कल ये जितने लोग कल महाराष्ट्र से यूपी में आये हैं अब वो बिना किसी जाँच के यूपी के पंचायत चुनावों में भागीदार होंगे। आखिर पंचायत चुनाव कराने की ऐसी भी क्या जिद !
लाखों कर्मचारी जिनकी इन चुनावों में ड्यूटी लगी है क्या उनको प्राथमिकता के आधार पर वैक्सीन लगवाई गयी? क्या इन चुनावों के दौरान कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग संभव है? क्या इतने अधिक कर्मचारियों को सरकार द्वारा किसी अन्य आवश्यक कार्य मे इस्तेमाल करना अधिक उचित ना होता? चुनावों के दौरान अगर कोविड से एक भी अनहोनी हुई तो उसकी जिम्मेदारी किसकी होगी?
जिस वक्त अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं हो पा रहे, ऑक्सीजन सिलेंडर की जबरदस्त कमी है, इंजेक्शन की कालाबाजारी है, एक कोविड पेशेंट को एडमिट कराने के लिए बड़े लोग तक बेबस हुए जा रहे, उस वक्त खाली पड़े स्टेडियम और कम्युनिटी हॉल को मेकशिफ्ट हॉस्पिटल में तब्दील करने और हेल्थ केयर वर्कर और हेल्थ प्रोवाइडर को एक करने की जगह हमारी ऊर्जा पंचायत चुनाव कराने में लगी है।
अध्यादेश ला कर पंचायत चुनावों को रद्द करना चाहिए।