लोकसभा चुनाव 2024, उत्तर प्रदेश और मुसलमान !
अगर आबादी के हिसाब से बात करें तो 20% मुस्लिम आबादी के हिसाब से 16 सांसद होने चाहिए मगर लोकसभा के हिसाब से मुस्लिम आबादी को देखेंगे तो ये थोड़ा मुश्किल लगता है।
कुछ महीनों बाद लोकसभा चुनाव हैं। सबकी नजरें इस बार भी हमेशा की तरह उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों पर ही होगी। पिछले चुनाव 2019 में भाजपा ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की थी वहीं सपा के हिस्से 5 और बसपा को 10 सीटों पर सफलता प्राप्त हुयी थी।
राजनीतिक हलकों में कहा जाता है कि केंद्र की सत्ता का रास्ता उत्तर प्रदेश से हो कर गुजरता है। ऐसे में ये देखना बहुत ही रोचक होगा कि आखिर आगामी लोकसभा चुनाव में किस पार्टी को कितनी कामयाबी मिलती है। जहां कांग्रेस और सपा इंडिया गठबंधन का हिस्सा है वहीं बसपा इस बार अकेले ही चलने के मोड में दिखाई दे रही है।
फिलहाल के समय में मुस्लिम समुदाय उत्तर प्रदेश और देश की राजनीती के लिहाज से ज्यादा पशोपेश में है कि आखिर इन लोकसभा चुनावों में वो किस तरफ जाये ताकि मुसलमानों के समाजिक, राजनीतिक और आर्थिक हितों की सुरक्षा हो सके।
अगर मुस्लिम राजनीति की भी बात करूँ तो 2019 के लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश से 6 मुस्लिम सांसदों को कामयाबी हासिल हुयी थी। हालिया प्रकरण में उनमें से दो सांसद आज़म खान और अफज़ाल अंसारी की लोकसभा की सदस्यता जा चुकी है। वहीं अगर 2019 के नतीजों को थोड़ा और गहरायी से देखेंगे तो पता चलेगा कि 10 मुस्लिम प्रत्याशी ऐसे भी थे जो दूसरे या तीसरे नंबर पर रहें हैं।
अगर आबादी के हिसाब से बात करें तो 20% मुस्लिम आबादी के हिसाब से 16 सांसद होने चाहिए मगर लोकसभा के हिसाब से मुस्लिम आबादी को देखेंगे तो ये थोड़ा मुश्किल लगता है। अगर विधानसभा के हिसाब से बात करेंगे तो इसका प्रभाव व्यापक तौर पर दिखाई देगा।
उत्तर प्रदेश में 50% से ज्यादा मुस्लिम मतदाता वाली 2 लोकसभा सीटें है। वहीं 40-50% मुस्लिम वोटर वाली 6 सीटें मौजूद हैं। इसके साथ ही 31 से 40 फीसदी मुस्लिम मतदाता वाली 5 लोकसभा सीटें भी चुनावी तौर पर बेहद अहम हैं। याद रखियेगा इन 13 मुस्लिम केंद्रित लोकसभा सीटों में से नगीना और बहराइच लोकसभा दलित आरक्षित है जहां से मुस्लिम प्रत्याशी चुनाव जीतना तो दूर चुनाव लड़ भी नहीं सकता है।
बाकि पूरी रिपोर्ट आगामी दिनों में आपके साथ साझा की जायेगी, तब तक आपके सहयोग और प्यार की दरकरार रहेगी।