समाजवादी पार्टी के संस्थापक और अब सरंक्षक बने मुलायम सिंह यादव ने संसद के बजट सत्र में मौजूदा लोकसभा के आखिरी कामकाजी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपने निजी रिश्ते बहुत अच्छे होने की बात कही और साथ ही उनको फिर से प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना भी दी। इसके बाद भाजपा विरोधियों ने सोशल मीडिया में मुलायम को निशाना बनाया।
यह भी कहा गया कि वे बातें भूलने लगे हैं और उनको अंदाजा नहीं रहता है कि वे क्या कह रहे हैं। कुछ लोगों ने यह भी बताया कि 2014 में 15वीं लोकसभा के आखिरी दिन मुलायम सिंह ने ऐसे ही मनमोहन सिंह की भी तारीफ की थी और उनको फिर से प्रधानमंत्री बनने की शुभकामना दी थी। सो, जो हस्र मनमोहन सिंह का हुआ वहीं मोदी का भी होगा। पर इन उलटी सीधी व्याख्याओं के अलावा मुलायम सिंह के कहे का गंभीर मतलब है।
असल में उन्होंने राज्य में हिंदू, मुस्लिम के आधार पर होने वाले ध्रुवीकरण की संभावना को देख लिया है। दूसरे, उनको यह भी अंदाजा है कि उनके वोट आधार का बड़ा हिस्सा खास कर जमीनी कार्यकर्ताओं का एक समूह उनके भाई शिवपाल यादव के साथ चला गया है। तीसरे, केंद्रीय एजेंसियों ने अखिलेश के कार्यकाल में हुई कथित गड़बड़ियों की जांच शुरू कर दी है। इससे भी पार्टी के कार्यकर्ताओं के मनोबल पर असर होने वाला है।
इन सबको देखते हुए मुलायम सिंह ने भाजपा और खास कर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी करीबी दिखाई। उनको पता है कि इसके सहारे वे अपनी पार्टी के यादव वोट आधार को एकजुट करने में कामयाब हो जाएंगे और मुस्लिम वोट को उनके साथ रहने की मजबूरी है। वे जानते हैं कि मुस्लिम-यादव का वोट आधार बचा रहा तो एकाध चुनाव हारने के बाद भी उनके बेटे का राजनीतिक भविष्य खत्म नहीं होगा।