बीएड के प्राथमिक शिक्षा के बाहर होने से क्या शिक्षा मित्रों का समायोजन करेगी सरकार?
शिक्षा मित्रों के दुखड़े को कब दूर करेगी सरकार
उत्तर प्रदेश में डेढ़ लाख शिक्षा मित्र जब से नियमित होने के बाद पुनः मूल पद पर वापस भेजा है। तब से खस्ताहाल जिंदगी जी रहा है। जबकि सरकार लगातार उसकी मखौल यह कहकर उड़ाती है कि सरकार ने उसके 3500 रुपये 10000 हजार रुपये किए। कभी सरकार ने यह नहीं कहा कि जब हम सत्ता में आए तब शिक्षा मित्र सहायक अध्यापक के पद पर तैनात था और 40000 हजार रुपये वेतन पाता था। जिसको हमने कोर्ट के आदेश के मुताबिक हटाया और वेतन 10000 हजार किया।
अब क्या सरकार बीएड को प्राथमिक शिक्षा से बाहर करने पर शिक्षा मित्रों का फिर से समायोजन करके बेसिक शिक्षा विभाग में शिक्षकों की कमी को पूरा करेगा। इस बाबत सरकार को अपना मंसूबा साफ करना चाहिए ताकि प्रदेश में लगातार मौत के मुंह में जा रहे शिक्षा मित्रों की मौत रुक सके।
rको बरसात का इंतजार बड़ी बेसब्री से होता है। शिक्षा मित्र अब पूरी तरह से टूट चुका है अब तो कोई उससे कहे भी कि तुम्हारे बारे में सरकार सोच रही है तो उसे मजाक लगता है।
हाँ सरकार चाहे तो इनका समायोजन किया जा सकता है। कोर्ट ने तब जो सवाल किए थे उनके बारे में ठोस रणनीति तैयार करके उन कमियों को पूरा करके शिक्षा मित्र पुनः समायोजन उनके उसी पद पर समायोजन किया जा सकता है जिस पर वो एक बार काम कर चुके है। इसको लेकर सरकार को अपनी मंशा काम करने की बनानी होगी।
शिक्षा मित्रों पर बीजेपी विरोधी होने का आरोप लगता है जो बिल्कुल निराधार है। शिक्षा मित्र लगातार सरकार के पक्ष में मतदान करता आ रहा है, उसके बाद भी उसके ऊपर ये आरोप लगता है। जब पूरे प्रदेश में सभी वोट देने वाले व्यक्ति हिन्दू के नाम पर वोट कर रहे है तो क्या शिक्षा मित्र हिन्दू नहीं बना होगा।
उसके बाद सरकार का कर्मचारी सरकार का होता है वो किसी भी दल और राजनैतिक पार्टी का कारिंदा नहीं होता है मानते कुछ लोग इसका अपवाद भी होते है। तो एसे लोग सरकार के साथ भी खड़े दिखते है। लिहाजा सरकार को इनकी परेशानी को देखते हुए अब इनको नियमित किए जाने के लिए ठोस कदम उठाने चाहिए। सरकार से पिछले छ वर्षों ने शिक्षा मित्र यही मांग करता आ रहा है सरकार अब इनकी अबिलंब मांग को पूरा करे।
शिक्षा मित्रों के मानदेय पर भी शिक्षा मित्र हमेशा चर्चा में रहते है जबकि नियमित शिक्षकों को वेतन समय से आ जाता है। जबकि जिनको कम वेतन मिलता है उनको हमेशा समय से नहीं मिलता है। इसको लेकर भी शिक्षा मित्र बेहद परेशान रहता है, अब शिक्षा मित्रों का कहना है कि बच्चे जवान हो रहे है बेटियों की शादी करनी है। इस मानदेय पर तो बेंक भी कर्ज देने को तैयार नहीं है।