प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोकसभा चुनाव 2019 में भारी बहुमत से वापसी करके इतिहास रच दिया है. और उनके द्वारा कही गई बात भी सच साबित हुई. उन्होंने कहा था कि इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की हैसियत वोट कटवा पार्टी की होगी. इस वोट कटवा पार्टी ने बीजेपी से ज्यादा सपा बसपा को नुकसान पहुँचाया है. गठबंधन इसके चलते लगभग एक दर्जन सीटें गँवा बैठा है.
चुनावी एनालिसिस के मुताबिक़ बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी उत्तर प्रदेश में सात लोकसभा सीटें सिर्फ कांग्रेस के उम्मीदवारों के चलते हार गई जबकि आधा दर्जन सीटों पर कांग्रेस से मिलकर लढती तो यह गठबंधन कम से कम एक दर्जन सीटों पर और फतेह हासिल कर सकता था.
चुनावी समीक्षा के मुताबिक़ बसपा को पहला झटका सुलतान पुर लोकसभा क्षेत्र में लगा जहाँ उसके लोकसभा उम्मीदवार चन्द्रभद्र सिंह उर्फ़ मोनू को बीजेपी उम्मीदवार मेनका गाँधी ने नजदीकी मुकाबले से हराया. मेनका गाँधी को जहाँ 45.9% मत मिले वहीँ बसपा के मोनू को 44.4% मत मिले जबकि कांग्रेस के संजय सिंह को 4.2% मत मिले. और मेनका ने कसमकश टक्कर देते हुए बसपा को पराजित कर दिया.
दूसरी सीट बदायूं लोकसभा क्षेत्र रहा जहां समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव काफी कम मतों से बीजेपी की संघमित्र मौर्या से चुनाव हार गये. धर्मेंद्र यादव समाजवादी पार्टी के युवा नेता है और बदायूं से दो बार सांसद रह चुके है. जबकि संघमित्रा मौर्य मंत्री स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी है. संघमित्रा को पांच लाख दस हजार वोट मिले तो सपा के धर्मेंद्र यादव को चार लाख अस्सी हजार वोट मिले जबकि कांग्रेस के सलीम इकबाल शेरवानी को वावन हजार वोट मिले और सपा के धर्मेंद्र यादव नजदीकी मुकाबले में चुनाव हार गये. इससे पहले मोदी लहर में भी जब सपा अकेले चुनाव लड़ी तब भी वो अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे तब भी सलीम इकबाल शेरवानी कांग्रेस उम्मीदवार थे.
BADAUN LOK SABHA ELECTIONS RESULTS: बदायूं लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम
तीसरी सीट धौहरेरा पर बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार अरसद इलियास सिद्दीकी बीजेपी उम्मीदवार रेखा वर्मा से नजदीकी मुकाबले में चुनाव हार गये. इस सीट पर रेखा वर्मा 48.2% वोट पाकर अपनी सीट बचाने में कामयाब रही तो वहीँ बसपा के अरसद 33.1% वोट पाकर दूसरे नम्बर पर रहे जबकि कांग्रेस के पूर्व मंत्री जितिन प्रसाद 15.3% वोट पाकर तीसरे नंबर पर रहे है. अगर यहाँ कांग्रेस उम्मीदवार नहीं होता तो बसपा के अरसद आसानी से चुनाव जीत जाते.
SULTANPUR LOK SABHA ELECTIONS RESULTS: सुल्तानपुर लोकसभा क्षेत्र का चुनाव परिणाम
चौथी सीट बाँदा पर समाजवादी पार्टी के श्यामा चरण गुप्ता चुनाव हार गये. उन्हें बीजेपी के आर के पटेल ने चुनाव हरा दिया. आर के पटेल को 46.2% मत मिले और जीत गए, वहीं श्यामा चरण को 40.5% मत मिले जबकि कांग्रेस के बाल कुमार पटेल 7.3% वोट पाकर तीसरे नम्बर पर रहे. बाल कुमार पटेल के चलते श्यामा चरण गुप्त चुनाव हार गये.
पांचवीं सीट बाराबंकी रही जहाँ बीजेपी के उम्मीदवार उपेन्द्र रावत ने समजवादी पार्टी के रामसागर रावत को हरा दिया यहाँ कांग्रेस के उम्मीदवार तनुज पुनिया के चलते रामसागर रावत चुनाव हार गये. इनके बीच के अंतर से दुगुने वोट तनुज पुनिया को मिले जिससे रामसागर चुनाव हार गये.
छठी सीट मेरठ और सातवीं सीट संतकबीर नगर रही, जहाँ बसपा के उम्मीदवार हाजी याकूब कुरैशी मेरठ में महज दस हजार के भीतर चुनाव चुनाव हार गये जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को बीस हजार के लगभग वोट मिले और बीजेपी के उम्मीदवार जीत गये. इसी तरह संतकबीर नगर लोकसभा से बीजेपी के प्रवीन निषाद ने नजदीकी मुकाबले बसपा के भीष्म शंकर तिवारी अपनी सीट गंवा बैठे जहां कांग्रेस के उम्मदीवार को मिले वोट से हार मिली.
इसी तरह और भी कई सीटें है जिन पर कांग्रेस के चलते सपा बसपा के उम्मीदवार हारे इनमें प्रमुखता फैजाबाद सीट भी रही, जहाँ बीजेपी के लल्लू सिंह 48.6% मत पाकर जीत गये. जबकि समाजवादी पार्टी आनंद सेन यादव 42.64% मत पाकर चुनाव हार गये जबकि कांग्रेस के निर्मल खत्री 4.9% मत पाकर चुनव हार गये. इसी तरह , सीतापुर , कैराना , भदोही और डुमरियागंज बस्ती समेत कई सीटें प्रभावित हुई. कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने कहा कि मेरा उद्देश्य बीजेपी को हराना है लेकिन यूपी में उन्होंने सपा बसपा का एक दर्जन सीटों पर सफाया करके बीजेपी को मजबूत करने का काम जरुर किया. इससे बीजेपी के लिए यूपी में बहुत आसान काम हुआ है.
बता दें कि लोकसभा चुनाव में विपक्षी नेता मोदी और शाह के चक्रव्यूह में इस तरह फंस गये थे जो न निकल पा रहे थे न घुस पा रहे थे. उलझ कर रह गये थे. गठबंधन खुद को साबित ही नहीं कर पाया कि हमारा नेता कौन होगा और जो हार का सबसे बड़ा कारण है वो राष्ट्रवाद है जिसका इन्होने खुले दिल से विरोध किया और भारत के हिन्दू धर्म की सभी जातियां बीजेपी के लिए लामबंद हो गई वो चाहे दलित मतदता रहा या यादव समुदाय का. केवल मुस्लिम वोटरों की बहुतायत की सीटें है यह दोनों पार्टियाँ जीत सकी जबकि यादव बाहुल्य कन्नौज , फिरोजाबाद समेत कई सीटें देखते देखते हार गई.