EPF का लाभ से अनुदेशक और शिक्षा मित्रों को वंचित क्यों रखा?
जबकि कस्तूरबा गांधी के अनुदेशकों को मिल रहा है लाभ
उत्तर प्रदेश में अनुदेशक और शिक्षा मित्रों से सरकार का सौतेला व्यवहार के कारण नहीं पता चल पा रहा है। क्योंकि बीजेपी के युग पुरुष कहे जाने वाले हिन्दू हृदय सम्राट कल्याण सिंह ने अपने मुख्यमंत्री के कार्यकाल में शिक्षा मित्र का जन्म किया। फिर भी इन पर सपा समर्थक होने का आरोप लगा। इन सभी बातों के चलते इनका जीवन नारकीय जीवन बन गया जबकि सरकार के कर्मचारी चाहे नियमित हो या फिर संविदा कर्मी सभी उसके अपने होते है। यहीं से नहीं उससे पहले ही सौतेला व्यवहार होता रहा है।
शिक्षा मित्रों को आज epf का लाभ नहीं मिल सका जबकि इसको लेकर कई केस कोर्ट में भी चले तो कई अधिकारीयों ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को नोटिस भेजकर जबाब तलब किए जबकि कई जिलों में जुरमाना भी लगा। लेकिन किसी अधिकारी ने यह नहीं सोचा कि यह अल्प वेतन भोगी अगर इस दायरे में या जाएगा तो कम से कम इसके परिवार का जीवन सुरक्षित हो जाएगा। लेकिन जब कल्याण सिंह के बाद मायावती मुख्यमंत्री बनी तो उन्होंने भी नहीं सोचा उसके मुलायम सिंह ने इसलिए काम नहीं किया क्योंकि इनकी भर्ती कल्याण सिंह ने की थी।
उसके बाद बसपा की पूर्ण बहुमत की सरकार में भी मायावती ने कोई फायदा नहीं दिया। उसके बाद सपा के अखिलेश यादव की सरकार में इनको फायदा मिला जिसका नुकसान भी उसी समय हो गया जबकि बीजेपी ने सरकार में आने से पहले इनके नियमित किए जाने की बात कही थी और पीएम मोदी ने इनसे वादा किया था लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात रहा है।
यही हाल अखिलेश सरकार में नियुक्त किए गए अनुदेशकों के साथ हुआ इनसे वायदा हुआ तो इनके वेतन को कम जरूर कर दिया गया। कोर्ट केस जीतने के बाद भी सरकार इनका शोषण कर रही है। न तो इनका बढ़ा हुआ वेतन दे रही है न ही इनको ईपीएफ जैसी योजनाओ से जोड़ रही है। अब आखिर 9000 हजार के वेतन में इनका भविष्य कैसे सुरक्षित होगा समझ नहीं आ रहा है। अनुदेशक में महिला अनुदेशक ज्यादा है मोदी का नारा सबका साथ सबका विकास और महिला ससक्तीकरण भी काम नहीं आ रहा है।
अनुदेशक शिक्षा मित्र उत्तर प्रदेश में हर दल की सरकार में ठगा गया है। अब लगता है किस दल की सरकार में इनका भला होगा कहा नहीं जा सकता। बीजेपी ने भी इनका चार चुनाव में अब तक प्रयोग किया है। पांचवां चुनाव लोकसभा का तैयार है अगर अनुदेशक शिक्षा मित्रों ने अपने एक होने का संदेश अगर समय रहते सरकार को दे दिया तो निश्चित तौर पर मंग मांगी मुराद मिल सकती है।
वहीं हम इन शिक्षा मित्रों और अनुददेशकों को लेकर यूपी की योगी सरकार को इन्हे ईपीएफ योजना में जरूर ले लेना चाहिए ताकि इनका परिवार सुरक्षित रहे अब तक जीतने अनुदेशक और शिक्षा मित्र मौत के मुंह में समा गए उनके परिवार बेसहारा रह गए। अगर इस योजना मने उनका नाम होता तो कम सेकम 7 लाख रुपये राहत राशि और परिवार को मिनिमम पेंशन जरूर मिलती रहती। अगर सरकार इनका भला चाहती है तो अनुदेशकों के लिए ट्रांसफर , 100 बच्चों की बाध्यता , रिनुवल समेत न्यूनतम वेतनमान 25000 हजार दे देना चाहिए और शिक्षा मित्रों को भी इसी वेतन मान का लाभ दे देना चाहिए ।