लखनऊ से तौसीफ़ क़ुरैशी
राज्य मुख्यालय लखनऊ।आम चुनाव 2019 में मिली करारी हार के बाद पार्टी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी लगता है अपनी बात पर क़ायम है जिसमें उन्होंने कहा था कि मेरे इस्तीफ़ा देने के बाद से रिक्त हुआ कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष पद पर ग़ैर गाँधी नेहरू परिवार का नेता ही अब अध्यक्ष बनेगा मैं और मेरे परिवार का कोई अध्यक्ष नहीं बनेगा हालाँकि कांग्रेस की वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने अपने पूर्व अध्यक्ष राहुल गाँधी को मनाने की भरपूर्व कोशिशें की लेकिन राहुल गाँधी अपने फ़ैसले पर अडिग रहे और उन्होंने कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) के अनुरोध को ये कह कर इंकार कर दिया था कि हमारे परिवार से कांग्रेस का अध्यक्ष नही होगा यही मेरा फ़ैसला है इसके बाद कांग्रेस वर्किंग कमेटी (सीडब्ल्यूसी) ने कोई ऑप्शन होने तक श्रीमती सोनिया गाँधी को ही कांग्रेस का अंतरिम अध्यक्ष बना दिया था तब से कांग्रेस पार्टी का कोई स्थायी अध्यक्ष नहीं बनाया गया है और सोनिया गाँधी ही कांग्रेस पार्टी का कार्य देख रही है हालाँकि बीच-बीच में राहुल गाँधी को फिर कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ताओं द्वारा माँग की जाती रही है।
ग़ौरतलब हो कि कोरोना की वजह से संसदीय दल की बैठकें ना होने के चलते वीडियो कांफ्रेंस के द्वारा बैठक की जा रही है सोनिया गाँधी द्वारा वीडियो कांफ्रेंस से राज्यसभा सांसदों की बैठक ले रही थी इसी बैठक में राहुल गाँधी को पुनः कांग्रेस अध्यक्ष बनाने की माँग हुई थी और उसी में उनको अध्यक्ष बनाने का विरोध भी हुआ था विरोध करने वाले बुजुर्ग कांग्रेसी थे जैसे कपिल सिब्बल, आनन्द शर्मा व पी चिदम्बरम और समर्थन करने वाले के सी वेणुगोपाल , पी एल पुनिया , राजीव सातव , रिपुन वोरा एवं छाया शर्मा जैसे सांसदों ने राहुल को फिर अध्यक्ष बनाने की माँग की थी।कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के इस कथन से कि कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष गाँधी नेहरू परिवार से नही होना चाहिए अब उनके परिवार के दूसरे सदस्य कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव उप्र जैसे बड़े राज्य की प्रभारी प्रियांका गाँधी का भी साथ मिल गया है इस मुद्दे पर श्रीमती प्रियांका गाँधी ने बात करते हुए खुलकर कहा कि मैं अपने बड़े भाई राहुल गाँधी के इस तर्क से सहमत हूँ कि कांग्रेस पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष गाँधी नेहरू परिवार से बाहर का होना चाहिए।
श्रीमती प्रियांका गाँधी ने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कहा कि हम में से कोई पार्टी का अध्यक्ष नहीं होना चाहिए और मैं उनकी इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ मुझे भी लगता है कि कांग्रेस पार्टी को अपने नए रास्तों की तलाश करनी चाहिए।श्रीमती प्रियांका गाँधी ने यह भी साफ़ किया कि हमें गाँधी नेहरू परिवार से हठकर आने वाले पार्टी अध्यक्ष के साथ काम करने में कोई परेशानी नहीं है।प्रियांका गाँधी के द्वारा इस मुद्दे पर खुलकर अपना पक्ष रख देने के बाद यह बात साफ़ हो गई कि अगला कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष नेहरू गाँधी परिवार से नहीं होगा।क्योंकि राजनीतिक गलियारो में बार-बार यह बात चर्चा का विषय रहती थी या है कि श्रीमती प्रियांका गाँधी को कांग्रेस पार्टी की बागडोर सौंपी जा सकती है लेकिन श्रीमती प्रियांका गाँधी और गाँधी परिवार को क़रीब से जानने वालों का मानना था या है कि दोनों भाई बहन में एक अटूट रिसता है जो सियासी ग्लैमर से बहुत ऊपर है उसी के चलते दोनों में बहुत अच्छी ट्यूनिंग मानी जाती है श्रीमती प्रियांका गाँधी के इस बयान के आ जाने के बाद इस अटूट संबंधों पर मोहर भी लग गई है कि सियासी ग्लैमर दोनों में कोई प्रतिस्पर्धा पैदा नहीं करती हालाँकि संघ विचारकों का यह भरक्षक प्रयास रहता है कि किसी तरह दोनों भाई बहन में सियासी ग्लैमर को लेकर प्रतिस्पर्धा हो जाए और गाँधी परिवार टूट जाए अभी तक तो वह कामयाब नही हुए है भविष्य की बात अलग है।
2019 के आम चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में क़दम रखने वाली श्रीमती प्रियांका गाँधी के अपने मन की बात एक नई किताब के ज़रिए बाहर आयी है जिसमें भविष्य के नेताओं से वार्तालाप कर उनके विचारों से अवगत कराया गया है।इस बातचीत से एक बात और भी साफ़ हुई है कि सियासी गलियारो में जो ख़याली पुलाव बनायी जाती है वह सिर्फ़ क़यासों पर आधारित होती है कुछ सच हो जाती है तो कुछ ऐसे ही हवा हवाई हो जाती है।प्रियांका गाँधी ने राहुल गाँधी को ख़ुद से अधिक बुद्धिमानी बताया और उन्हें अपना अच्छा भाई होने के साथ अच्छा मित्र भी बताया है।श्रीमती प्रियांका गाँधी ने अपने पति रॉबर्ट वाढरा पर लगे आरोपों को सियासत से प्रेरित बताते हुए कहा कि आरोप लगने के बाद उन्होंने सबसे पहले अपने बच्चों को हिसाब किताब समझाते हुए बताया कि आरोप सियासत से प्रेरित है।इसी नई किताब इंडिया टूमॉरो से उन्होंने आगे कहा कि 1984 में मेरी दादी इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद अगले सात साल यानी 1991 में हुई पिता राजीव गाँधी की हत्या तक उन्होंने डर के माहौल में जीवन ज़ीया है।श्रीमती प्रियांका गाँधी ने कहा कि दादी इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद उन्हें अपने पिता की हत्या का डर सताता रहता था।श्रीमती प्रियांका गाँधी ने कहा कि वे देर रात तक जब तक पिता राजीव गाँधी घर नहीं लौट जाते थे तब तक मैं सोती नही थी।
यहाँ तक कि जब पिता राजीव गाँधी कभी बाहर जाते थे तो वह सोचती रहती थी कि अब वह लौटकर नहीं आएँगे।कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव एवं यूपी जैसे बड़े राज्य की प्रभारी जहाँ कांग्रेस पिछले तीन दशकों से वनवास झेल रही है वहाँ वह अपनी मेहनत से पार्टी में जान डालने का काम करने वाली इन्हीं की सक्रियता के चलते सपा बसपा में खलबली मची हुई हालाँकि वह दोनों अपनी परेशानी को दर्शाते नही है श्रीमती प्रियांका गाँधी ने कांग्रेस के कमज़ोर होने पर भी खुलकर बातचीत की उनका मानना है कि यूपीए की केन्द्र सरकार के दौरान कांग्रेस की मीडिया रणनीति बनाने वाली जब तक सचेत हुई तब तक मोदी की भाजपा के आरोपों पर आम जनता यक़ीन कर चुकीं थी। किताब के मुताबिक़ श्रीमती प्रियांका गाँधी ने कहा कि जब तक हम मोदी की भाजपा के झूटो आरोपों का जवाब देते तब तक हमारा नुक़सान हो चुका था।
कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियांका गाँधी के द्वारा नई किताब इंडिया टूमॉरो के साथ जिस बेबाक़ी और निडरता से अपने मन की बात रखी है उससे कांग्रेस के हल्के में भी और देश के सियासी नेताओं सहित जनता में खासी चर्चा होगी उन्होंने कई मुद्दों को बड़ी बेबाक़ी से रखा जैसे कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के मुद्दे पर उन्होंने भाई पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के मत के साथ अपनी सहमति जता कर बहुत से विवादों को जन्म होने से पहले ही ख़त्म कर दिया इस बात से कांग्रेस में भी और कांग्रेस के बाहर भी श्रीमती प्रियांका गाँधी को लेकर चर्चा होती या हो रही थी कि कांग्रेस की कमान उन्हें सौंपी जाए उससे पहले ही उन्होंने सबकी बोलतीं बंद कर दी।
दूसरे जो लोग यह भ्रम फैलाने का प्रयास करते है कि श्रीमती प्रियांका गाँधी भाई राहुल गाँधी से ज़्यादा हौसियार है उनको भी यह कहकर जवाब देने की कोशिश की है कि नही भाई राहुल गाँधी मुझसे ज़्यादा बुद्धिमान है अब वह लोग भी ख़ामोशी अख़्तियार कर लेंगे।तीसरे कांग्रेस की मीडिया रणनीति यूपीए सरकार में ख़राब या कमज़ोर थी जो नेता उस टीम का हिस्सा थे उन्हें भी एक तरह की सलाह दी या नसीहत कि इस तरह काम नही होता है।कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव श्रीमती प्रियांका गाँधी ने एक बार देश की राजनीति में चर्चा का विषय बन गई है हालाँकि जब से वह सक्रिय राजनीति में आई है तब से ही वह मीडिया में अपना स्पेस खुद तय करती है कि मुझे कहाँ और कितना स्पेस चाहिए वह उतना स्पेस ले ही लेती है।भाई राहुल गाँधी के साथ क़दम ताल चलती बहन प्रियांका गाँधी।