भाजपा, विश्व हिन्दू परिषद और इसके पार्टनर बजरंग दल आदि ने जनता को भरोसा दिलाया था कि अयोध्या में राम मंदिर बनकर रहेगा। जब वादा किया तो अब उससे परहेज क्यो ? भाजपा और माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा तर्क दिया जा रहा है कि यह मामला अदालत में लंबित है। जब अदालत में लंबित है तो नरेंद्र मोदी सहित भाजपाइयों ने जनता के साथ किस आधार पर मंदिर बनाने का दावा किया ? क्या जनता की भावनाओ के साथ खिलवाड़ नही है ? क्या यह धोखाधड़ी की श्रेणी में शुमार नही है ?
हकीकत यह है कि भाजपा की दुकान मे सामान खत्म हो चुका था तभी तो चुनावों के वक्त घिसे पिटे मुद्दे राम मंदिर निर्माण की बात की जाती है। मैंने संभवतया अप्रेल, 2014 को अपनी पोस्ट में कहा था कि लोकसभा के चुनाव से पूर्व भाजपा फिर से राम को बेचने का अथक प्रयास करेगी। मैंने यह भी दावा किया था कि 2019 तो 2029 तक भी कोई मंदिर नही बना सकता । हाँ, रामजी की खरीद-फरोख्त अवश्य होती रहेगी।
यदि राम मंदिर बनाना ही था तो इतने दिन भाजपा नेता खामोश क्यों रहे ? क्यो छिपे रहे बिलो में ? क्या भाजपा नेता बता सकते है कि चुनाव के चार साल के भीतर कितने नेताओं ने राम मंदिर के दर्शन किए अथवा राम मंदिर बनाने की दिशा में प्रभावी पहल की ? गाय को इंसान से ज्यादा तवज्जो देने वाली भाजपा और उसके नेता नरेंद्र मोदी, अमित शाह और जेटली (भाजपा और सरकार को केवल ये तीन लोग ही हांक रहे है) ने साढ़े चार साल में मंदिर निर्माण के लिए प्रभावी कदम क्यों नही उठाये ?
जिस प्रकार कांग्रेस गरीबी, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार का राग आजादी के बाद से अलाप रही है, उसी प्रकार भाजपा के पास बेचने लिए केवल एक मुद्दा है जिसे वह हर बार भुनाने का प्रयास करती है। मूर्ख जनता इन फरेबियों के जाल में फॅस कर उनकी बात को सच भी मान लेती है। खोटी चवन्नी की तरह यह मुद्दा एक बार कामयाब होगया था। लेकिन हर बार खोटी चवन्नी थोडे ही चलेगी। लगता यह भी है कि नरेन्द्र मोदी को अपने जादू पर भरोसा नही रहा, इसलिए उन्होंने यूपी चुनाव में राम मंदिर का आसरा लिया। उसके बाद पूरी तरह खामोश होकर बैठ गए। गुजरात मे इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश की होती तो जूते पड़ना स्वाभाविक था। इसलिए आजकल सीडी के जरिये सीढ़ी पर चढ़ने के प्रयास किया जा रहा है।
यदि भाजपा को वास्तव मे मंदिर बनाना है तो फालतू बैठे अडवानी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती आदि को सारे काम काज छोडकर राम मंदिर निर्माण के लिए युद्वस्तर पर जुट जाना चाहिए। यदि स्वयं नरेन्द्र मोदी भी वहाॅ चले जाए तो बेहतर होगा। मेरी भाजपा और कांग्रेस दोनो से एक ही विनती है कि जनता को बरगलाना छोडों। देश की जनता सबकुछ जानती है। हाँ, कुछ मूर्ख टाइप के भक्तों के लिए यही प्रार्थना की जा सकती है कि भगवान इन्हें सद्बुद्धि दे । नए वक्त के साथ अब नए मुखोटों की जरुरत है। पुराने मुखोटे जर्जर और अप्रासंगिक हो चुके है।