महावीर चक्र विजेता ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान का नाती कैसे बना माफिया डॉन?
मुख्तार अंसारी की कहानी विरोधाभासों से भरी पड़ी है. जिसका मुख्य पड़ाव उत्तर प्रदेश वापसी से पूरा होता नजर आ रहा है.
उत्तर प्रदेश में इस समय मुख्तार अंसारी को लेकर बड़ी बड़ी खबरें वायरल हो रहीं हैं. पंजाब से बांदा जेल की यात्रा हो या फिर स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के पोते का माफिया डान बनने तक का रहस्य पूरा का पूरा मेंन स्ट्रीम मीडिया की ब्रेकिंग न्यूज़ बना हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद करीब 14 घंटे के सफर के पश्चात सुबह करीब 4:30 बजे पुख्ता सुरक्षा इंतजामों के बीच पूर्वांचल के बाहुबली मुख्तार अंसारी का काफिला बांदा जेल पहुंच चुका था. सुबह करीब 4:00 बजकर 26 मिनट पर बांदा जेल का दरवाजा खोल दिया गया. काफिले की बाकी गाड़ियां रोक ली गई और मुख्तार अंसारी की है एम्बुलेंस दन-दनाती हुई जेल में दाखिल हो गई. यह एंबुलेंस मुख्तार अंसारी को लेकर पंजाब के रोपड़ जिले से 2:00 बजे रवाना हुई थी जो हरियाणा के रास्ते आगरा इटावा और औरैया होते हुए बांदा जेल तक सफर करके पहुंची.
करीब 14 घंटे से ज्यादा सफर के दौरान मीडिया कर्मी की नजर से यह काफिला 1 मिनट के लिए भी ओझल नहीं हुआ था. पूरी रात पर विभिन्न चैनलों के संवाददाता तस्वीरें शेयर करते रहे अपडेट भेजते रहे. लेकिन मुख्तार अंसारी के सारे गुनाहों का हिसाब किताब अब बांदा जेल में होगा. पंजाब के रोपड़ जिले से वादा निकले मुख्तार के काफिले के साथ रात भर अधिकारियों सायरन बजाती हुई सफर करती रही तो उन गाड़ियों के पीछे पल-पल की जानकारी मीडिया की गाड़ियां भी लेती रही. सबके मन में सवाल था कहीं ये हादसा विकास दुबे की तरह ना हो जाए और एक और उत्तर प्रदेश की पुलिस के नाम एनकाउंटर बढ़ जाए.
मुख्तार अंसारी के दादा स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. नाना फौज में बिग्रेड के ब्रिगेडियर मुख्तार अंसारी माफिया डॉन कैसे बन गया? यह सवाल सबके जीवन में आज तक कौंधता रहा. रौबदार मूछों वाला यह शख्स और मऊ का विधायक पूर्वांचल का माफिया डॉन आज भले ही व्हीलचेयर के सहारे हो लेकिन मऊ और उसके आसपास के इलाके मैं मुख्तार अंसारी की तूती बोलती थी. अंसारी के ठिकानों को जमींदोज किया जा रहा है. लेकिन कभी समय हुआ करता था जब पूरा उत्तर प्रदेश मुख्तार अंसारी के नाम काँप जाता था. भारतीय जनता पार्टी को छोड़कर उत्तर प्रदेश की हर बड़ी राजनीतिक पार्टी में मुख्तार अंसारी शामिल रह चुके हैं और पिछले 24 साल से लगातार उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं. 1996 में बसपा के टिकट पर जीत कर पहली बार विधानसभा पहुंचे मुख्तार अंसारी 2002 2007 2012 और फिर 2017 में भी मऊ से जीत हासिल कर चुके हैं. 2017 में जब पूरे उत्तर प्रदेश में भाजपा ने परचम लहरा दिया था तब भी मऊ सीट पर मुख्तार अंसारी अपना कब्जा बरकरार रखने में कामयाब रही थी. इन चुनाव में से आखिरी तीन चुनाव तो मुख्तार ने देश की अलग-अलग जेलों में बंद रहते हुए लड़े और जीते राजनीति डालें मुख्तार को जुर्म की दुनिया का सबसे बड़ा चेहरा बना दिया था देखते ही देखते हर संगठित अपराध में उसकी जड़े जमीन में गहरी होती चली गई थी.
जाति दुश्मनी से ही मुख्तार अंसारी का नाम बड़ा हुआ और वह साल 2002 था जितने मुख्तार की जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया. इसी साल बीजेपी के विधायक कृष्णानंद राय ने अंसारी परिवार के पास साल 1985 से रही गाजीपुर की मोहनदाबाद विधानसभा सीट छीन ली थी. हालांकि कृष्णानंद राय विधायक के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और 3 साल बाद अर्थात 2005 में हत्या कर दी गई. यह हत्या उस समय हुई जब कृष्णानंद राय एक कार्यक्रम का उद्घाटन करके लौट रहे थे तभी उनकी गाड़ी को चारों तरफ से घेर कर अंधाधुंध फायरिंग की गई. हमला ऐसी जगह पर हुआ था जहां से गाड़ी को दाएं बाएं मोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. हमलावरों ने एके-47 जैसी ऑटोमेटेड गन से तकरीबन 500 से ज्यादा गोली चलाई और कृष्णानंद राय की गाड़ी में मौजूद सभी सात लोग मारे गये थे. बाद में इस केस की जांच यूपी पुलिस से लेकर सीबीआई को दी गई थी.
कृष्णानंद राय की पत्नी अलका राय की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केस 2013 में गाजीपुर से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया. लेकिन गवाहों के मुकर जाने से यह मामला अपने अंतिम मुकाम तक न पहुंच सका दिल्ली की विशेष अदालत ने 2019 में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर गवाहों को ट्रायल के दौरान विटनेस प्रोटक्शन स्कीम 2018 का लाभ मिलता है. तो इस केस का नतीजा कुछ और हो सकता था.
यहां तो गवाह का अकाल पढ़ने से मुख्तार अंसारी जेल से छूट गया. मुख्तार भले ही जेल में रहा लेकिन गैंग हमेशा उन इलाकों में सक्रिय रहा जहां उसकी तूती बोलती थी. लेकिन अब उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ की सरकार थी. सरकार के शपथ ग्रहण करने के बाद मुख्तार अंसारी के बुरे दिन शुरू हो चुके थे. मुख्तार अंसारी पर यूपी में 52 केस दर्ज है. यूपी सरकार की कोशिश है कि मुख्तार अंसारी को 15 केस में जल्द से जल्द सजा दिलाई जाए, योगी सरकार अब तक अंसारी और उसके गैंग की 192 करोड़ से ज्यादा संपत्तियों को या तो ध्वस्त कर दी कर चुकी है या फिर जप्त कर चुकी है. मुख्तार की अवैध और बेनामी संपत्तियों की लगातार पहचान की जा रही है. मुख्तार गैंग के अब तक ९२ अभियुक्त गिरफ्तार किए जा चुके हैं. जिनमें 75 पर गैंगस्टर एक्ट में भी कार्रवाई की जा चुकी है. अब कुल मिलाकर मुख्तार अंसारी योगी सरकार के निशाने पर हैं. जिससे मुख्तार परिवार पूरी तरीके से भयभीत है.
मुख्तार अंसारी भले ही आज उत्तर प्रदेश में संगठित अपराध का चेहरा बन चुका है. लेकिन गाजीपुर में उनके परिवार की पहचान प्रथम राजनीतिक परिवार की है. 15 साल से ज्यादा वक्त जेल में बंद मुख्तार अंसारी के दादा डॉक्टर मुख्तार अहमद अंसारी स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे. गांधी जी के साथ काम करते हुए वह 1926 और 27 में कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे हैं. मुख्तार अंसारी के नाना ब्रिगेडियर मोहम्मद उस्मान को 1947 की लड़ाई में सहादत के लिए महावीर चक्र प्रदान किया गया था .मुख्तार के पिता सुभान उल्लाह अंसारी गाजीपुर में अपनी साफ-सुथरी छवि के साथ राजनीति में सक्रिय रहे. भारत के पूर्व राष्ट्रपति हामिद अंसारी रिश्ते में मुख्तार अंसारी के चाचा हैं. तो मुख्तार अंसारी की कहानी विरोधाभासों से भरी पड़ी है. जिसका मुख्य पड़ाव उत्तर प्रदेश वापसी से पूरा होता नजर आ रहा है.
यूपी पुलिस के सर्किल ऑफीसर सदर बांदा सत्य प्रकाश शर्मा ने बताया क्या मैं मुख्तार अंसारी को बाधा लाने का काम सौंपा गया था. रोपड़ से लाकर बांदा जेल में शिफ्ट कर दिया गया है. शाम 6:00 बजे के करीब पुलिस का काफिला मुख्तार अंसारी को लेकर यूपी की सीमा में प्रवेश कर गया था. हरियाणा के सोनीपत से ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे की रात से यूपी के बागपत में एंट्री हुई थी. इस दौरान यूपी के बॉर्डर से पहले ही काफी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा. हमने पूरी तरह सुरक्षित उसे जेल में शिफ्ट कर दिया है.