भ्रष्टाचार की बात पर अधिकारीयों को सस्पेंड करने वाली योगी सरकार विधायकों पर कब करेगी कार्यवाही!
अभी ताजा दो मामले सामने आये जिसमें एक महिला अधिकारी का विधायक के दबाब में मेरठ से तबादला कर दिया गया. जबकि एक महिला अधिकारी अमरोहा में अपनी जान को खतरा बता रही है और कह रही है कि ईमानदारीपूर्वक काम करना अब मुश्किल हो रहा है.
उत्तर प्रदेश में भ्रष्टाचार के कई केस लगातार खुलते नजर आ रहे है. लेकिन बड़ी ही दुर्भाग्य की बात है कि जो अधिकारी इस बात को बोलते है या उठाते है उनको तुरंत या तो हटा दिया जाता है पद से या फिर उन्हें सस्पेंड कर दिया जाता है.अभी ताजा दो मामले सामने आये जिसमें एक महिला अधिकारी का विधायक के दबाब में मेरठ से तबादला कर दिया गया. जबकि एक महिला अधिकारी अमरोहा में अपनी जान को खतरा बता रही है और कह रही है कि ईमानदारीपूर्वक काम करना अब मुश्किल हो रहा है.
अब इन अधिकारीयों के साथ प्रतापगढ़ के उप जिलाधिकारी विनीत उपाध्याय सिर्फ इस बात पर सस्पेंड हुए कि उन्होंने जिलाधिकारी के खिलाफ आवाज क्यों उठाई. जबकि सीनियर आईपीएस अधिकारी जसवीर सिंह होमगार्ड घोटाले को लेकर सस्पेंड हुए. उसके बाद आईपीएस वैभव कृष्ण भ्रष्टाचार उजागर करते करते खुद को सस्पेंड करा बैठे. एसे कई अनगिनत उदाहरण एडीजी के प्रमोशन से वंचित अमिताभ ठाकुर भी अखिलेश सरकार में बीजेपी के आइकोन बनने के बाद आज भी कहीं जिम्मेदार नियुक्ति नहीं पा सके.
अब इस क्रम में लगभग एक दर्जन से ज्यादा विधायक भ्रष्टाचार को लेकर लगातार शिकायत कर रहे है जिसमें योगी सरकार की खुद की भी किरिकिरी हो रही है. वहीं राजधानी के नजदीकी जिले के एक विधायक तो सरकार से शिकायत करके भ्रष्टाचार को बढ़ाने में अपनी पूरी उर्जा लगा रहे है. जिस अधिकारी ने उनके मन मुताबिक उनको उनका जेब खर्च नहीं दिया तो दुसरे दिन ही उसी अधिकारी के खिलाफ माननीय मुख्यमंत्री के नाम एक लेटर जारी कर दिया जाता है और उस लेटर को सोशल मिडिया में भी डाल दिया जाता है ताकि शिकायत के संज्ञान में आने से पहले अधिकारी दबाब में आकर उनकी बात मान लें.
अब इतनी बातें लगातार हो रही है तो इन विधायकों के खिलाफ भी क्या योगी सरकार कोई कदम उठाएगी या फिर अधिकारीयों पर अपना गुस्सा दिखाकर इतिश्री कर ली जाएगी. क्योंकि जिस तरह से मोदी और योगी सरकार लगातार भ्रष्टाचार पर जीरो टोलरेंस की बात कर रहे हों. उस समय लगातार सरकार पर यह आरोप कैसे लग रहे है.