भ्रष्टाचार को लेकर भले ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जीरो टोलेरेंस पॉलिसी का दम क्यों ना भरती हो लेकिन शासन के नाक के नीचे ही विभागीय अफसर सरकार के सभी दावों का पलीता लगाते नजर आ रहे हैं. प्रदेश की राजधानी लखनऊ से सोमवार को बड़ी खबर सामने आई. पशुपालन विभाग में भ्रष्टाचार का मामला उजागर हुआ है.
दरअसल, यूपी में पिछली सरकार के कार्यकाल में पशुपालन विभाग के अफसरों ने पशुओं की दवा खरीदने में बड़ा खेल किया. पशुओं के लिए घटिया दवा खरीदी गई और उपकरण भी मनमानी दर पर खरीदे गए. शिकायत मिलने पर पाया मामले में जांच की गई और दवाओं की गुणवत्ता बिल्कुल खराब थी. इसी क्रम में राजकीय विश्लेषक की जांच रिपोर्ट सामने आई जिसमें बड़ा खुलासा हुआ.
रिपोर्ट में जानकारी दी गई थी कि पशुधन विभाग के लिए आवंटित कुल बजट 65 करोड़ रुपये का था जिसमें से 50 करोड़ रुपये मात्र 4 महीने में ही खर्च हो गए. इन रुपयों से जो दवाइयां खरीदी गई थी, उसकी गुणवत्ता बेहद घटिया थी. राजकीय विश्लेषक रिपोर्ट की जांच सामने आने के बाद अब दवाओं के उपयोग पर रोक और वापसी के फरमान जारी किए गए हैं.
वहीं इस मामले में विभाग के निदेशक ने गड़बड़ी मानते हुए कहा कि इस प्रकरण में जो लोग भी दोषी साबित होते हैं उनसे वसूली की जाएगी और संबंधित कंपनी को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा. बहरहाल, पशुधन विभाग में इतना बड़ा खुलासा सामने आने के बाद भी मामले में संलिप्त किसी भी भ्रष्ट अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है. जिम्मेदार इस मामले पर कुछ भी कहने से बचते हुए नजर आ रहे हैं और बड़े पैमाने पर हुई इस अनियमितता की कोई जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.