अनुदेशकों के केस की 3 जुलाई को होगी सुप्रीमकोर्ट में सुनवाई
The case of instructors will be heard in the Supreme Court on July 3.
अनुदेशकों के द्वारा सरकार से 17000 हजार मानदेय लगातार दिए जाने की याचिका की दूसरी सुनवाई 3 जुलाई को होगी। इससे पहले मई में एक बार सुनवाई हो चुकी है और केस फ़ाइल किया जा चुका है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है।
इस सुनवाई में मिली जानकारी के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट उत्तर प्रदेश सरकार को 17000 हजार मानदेय दिए जाने के लिए आदेश भी जारी कलर सकता है। इसीलिए अनुदेशक लगातार इस केस को लेकर कोर्ट की और निगाह गड़ाए हुए है। सुप्रीम कोर्ट के जज ने याचिका स्वीकार किए जाने से पहले कहा था कि अगर कोई जज गलत निर्णय कर दे तो सब थोड़े ही कर देंगे यह बात उन्होंने सिंगल बेंच के द्वारा दिए गए आदेश पर कही थी। एलकीं अनुदेशकों के विद्वान अधिवक्ता ने उनकी बात का जबाब दिया तब जाकर याचिका बमुश्किल स्वीकार कोर्ट को करनी पड़ी।
सुप्रीम कोर्ट ने प्रथम आदेश जो कि इस केस के दूसरा पक्ष है उसे नोटिस जारी करते हुए इस मामले में अपना पक्ष रखने के लिए तीन जुलाई कि तिथि नियत की है। अब तीन जुलाई आने वाली है अनुदेशक इस के को लेकर बेहद चिंतित है कि काश जज साहब पहली ही तारीख में सरकार को 27000 हजार अनुदेशकों को 17000 हजार मानदेय देने का आदेश जारी कर दे और सरकार से लागू करने कि बात कहे।
वहीं एक अपील सरकार के द्वारा अनुदेशकों के आदेश के खिलाफ डाली गई है जिसे अभी एप्रूवल नहीं मिल पाया है अभी भी एक दर्जन के आसपास डिफ़ेक्ट लगे हुए है। सरकार ने इस केस में अनुदेशक और केंद्र कि मोदी सरकार को पार्टी बनाया है। बड़ी सोचने वाली बात है जब वोट लेने की बात हो तो डबल इंजन कि सरकार और मानदेय न देना हो कोर्ट में दोनों सरकारे आमने सामने खड़ी है। क्योंकि डबल बैंच के आदेश में केंद्र ने कहा है कि हम अपने शेयर का पूरा हिस्सा पे कर रहे है। जबकि राज्य सरकार अपने हिस्से का पे नहीं कर रही है।
17000 हजार मानदेय सरकार केंद्र की सर्व शिक्षा अभियान के तहत इस योजना में भर्ती किए शिक्षकों को 60 प्रतिशत मानदेय केंद्र सरकार को देना है जबकि 40 प्रतिशत भाग राज्य सरकार को देना है। यदि 17000 मानदेय का 60 प्रतिशत भाग निकालें तो 10200 रुपये होता है। जबकि राज्य सरकार उसमें से 1200 रुपये बचा लेती है और अपना कोई योगदान नहीं करती है। यह जानकारी डबल बैंच में केस के अधिवक्ता रहे एपी सिंह ने कोर्ट में सवाल किया था। इसका मतलब सर्व शिक्षा अभियान में तो करोड़ों रुपये का घोटाला निकलेगा।
अब इन दोनों केस में अनुदेशकों को न्याय कब तक मिलेगा अभी कुछ भी कहना जल्द वाजी होगी लेकिन न्याय मिलेगा जरूर।
वहीं परिषदीय अनुदेशक कल्याण एशोसिएशन उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष विक्रम सिंह ने एक पोस्ट शेयर करते हुए लिखा है जागरूक साथियों! आप सभी अवगत ही हैं कि मानदेय 17000 का न्यायिक संग्राम सुप्रीम कोर्ट में जारी है और तीन जुलाई को तिथि नियत है। सरकार ने हम अनुदेशकों के विरुद्ध भी अपील किया हुआ है। जिसमें बचाव के लिए सम्पूर्ण तैयारी भी कर ली गई थी लेकिन सरकारी अपील में डिफेक्ट बना हुआ है और कोई भी डेट नियत नहीं है।
सद्भभावी साथियों! संगठन की अपील में डेट नियत है और मानदेय कान्टिन्यू हो! इसके लिए परिषदीय विधिक टीम कृत संकल्पित है। आगामी डेट पर परिणाम प्राप्त हो इस विषय पर रणनीति अपने अंतिम चरण में है। शीघ्र ही परिषदीय अनुदेशक कल्याण एशोसिएशन की टीम पैरवी हेतु दिल्ली रवाना होगी। आप सभी ए उपधारणा कर सकते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार की अपील हो या संगठन की सभी न्यायिक कार्यवाहियों में प्रतिरक्षा एवं प्रतिरोध की प्रक्रिया का पालन शतप्रतिशत किया जा रहा है किसी भी परिस्थितियों में जरा सी भी ढिलाई एवं लापरवाही नहीं होना है।
परम स्नेही साथियों ! आप सभी ने अभूतपूर्व सहयोग और समर्थन दिया है। आप सभी के इस अनुग्रह को संगठन एक बड़ी जिम्मेदारी मानकर कार्य कर रहा है। हम अनुदेशकों को परिणाम मिले,पीड़ा और अवसाद से राहत हो इस विषय पर परिषदीय कार्यकारिणी निरंतर प्रयासरत है। संगठन का ध्येय है कि उदाहरण देने से अच्छा उदाहरण बनना है Example is better than precept
आप सभी अपने अमुल्य सुझाव हमें फोन व व्यक्तिगत संदेशों के माध्यम से देते रहें।
वतन की खाक !
जरा एड़ियाँ रगड़ने दे,
हमें यकीन है
पानी यहीं से निकलेगा!