उत्तर प्रदेश सरकार के जब भी कैबिनेट की बैठक की चर्चा होती है प्रदेश में कार्यरत शिक्षा मित्रों और अनुदेशकों की धड़कन तेज हो जाती है। वो सोचने लगते है कि इस बार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी उनकी सुध जरूर लेंगे लेकिन जब बैठक में उनके मामले का जिक्र भी नहीं होता है तो फिर से नई उम्मीद के सहारे अपना काम शुरू कार देते है।
बता दें कि उत्तर प्रदेश की प्राथमिक शिक्षा अभी तक शिक्षा मित्रों के ऊपर ही आश्रित है लेकिन किसी भी शिक्षा मित्र ने यह नहीं आज तक कहा कि सरकार का काम हम नहीं करेंगे। लेकिन सरकार और शिक्षा मित्रों के बीच में आज तक कोई भी एसा विकल्प नहीं बन सका जो इनकी बात करा सके।
इसी तरह अनुदेशक का हाल है। सन 2013 में जब अनुदेशकों की भर्ती हुई थी तब सरकार ने कहा था कि आप अंशकालिक अनुदेशक के पद प्र विषय विशेष्ज्ञ के तौर पर निजी विकास खंड में भर्ती किए जाओगे लेकिन बाद में दूर अन्यंत्र जगह प्र भेजकर पूरे 8 घंटे अंशकालिक नहीं पूर्णकालिक काम लिया जाता है। 2017 के विधानसभा चुनाव के बाद सीएम योगी ने घोषणा भी कर दी और आज तक कोर्ट के आदेश के वावजूद भी इनका वेतन 17000 हजार नहीं मिला।
बता दें कि यूपी के चारों ओर स्तिथ राज्यों में शिक्षा मित्र , अनुदेशक जो कि बीस वर्ष और दस बर्ष से तैनात है उनका वेतन इतना कम किसी राज्य में नहीं है। लेकिन यूपी की सरकार इनके मामले को लेकर जरा सा भी संवेदनशील नहीं दिख रही है। सरकार महंगाई को देखते हुए इनके भरण पोषण लाइक तो मानदेय स्वीकृत कर दे।