पत्रकार मामले में आईएएस अफसर पर गिरी गाज, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दिए जांच के आदेश, तीन गिरफ्तार

प्रदेश शासन ने आईएएस अधिकारी आई.पी.पांडेय को विशेष सचिव आबकारी के पद से हटाकर राजस्व परिषद् के सदस्य के पद पर स्थानांतरित कर दिया है.

Update: 2020-05-25 08:43 GMT

लखनऊ-सवा करोड़ रुपये खर्च करके कानपुर में विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष की कुर्सी हासिल करने के प्रयास के आरोप में आईएएस अधिकारी के खिलाफ कार्यवाही शुरू हो गयी है,प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अफसर को राजस्व परिषद् में भेज दिया है,इस मामले की जांच आगे भी जारी रहेगी।

कल ही इस मामले में तीन लोग गिरफ्तार किये गए थे,प्रदेश शासन ने आईएएस अधिकारी आई.पी.पांडेय को विशेष सचिव आबकारी के पद से हटाकर राजस्व परिषद् के सदस्य के पद पर स्थानांतरित कर दिया है,एस.टी.एफ की रिपोर्ट के बाद ये कार्यवाही की गयी है।

दरअसल एक ऑडियो वायरल होने के बाद प्रदेश सरकार के निर्देश पर वायरल ऑडियो की जांच शुरू की गयी तो यूपी एसटीएफ के आईजी अमिताभ यश और एसएसपी विशाल विक्रम सिंह ने गाज़ियाबाद से पीयूष अग्रवाल नाम के एक युवक को गिरफ्तार किया,जिसने कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति कराने के लिए एक आईएएस अफसर से 15 लाख रुपये ठग लिए और बताया था कि सौदा सवा करोड़ में तय हुआ था जिसके पेशगी के आईएएस अफसर ने 15 लाख दे भी दिए थे।

एसटीएफ द्वारा गिरफ्तार किए गए पीयूष अग्रवाल ने पूछताछ में बताया कि उससे गौरी कांत दीक्षित नाम का एक व्यक्ति मिला था। जिसने एक आईएएस अफसर की कानपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद पर नियुक्ति कराने के लिए सवा करोड़ रुपए खर्च करने की बात कही थी। गौरी कांत ने उसकी लखनऊ के कमलेश से मुलाकात कराई थी। जिसके बाद हुए सौदे के मुताबिक आईएएस आई.पी .पांडेय के दो रिश्तेदार 15 लाख रुपए एक लिफाफे में लेकर आए थे, जिसमे से उसने दो लाख कमलेश और दो लाख गौरीकांत को देकर, शेष 11 लाख अपने पास रख लिए थे और दिल्ली आ गया था। इसके बाद उसने आईएएस के स्थानांतरण का बहुत प्रयास किया जो अभी सफल नहीं हो सका।

इसके बाद गौरी कांत उस पर पैसा वापसी का दबाव बनाने लगा। लॉकडाउन में इधर उधर रुपए खर्च हो जाने के कारण वह वापस करने की स्थिति में नहीं था और तभी गौरी कांत ने उससे बातचीत की ऑडियो को वायरल कर दिया।एसटीएफ ने पीयूष अग्रवाल के खिलाफ लखनऊ के विभूतिखंड थाना में धोखाधड़ी के मामले में मुकदमा दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी थी |जिसके बाद एस.टी.एफ ने इस मामले में गौरी कान्त दीक्षित और कमलेश कुमार सिंह को भी गिरफ्तार कर लिया था। 

फिर पूरी कहानी खुलकर ये सामने आयी कि कानपुर में विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष के पद के लिए एक आईएएस अफसर ने सवा करोड़ रुपये देने तय किये,जिसमे से 15 लाख बतौर बयाना दे भी दिया गया था लेकिन लॉक डाउन के चलते तबादले बंद है, तो अफसर परेशान हो गए और उन्होंने अपने 15 लाख वापस मांगे ,मामला यहीं से बिगड़ गया,क्योंकि जो बयाना आया था वो तो पीयूष अग्रवाल,गौरीकान्त और कमलेश बाँट चुके थे,इसलिए वापस लौटाने को लेकर दिक्कत हो रही थी,इसी मामले में कमलेश ने पीयूष से हुई बात रिकॉर्ड कर ली और गौरीकांत ने ऑडियो वायरल करा दी,ये मामला जैसे ही शासन में पहुंचा तो वहां हडकंप मच गया और तत्काल इस पूरे मामले में एस.टी.एफ को जांच करने के आदेश दे दिए गए |आदेश के बाद जब एस.टी.एफ के आईजी अमिताभ यश ने ये जांच शुरू की तो सारा मामला खुलकर आ गया और तीन की गिरफ्तारी हो गयी।

 इस प्रकरण में एस.टी.एफ ने एक प्रेस बयान जारी करके बताया था कि आईजी अभिताभ यश के निर्देशन में प्रभारी एसएसपी विशाल विक्रम सिंह द्वारा उप निरीक्षक शिवनेत्र सिंह, के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच की जा रही थी। उक्त जाॅच के क्रम में लाखोें की ठगी करने वाले गिरोह का भण्डाफोड़ करते हुये अभियुक्त पीयूष अग्रवाल को एस0टी0एफ0 टीम द्वारा -21.05.2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। छानबीन के बाद प्रकाश में आये अभियुक्तों गौरी कान्त दीक्षित एवं कमलेश कुमार सिंह को भी एसटीएफ टीम द्वारा विजयीपुर अण्डरपास गोमतीनगर जनपद लखनऊ से गिरफ्तार कर लिया गया है | गिरफ्तार उपरोक्त अभियुक्तों में गौरीकान्त दीक्षित ने पूछताछ पर बताया कि मैं एवं पीयूष अग्रवाल गाजियाबाद में एक ही सोसायटी में रहते है और हमारे पारिवारिक सम्पर्क है, हम लोग धोखाधडी के कार्यो में लिप्त रहते हैं। मेरे गिरोह का सरगना पीयूष अग्रवाल (कथित दलाल) है।

जो एक सामाजिक कार्यकर्ता एवं डी0डी0 न्यूज का पत्रकार है। इसी कारण उसके तमाम बडे अधिकारियों से सम्बन्ध है जिसका प्रभाव दिखाकर वह लोगों को अपने जाल में फंसाकर ट्रान्सफर करवाने के नाम पर, हम लोगों के सहयोग से धोखाधडी करके पैसा ठग लेता है। कमलेश कुमार सिंह से हमारे पुराने सम्बन्ध है। कमलेश कुमार सिंह ने मुझसे एक आई0ए0एस0 अधिकारी की पोस्टिंग उपाध्यक्ष कानपुर नगर विकास प्राधिकरण के पद पर कराने के लिये कहा था, जिस पर मैने पीयूष अग्रवाल से ट्रान्सफर कराने के लिए बात किया, तब पीयूष अग्रवाल ने मुझसे कहा कि वह इस कार्य को करवा देगा, लेकिन इसमें 1 करोड रूपया खर्च होगा और इसके ऊपर जो तय होगा उसे हम तीनों आपस में बांट लेंगे।

यह डील सवा करोड़ (1.25 करोड़) में फाइनल हुई। इस कार्य हेतु पीयूष अग्रवाल, मेरे साथ एवं कई बार अकेले जनपद गाजियाबाद से लखनऊ आया। मैने ही पीयूष अग्रवाल की कमलेश से मुलाकात लखनऊ मेें कराई थी। गौरीकान्त ने बताया कि मेरे ही कहने पर कमलेश ने 2 मार्च को होटल सिलवर सेवन में जाकर पीयूष अग्रवाल को एडवांस के पन्द्रह लाख रूपया एक लिफाफे में दिया था, जिसमेें से उसी समय दो लाख रूपया पीयूष अग्रवाल ने कमलेश कुमार सिंह को दे दिया था, तथा दो लाख मेरे (गौरीकान्त दीक्षित) बैंक खाते में जमा करवा दिया था। शेष 11 लाख रूपये लेकर पीयूष अग्रवाल इटावा होते हुये दिल्ली चला गया था। ट्रान्सफर कराने हेतु पीयूष अग्रवाल ने काफी प्रयास किया किन्तु लाकडाउन होने के चलते किसी

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