क्या मोदी उत्तरप्रदेश के टुकड़े करना चाहते हैं ? क्या है इसका सच!

मायावती ने उत्तरप्रदेश के चार हिस्से करने का प्रस्ताव दिया था।ये हिस्से थे-पूर्वांचल,बुंदेलखंड, हरितप्रदेश और उत्तरप्रदेश!

Update: 2021-06-11 06:25 GMT

अरुण दीक्षित

उत्तरप्रदेश में चल रही सियासी सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की दिल्ली में चल रही मुलाकातों का नतीजा क्या होगा,यह तो आने वाला समय ही बताएगा!लेकिन इस बीच भाजपा के भीतर जो अटकलें चल रही हैं उनके मुताविक योगी के बढ़ते कद से परेशान मोदी उनका कद छोटा करना चाहते हैं।इसी इरादे से वे उत्तरप्रदेश का एक और बंटवारा करना चाहते हैं।कहा जा रहा है कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तरप्रदेश के पूर्वी हिस्से को अलग करके योगी का कद कम करने पर विचार कर रहे हैं।

क्योंकि अगर नया राज्य बना तो योगी उसी तक सिमट कर रह जाएंगे।गोरखपुर में उनका गढ़ और मठ भी उसी प्रान्त में चला जायेगा।उसके बाद अगर योगी जीत भी जाते हैं तो पूर्वांचल तक ही रहेंगे।आज वे देश के सबसे बड़े राज्य के मुखिया हैं।उसके बाद उनकी स्थिति हिमाचल,उत्तराखंड झारखंड, छत्तीसगढ़ और हरियाणा के मुख्यमंत्री जैसी हो जाएगी। इस तरह वे अपने आप मोदी के रास्ते से हट जाएंगे।

सूत्रों के मुताविक अपनी इस योजना पर मोदी-शाह ने बहुत पहले से काम शुरू कर दिया था। इसी के तहत उंन्होने अपने विश्वस्त पूर्व नौकरशाह अरविंद शर्मा को उत्तरप्रदेश भेजा था।शर्मा पूर्वांचल के ही रहने वाले हैं।भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी रहे शर्मा अब उत्तरप्रदेश विधान परिषद के सदस्य हैं।पहले यह अटकलें लगी थीं कि योगी की रस्सी कसने के लिए शर्मा को योगी के साथ उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा।लेकिन मंत्रिमंडल का विस्तार न होने की बजह से बात टल गई।शर्मा अभी मोदी के संसदीय क्षेत्र में काम संभाल रहे हैं।पूर्वांचल में आने वाले मऊ जिले के मूल निवासी शर्मा ने करीब 20 साल तक मोदी के साथ काम किया है।वे उनके सबसे विश्वस्त अफसर माने जाते रहे हैं।

यहां यह बताना भी उचित होगा कि उत्तरप्रदेश के विभाजन का प्रस्ताव विधानसभा में पास हो चुका है।2012 में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने यह प्रस्ताव पास कराया था। मायावती ने उत्तरप्रदेश के चार हिस्से करने का प्रस्ताव दिया था।ये हिस्से थे-पूर्वांचल,बुंदेलखंड, हरितप्रदेश और उत्तरप्रदेश!

इस प्रस्ताव को पास कराने के लिए मायावती ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया था।कुछ मिनट तक चले इस सत्र में समाजवादी पार्टी ने भारी हंगामा किया था।मुलायम सिंह ने खुल कर उत्तरप्रदेश के विभाजन का विरोध किया था। अलग तेलंगाना राज्य की मांग से जूझ रही तत्कालीन कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने इस प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में डाल दिया था।वह प्रस्ताव अब काम आ सकता है।

अब योगी का कद नापने के बहाने फिर राज्य विभाजन की सुगबुगाहट शुरू हुई है।लेकिन यह इतना आसान नही होगा।क्योंकि अगर पूर्वांचल अलग किया गया तो हरित प्रदेश की मांग भी पूरी करनी ही पड़ेगी।क्योंकि पश्चिमी उत्तरप्रदेश के लोग दशकों से अलग राज्य की उठा रहे हैं।सामाजिक आंकड़ों को देखें तो हरितप्रदेश भाजपा के लिए एक बड़े घाटे का सौदा होगा।

उधर बुंदेलखंड के लोग भी चुप नही बैठेंगे।उत्तरप्रदेश औऱ मध्यप्रदेश के कुछ जिलों में फैले इस इलाके के लोग भी दशकों से अपने लिए अलग राज्य मांग रहे हैं।उन्हें लगता है कि उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश की सरकारों की उपेक्षा के चलते यह इलाका आज तक पिछड़ा है।हालांकि प्रदेश से लेकर केंद्र तक की सरकार ने इस इलाके के विकास के लिए करोड़ों के पैकेज दिए लेकिन ये पैकेज नेताओं,अफसरों और ठेकेदारों के विकास तक ही सीमित रहे।इस इलाके के लोग भी अलग राज्य की अलख जगाये बैठे हैं।

यह भी मजे की बात है कि इसके बाद जो इलाका बचता है वह अलग किसी भी कीमत पर राज्य का बंटवारा नही चाहता। क्योंकि उत्तरप्रदेश का एक बंटवारा पहले ही हो चुका है।भौगोलिक स्थिति और स्थानीय लोगों की मांग के चलते उत्तराखंड बनने का विरोध नही हुआ था।लेकिन अब कोई भी विभाजन आसान नही होगा।

राजनीतिक क्षेत्रों में यह माना जा रहा है कि योगी ने मोदी को सीधी चुनौती दी है।उत्तरप्रदेश में आज योगी की जो हैसियत है और जिस तरह संघ का समर्थन उन्हें हासिल है,उसे देखते हुए उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाना आसान नही होगा।अगर ऐसा किया गया तो वह भाजपा के लिए बहुत घातक सावित होगा।

ऐसे में राज्य का विभाजन करके योगी का कद छोटा करना एक आसान रास्ता हो सकता है।वैसे भी यह पहले भी भाजपा ने ही किया था।21 साल पहले जब उत्तराखंड, झारखंड और छत्तीसगढ़ बने थे तब केंद्र में भाजपा के नेतृत्व वाली राजग सरकार थी।अतलविहारी बाजपेयी देश के प्रधानमंत्री थे।

आज दिल्ली में मोदी के पास 300 से ज्यादा सांसद हैं।राज्यसभा और लोकसभा में विपक्ष भी बहुत कमजोर है।फिर पहले का उदाहरण भी है और प्रस्ताव भी।राज्य विभाजन करना उनके लिए बहुत आसान होगा।सांप भी मर जायेगा और लाठी भी नही टूटेगी।

अपनी मर्जी से फैसले लेने वाले नरेंद्र मोदी कुछ भी कर सकते हैं।खुद को सबसे ऊपर रखने के लिए राज्य विभाजन कोई बड़ी बात नही है।हो सकता है कि योगी का कद घट जाए और वे मोदी के रास्ते में आने की हैसियत खो बैठें!लेकिन यह विभाजन भाजपा के लिये बहुत घातक सावित होगा।जो शायद भाजपा और संघ कभी नही चाहेगा।

देखना यह होगा कि मोदी के करीबी हलकों से निकली इन अटकलों का क्या हश्र होता है। हालंकि इस खबर को सरकार ने खंडन करने की जगह फेक न्यूज करार दिया है और खबर लिखने वालों के खिलाफ कार्यवाही की बात कही है।


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