड़ा है.
48 घंटे रहेगा ऐसा ही मौसम
उप कृषि निदेशक श्रीवास्तव के मुताबिक यूं तो होली से पहले हर बार हल्की बारिश होती है, लेकिन इस बार जलवायु परिवर्तन के असर के चलते बारिश के साथ ओले भी पड़ रहे हैं. ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारी जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से बचने के लिए किसानों को अपने खेत की मेड़ों पर ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने की सलाह दे रहे हैं. जबकि अगले 48 घंटे तक इसी तरह का मौसम रहने की भी उम्मीद जताई है, जो कि किसानों के लिए और मुसीबत खड़ी कर सकती है. हालांकि अधिकारी मौसम से किसान को हुए नुकसान की प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभ के साथ सरकार सें मुआवजा दिलाकर भरपाई करने का दावा कर रहे हैं.