लोकसभा संग्राम 52– यूपी में अगले महीने कांग्रेस की होगी 13 रैलियाँ मोदी की भाजपा करेगी भीड़ का प्रबंध ?
राहुल की रैलियों में जो भीड़ भेजी जाएगी वह मोदी की भाजपा के द्वारा भेजी जाएगी जैसे अन्ना के आन्दोलन में प्रायोजित भीड़ आया करती थी और गोदी मीडिया कितना चिल्लाया करता था कि देश जाग रहा है उसके बाद से सब सौ गए क्योंकि संघ का मक़सद पूरा हो गया था
लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ। बसपा और सपा का सियासी रोडमेप तैयार हो जाने के बाद अन्य दलों की यूपी की सियासत में काफ़ी उथल-पुथल हो गया है जहाँ मोदी की भाजपा के गुरू चेले परेशान है कि क्या किया जाए पर कुछ समझ में नही आ रहा है वही कांग्रेस भी बसपा-सपा के रूख को बहुत हल्के में ले रही है ऐसा ही लग रहा कि कांग्रेस इसके लिए पहले से ही तैयार थी जिस तरह से राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव यूपी के प्रभारी ग़ुलाम नबी आज़ाद राजधानी लखनऊ में प्रेस वार्ता करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर हमला किया कि मोदी बार-बार कहते है कि कांग्रेस ने 70 सालों में कुछ नही किया मोदी को झूट बोलना तो चाहिए पर ऐसा नही जिसे सब ग़लत मानते हो जिस भारत के मोदी प्रधानमंत्री बने उसी भारत को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने और कांग्रेस के नेताओं ने भारत को भारत बनाया है भारत के निर्माण में कांग्रेस के योगदान को भूलाया नही जा सकता है श्री आज़ाद काफ़ी देर तक मोदी और भाजपा पर ही बोलते रहे काफ़ी देर के बाद यूपी के चुनावी हालात पर बोले उनका कहना था कि देश में मोदी की भाजपा से सीधी लडाई कांग्रेस लड़ रही है इसे सब जानते है साथ ही इनका कहना यह भी था कि मोदी की भाजपा के ख़िलाफ़ बनने वाले किसी भी गठबंधन में कांग्रेस का न होने से उस गठबंधन के कोई मायने नही है।
हम यूपी में क्या देशभर में मज़बूती से चुनाव लड़ेंगे यूपी की सभी 80 सीटों पर कांग्रेस समान विचारधारा वाले दलों को साथ लेकर चुनाव लड़ेंगे इसी को ध्यान में रखते हुए कांग्रेस अगले महीने यानी फ़रवरी में राहुल गांधी की 13 बड़ी रैलियाँ करने की तैयारी कर रही है हर तीसरे दिन यूपी में राहुल गांधी के रहने का प्रोग्राम बनाया जा रहा है जिससे चुनावी माहौल गर्माया जा सके छह लोकसभाओ को मिलकर एक सभा करने की तैयारी हो रही है।बसपा-सपा में गठबंधन हो जाने के बाद यह माना जा रहा है कि यह एक मज़बूत गठबंधन साबित होगा क्योंकि बसपा के साथ दलित व सपा के साथ अपनी बँधवा मज़दूर की हैसियत बना चुके मुसलमान को जोड़ा जाता है और यह ग़लत भी नही है यह दोनों ही इन दलों के साथ माने जाते है तो इनके एक साथ मिल जाने के बाद यह संख्या 42% या उससे ज़्यादा हो जाती है।जब ये लोग वहाँ है तो कांग्रेस की रैलियों में जो भीड़ आएगी वह कौन और कहाँ से आएगी क्या राहुल की रैलियों में यह भीड़ मोदी की भाजपा भेजेगी ताकि मुसलमानों को गुमराह किया जा सके कि कांग्रेस की रैली में बहुत भीड़ थी जिसका फ़ायदा सीधा-सीधा मोदी की भाजपा को होगा मुसलमान बँटेगा और मोदी की भाजपा चुनाव जीतेगी क्योंकि यूपी में कांग्रेस के पास प्लस वोट नही है मुसलमान तो मिल जाएगा पर उसको और भी वोट चाहिए जीतने के लिए वह उसके पास दिख नही रहा इस लिए यह कहा जा सकता है कि रैलियाँ सफल भी होगी भीड़ भी आएगी परन्तु वोट नही मिल पाएगा ऐसा माना जा रहा है।
राहुल की रैलियों में जो भीड़ भेजी जाएगी वह मोदी की भाजपा के द्वारा भेजी जाएगी जैसे अन्ना के आन्दोलन में प्रायोजित भीड़ आया करती थी और गोदी मीडिया कितना चिल्लाया करता था कि देश जाग रहा है उसके बाद से सब सौ गए क्योंकि संघ का मक़सद पूरा हो गया था केन्द्र में उसकी सरकार बन गई जिस लोकपाल को लेकर इतना हो हल्ला होता था पास होने के बाद भी फ़ाइलों में धूल फाँक रहा है कहाँ है अन्ना या और उनके समर्थक सब गोलमाल है। राजनीति के जानकार मानते है कि सपा ख़राब है मुसलमानों के लिए यह अपनी जगह सही है कि उसने यानी सपा ने मुसलमानों के लिए कुछ नही किया या हम यूँ कहे कि किसी भी दल ने नही किया तो ग़लत नही होगा लेकिन किसी और दल की इतनी ग़लती नही है जितनी कांग्रेस और सपा कंपनी की है।
कांग्रेस को छोड़ मुसलमान ने सपा कंपनी को राजनीति में स्थापित किया पर उसने क्या दिया कुछ नही जो भी किया सिर्फ़ अपने परिवार व जाति के लिए किया यह सब जानते है मुसलमानों को सपा कंपनी के द्वारा 20 % आरक्षण देने का वादा किया गया था 2012 के विधानसभा के चुनाव में देना तो दूर पूरे पाँच साल ज़िक्र भी नही किया वह भी सपा कंपनी का जुमला ही साबित हुआ यह भी सही है कि इस गठबंधन का न कोई एजेंडा बताया गया कि हम अगर जीते तो हम यह करेगे बस गठबंधन कर लिया हम साम्प्रदायिक ताक़तों को हरा देंगे और मुसलमान व दलित ख़ुश है कि यह गठबंधन मोदी की भाजपा को हरा देगा अरे भाई कोई यह भी तो बताओ कि आपकी क्या योजना है आपकी सरकार आने पर आप क्या करेगे कोई पूछ नही रहा न कोई बता रहा नेता क्यों बताएँगे जब उसका काम बिना कुछ करे ही चल रहा है।सिर्फ़ इस बात से ख़ुश हो जाना कि यह गठबंधन साम्प्रदायिकता को हरा देगा बस इस लिए वोट देंगे यह किसी भी नज़रिये से सही नही कहा जा सकता है परन्तु ऐसा ही होने जा रहा है मुसलमान कुछ नही पूछेगा और साम्प्रदायिकता को हराने के लिए ख़ूब बटन दबेगा गठबंधन का इससे इंकार नही किया जा सकता है।