सपा बसपा ने नये सिरे से सीटों की समीक्षा की शुरू, कई लोंगों की टिकिट खतरे में
उस हालत में सपा बसपा तीस तीस सीटों पर चुनाव लड़ सकती है वहीं कांग्रेस पन्द्रह सीटों पर और पांच सीटों पर अन्य दल चुनाव लड़ सकते है.
यूपी में प्रियंका की एंट्री के बाद बदले राजनैतिक समीकरणों के हिसाब से सपा बसपा गठबंधन ने सिट बंटवारे को लेकर एक बार फिर से समीक्षा शुरू कर दी है. दोनों दलों के नेता यह अंदाज लगा रहे है कि प्रियंका गांधी का फेक्टर कितनी सीटों पर असर कारक होगा. वैसे तो दोनों पार्टियाँ यूपी में 38 38 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी आकर रही थी. लेकिन यकायक कांग्रेस ने प्रियंका की एंट्री कराकर यूपी के समीकरण में उलझन पैदा कर दी है.
हालांकि बसपा नेत्रत्व ने तो अपने हिस्से की सीटों पर उम्मीदवार भी फायनल करने शुरू कर दिए है लेकिन सोमवार को सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के बयान के मुताबिक उन्होंने कहा कि उनके गठबंधन में कांग्रेस और सभी सहयोगी दल शामिल है. इससे प्रदेश में सत्ताधारी पार्टी के लिए बैचेनी करनी वाली बात हो गई है. जहां बीजेपी यह मानकर चल रही थी कि यूपी में अब लोकसभा चुनाव त्रिकोणीय हालत में चला जाएगा जिससे बीजेपी की सीटों को ज्यादा नुकसान नहीं होगा लेकिन अब अखिलेश के बयान के बाद लगता है कि इस गठबंधन में कांग्रेस भी हिस्सेदारी कर सकती है. उस हालत में सपा बसपा तीस तीस सीटों पर चुनाव लड़ सकती है वहीं कांग्रेस पन्द्रह सीटों पर और पांच सीटों पर अन्य दल चुनाव लड़ सकते है.
पहला फार्मूला -गैर यादव -गैर जाटव
सपा बसपा गठबंधन हुए लगभग एक महिना होने जा रहा है, यह भी लगभग तय है कि कौनसी पार्टी किस सीट पर चुनाव लड़ेगी लेकिन अभी यह बात सामने नहीं आई है. जबकि बसपा उम्मीदवारों को इस बारे में बता दिया गया है और वो अपने प्रचार प्रसार में भी लग गए है. शरुआती टिकिट वितरण में गैर यादव और गैर जाटव फार्मूला प्रयोग किया जाएगा. इसका मतलब साफ़ साफ है कि गैर यादव और गैर जाटव लोंगों को ज्यादा से ज्यादा टिकिट दिए जायेंगे. बसपा का मानना है कि दलित और यादव वोट के अलावा सवर्ण , मुसलमान और ओबीसी के वोट की जरूरत है उन्हें भी साथ लेकर चलना होगा. अभी सवर्ण आरक्षण पर बसपा ने भी समर्थन किया था.
नया समीकरण - मुस्लिम + सवर्ण
सूत्रों का कहना है कि मुसलमान वोटों को खुलकर अपने साथ लाना बसपा के लिए चुनौती बना हुआ है. साथ ही कुछ सवर्ण वोट भी आ जाते है तो यूपी में लोकसभा की ज्यादा से ज्यादा सीटें जीती जा सकती है. ऐसे में टिकिट वितरण के समय मुसलमान और सवर्ण समीकरण को ध्यान में रखते हुए ही टिकिट बांटे जायेंगे. अब तक यह बात सामने आई है. इसके कारण अब तक कई तय प्रत्याशियों के टिकिट भी कटने की आशंका दिखाई दे रही है.