यूपी विधानसभा: एससी-एसटी आरक्षण पर योगी सरकार ने लगाई मुहर, विपक्ष को लेकर कही बड़ी बात
लखनऊ। यूपी विधानसभा ने एससी-एसटी आरक्षण पर मुहर लगा दी है। 11 बजे प्रारंभ हुई सदन की कार्यवाही में 126वें संविधान संशोधन विधेयक को विचार के लिए प्रस्तुत किया गया। जिस पर विधानसभा ने सहमति की मुहर लगा दी। इस विधेयक के पारित होने से अनुसूचित जाति एवं जनजाति के आरक्षण की सीमा 10 वर्ष के लिए बढ़ गई है।
इस दौरान सपा व अन्य विपक्षी दलों ने सीएए, एनपीआर व एनआरसी के मुद्दे पर सदन में जमकर हंगामा किया। जिस पर सीएम योगी ने कहा- यही विपक्ष का असली चेहरा है। बसपा गरीबों, पिछड़ो व दलितों की हितैषी नहीं है, सपा व कांग्रेस ने भी कभी गरीबों व दलितों की ओर ध्यान नहीं दिया। विधानसभा में दिए अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने कहा कि हम गरीबों, वंचितों व पिछड़ों के लिए योजनाएं बना रहे हैं और विपक्ष वोट बैंक बनाने में जुटा है।
मुख्यमंत्री ने सदन में अपने भाषण में कहा, " उनकी सरकार आरक्षण बढ़ाये जाने का समर्थन करती है. संविधान में 126वां संशोधन के तहत विधायिका में 25 जनवरी 2020 तक ही आरक्षण का समय था. हमारी सरकार किसी जाति मजहब के लिए नहीं है. भारत के विकास के लिए यह प्रावधान है, जिससे सब एक साथ आगे बढ़ सकें."
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि करोड़ों की संख्या में आवास और शौचालय दिया गया. विधुत कनेक्शन दिया गया. रसोई गैस कनेक्शन दिया गया. यह कार्य प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया. बीमा योजना का लाभ दिया गया. हमारी सरकार में वोट बैंक नही बनाया जाता. मुख्यमंत्री ने "सबक" शब्द से सपा, बसपा और कांग्रेस पर हमला किया
उन्होंने कहा कि सपा, बसपा और कांग्रेस दलितों के सबसे बड़े विरोधी हैं. अनुसूचित जाति व जनजाति के छात्रों को 2015 और 201 में छात्रवृत्ति दी ही नहीं गई. हमारी सरकार आई तो सबको दिया गया. हमने क्षेत्र और भाषा के आधार पर भेदभाव नहीं किया. इसलिए आज इसके समर्थन में सदन में आज उपस्थित है।
लोकसभा में भी सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पारित हुआ है. यहां भी पूरे सदन से अपील करता हूं कि वे इसे सर्व सम्मति से पारित करें. हम लोगों ने 2 अक्टूबर को विशेष सत्र बुलाया था. 26 नवम्बर को विशेष सत्र बुलाया था और आज साल के आखिरी दिन भी विशेष सत्र बुलाकर हमने रिकार्ड बनाया है।
सीएम के भाषण के बाद सदन में हंगामा शुरू हो गया. नेता विरोधी रामगोविंद चौधरी ने कहा आरक्षण का सबसे बड़ा कोई विरोधी है तो वह भाजपा है. ता विरोधी दल ने मांग की कि जातिगत जन गणना सरकार करा ले. हालाँकि इसके बाद आरक्षण विधेयक सर्व सम्मति से विधानसभा में पारित हुआ।