भ्रष्टाचार के चलते बाढ़ तैयारियों में उदासीनता - बृजलाल खाबरी

ब्रजलाल खाबरी ने कहा पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक वर्षा की संभावना, राज्य सरकार हाथ पर हाथ रखकर बैठी है।

Update: 2023-07-08 13:43 GMT

लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी को भारी वर्षा से हो रही तबाही नहीं दिखायी दे रही है, यमुना नदी अपना रौद्र रूप धारण कर चुकी है, नेपाल की तरफ से भी पानी छोड़ा जा रहा है, बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की स्थिति अभी से भयावह होती जा रही है, पिछले वर्ष के मुकाबले अधिक वर्षा की संभावना मौसम वैज्ञानिकांे ने पूर्व में ही कर दी थी, बाढ़ से भारी तबाही की स्थितियां हर तरफ उत्पन्न हो रही हंै लेकिन योगी आदित्यनाथ सरकार हाथ पर हाथ रखे बैठी हुई है।

उ0प्र0 कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बृजलाल खाबरी पूर्व सांसद ने जारी बयान में कहा कि पिछले साल बाढ़ की भयावह स्थिति हुई, जिसमें सैकडों जानें गईं और लाखों लोगों को विस्थापित होना पड़ा, लेकिन सरकार द्वारा बाढ़ के जिम्मेदार अधिकारियों, अभियंताओं पर कोई जवाबदेही और कार्यवाही नहीं तय की गई। भ्रष्टाचार के चलते पिछली बार भी बाढ़ से बचाने के पुख्ता इंतजाम नहीं किए गए थे लेकिन उसके बाद भी उन भ्रष्टाचारी अफसरों पर कार्यवाही के बजाय वहीं तैनाती रखी गई है, सरकार की यह उदासीनता दर्शाता है कि भ्रष्टाचार को सरकार का पूरी तरह खुला संरक्षण है। जिन अफसरों ने पिछली बार बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में बाढ़ को रोकने के बजाय जमकर लूटपाट की, वह भी अपने पदों पर बैठे हुए हैं। भ्रष्टाचार की हद तो तब हो गई है जब इस बार भी स्थानांतरण नीति में ऐसे भ्रष्ट अफसरों को बचाने के लिए सिंचाई विभाग में ट्रांसफर नीति शून्य कर दी गई।

बृजलाल खाबरी ने कहा कि यमुना नदी के रौद्र रूप धारण करने और भारी वर्षा की संभावना के बाद केन, बेतवा, घाघरा, शारदा और गंगा आदि नदियों का जलस्तर भी बढ़ेगा, जिससे सबसे अधिक नुकसान किसानों का होगा, हजारों एकड़ कृषि भूमि जलमग्न हो सकती है, पूर्वांचल और बुंदेलखंड के इलाके वर्षा बाढ़ से जलमग्न होकर जनजीवन को प्रभावित करेंगे। लेकिन सरकार ने बाढ़ रोकने के लिए चल रही परियोजनाओं के पूरे करने में उदासीन रवैया रखा, नेपाल से बाढ़ से बचाव के लिए 20 परियोजनाएं हैं लेकिन अभी तक एक भी पूरी नही हुई। लखीमपुर, गोंडा, प्रयागराज और सीतापुर में भी बाढ़ परियोजनाओं की यही दुर्दशा है।

बृजलाल खाबरी ने कहा कि जनपद गोरखपुर जो कि मुख्यमंत्री का गृह क्षेत्र है लेकिन वहां भी उदासीनता चरम पर है। गोरखपुर में बाढ़ की 28 परियोजनाएं चल रहीं जिसमें मात्र 9 पूरी हो पाईं बाकी 19 की हालत बदतर है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार की सक्रियता न होना प्रदेशवासियों के लिये अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण साबित होगा। उन्होने कहा कि अभी तक सरकार ने वर्षा व बाढ़ से प्रभावित होने वाले इलाकों के लिये किसी तरह की बचाव के लिये तैयारियां नही की। इससे यह साबित होता है कि योगी सरकार को आम आदमी के जनजीवन से कोई लेना देना नही है। यदि बाढ़ और वर्षा से प्रभावित इलाकों के लिये पहले से ही योजना बनी होती तो इस संकट से निपटने में आसानी होती। लेकिन सरकार ग्रामीणों और किसानों के राहत या बचाव की व्यवस्था करने के बजाय वह अपने गुमराह करने वाले एजेंडे के सहारे केवल आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों में लगकर जनकल्याण के एजेंडे से हटकर काम कर रही है और योगी सरकार की गल्तियों के कारण आम जनता भारी नुकसान भुगतने को विवश होगी।

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि राज्य सरकार की कोई तैयारी अभी तक न होने से प्रदेश के अनेक जनपदों में बड़ा नुकसान हो सकता है। बाढ़ की आफत से कृषि और किसानों के साथ नदियों के तटवर्ती इलाको में रहने वाले जनजीवन को बचाने के लिये योगी सरकार पहले व्यवस्था करे। उन्होने कहा कि भारी वर्षा की मौसम वैज्ञानिकों की भविष्यवाणी को नजरअंदाज कर राज्य सरकार आंख मूंदकर बैठी है वह मात्र चुनावी तैयारियों के लिये सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग की नीति व जनता के धन से अपनी झूठी छवि को जनकल्याणकारी बताने में लगी हुई है। भ्रष्टाचार के कारण तटबंधो का कटान अभी से सामने दिखाई देने लगा है। पिछले वर्ष घाघरा व गंडक में 5 लाख क्यूसेक से आधिक बाढ़ का पानी रिकार्ड किया गया था। इसलिये राज्य सरकार को झूठी छवि चमकाने, आशीर्वाद लेने और झूठे फर्जी आंकड़े का खेल खेलने के बजाए बाढ़ की विभीषिका से बचाने के लिये प्रयास करना चाहिये।

बृजलाल खाबरी ने कहा कि प्रदेश के अनेक जनपद हर वर्ष बाढ़ से प्रभावित होते है। भारी वर्षा से तराई और पूर्वांचल के जिलों में बाढ़ का असर अधिक खतरनाक होकर ग्रामीण इलाकों को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा कि गोरखपुर और श्रावस्ती में राप्ती, बाराबंकी, अयोध्या और बलिया में घाघरा व खीरी में शारदा खतरे के निशान से उपर जाकर भारी तबाही मचाती है। यमुना नदी ने अपना रौद्र रूप दिखा दिया है। ऐसे में यमुना किनारे बसे बाढ़ प्रभावित इलाके की आबादी भाग्य के भरोसे है, उसकी फसलों, पशुधन के नुकसान की भरपाई के लिये राहत की घोषणा न होने से ग्रामीण आबादी को संकट का सामना करना पड़ रहा है जबकि होना यह चाहिये कि बाढ़ प्रभावित इलाकों के लिये पहले से राहत अभियान की जमीनी स्तर पर तैयारिया की जानी चाहिये थी। उंन्होने कहा कि यह शुरुआत है नेपाल की नदियों से आने वाले बाढ़ के पानी से जनधन की भारी तबाही होने के साथ नदियों के तटबंध भी कटेंगे ऐसे में राज्य सरकार की क्या तैयारिया हैं, इसका जवाब उन्हें देना चाहिये।

बृजलाल खाबरी ने राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार से मांग करते हुए कहा कि यमुना नदी में आयी से बाढ़ प्रभावित जिलों में राहत और बचाव के काम की सभी व्यवस्थाये सुनिश्चित की जायें। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ के साथ पिछले वर्ष की तुलना में नावों की अधिक व्यवस्था के साथ बाढ़ शरणालय और अधिक बनाए जाए क्योंकि मौसम वैज्ञानिकों का मानना हैसे कि इस साल वर्षा से बाढ़ अधिक होगी। बाढ़ पीड़ित क्षेत्रों में तरह-तरह की बीमारियां होती हैं वहां पर लोगों के लिए समुचित स्वास्थ्य व्यवस्था का भी इंतजाम करना चाहिए।

बृजलाल खाबरी ने कहा कि योगी सरकार को मौसम वैज्ञानिकों की चेतावनी को गम्भीरता से लेकर बाढ़ से निपटने की रणनीति पर तीव्र गति से काम कर मानव जीवन की रक्षा के लिये कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि घाघरा, गंडक, सरयू, शारदा व गंगा किनारे ग्रामीण इलाके में तबाही से निपटने के लिये ठोस कदम तत्काल उठाये जाए। जो भ्रष्ट अफसर बाढ़ क्षेत्रों में जमें हैं, जिसके चलते बाढ़ से सैकड़ों लोगों की जानें गईं, लाखों लोगों का जनजीवन अस्त - व्यस्त हो गया, उन्हें तत्काल प्रभाव से हटाते हुए जिम्मेदारी तय हो और जवाबदेही के साथ अफसरों/अभियंताओं की तैनाती की जाय।

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