उत्तरप्रदेश में ज़ोन में IG की जगह ADG बैठाने का फ़ैसला बुरी तरह तबाह हो गया
जबकि कुछ मजबूत टाइप के DIG खेल कूद करके किसी तरह रेंज में हैं, इस व्यवस्था ने प्रमोटियों का खूब नुकसान किया,और उनका मनोबल तोड़ा.
गौरव सिंह सेंगर
उत्तर प्रदेश में अपराध को लेकर पुलिस का अब मजाक बन गया. पूरे प्रदेश में रोज नये नये टेस्ट में प्रदेश के सभी अधिकारी हैरान है और निर्णय नहीं ले पा रहे है आखिर जिम्मेदार कौन होगा कानून व्यवस्था को लेकर? सरकार ने अब तक जो प्रयोग किये है वो फेल नजर आते है. जिस तरह पूर्व से लेकर पश्चिम तक बवाल मचा हुआ है.
ADG बैठाने से ADG L&O पद की महत्ता अब उत्तर प्रदेश में खत्म हो गई. ज़ोन के IGs को जब ADG L&O की कॉल जाती थी ,तब वो लोड लिया करते थे. अब ADG L&O कॉल भी करें तो एक आध साल जूनियर पर क्या फर्क पड़ेगा. इस बदलाव से ADG L&O की जवाबदेही भी नष्ट हो गयी.
जहां देखो वहां ADG जब बैठे है तो पॉलिसी बनाने की उम्र में फील्ड की नौकरी कहाँ हो पायेगी. 2,4 को छोड़ के ज़्यादातर फिट नहीं होंगे. घटनास्थल का नाम सुन के सिहर उठते हैं,अरे 150 किलोमीटर है,आईजी चले जायें तों बेहतर रहेगा. इसी उधेड़ बुन में प्रदेश में क्या हो रहा है आप सब देख रहें हैं.
DIG की जगह IG बैठा दिये गये. IG साहबान दुबारा रेंज चला रहें हैं. प्रदेश के झौवा भर DIG इधर उधर समय काट रहें हैं. जबकि कुछ मजबूत टाइप के DIG खेल कूद करके किसी तरह रेंज में हैं, इस व्यवस्था ने प्रमोटियों का खूब नुकसान किया,और उनका मनोबल तोड़ा.
थानों में तीन-तीन इंस्पेक्टर रखने का फ़ैसला भी लेमिनेटेड रसगुल्ला साबित हुआ है,बाकी दो इंस्पेक्टर इसी में लगे रहते हैं कि मेन वाले को कैसे गिराया जाये. तब तक वो काम करने को राजी नहीं होता.
क्राइम कम करने के लिए सिर्फ दरोग़ा,सिपाही,इंस्पेक्टर पर कार्यवाही से बात नहीं बनेगी. जबतक बड़े अधिकारियों पर हंटर नहीं चलेगा तब तक गोली जुल्फों को छूकर निकलती रहेगी. और अपराध यूँ ही चरम सीमा पर चलता रहेगा.
फिर आनन फानन में नोडल अधिकारी प्रत्येक जिले में तैनात किये गये. वो रायता भी फुस्स ही रहा. आलाकमान समझ नहीं रहें कि धूल चेहरे पर है और वो आईना साफ कर रहें हैं. जब तक जबाब देही तय नहीं होगी और काम बिगड़ने पर सजा नहीं मिलेगी तब तक यूँ ही चलेगा.