Moradabad riot report मुरादाबाद दंगा रिपोर्ट: योगी ने 43 साल बाद उजागर करवाई रिपोर्ट

मुरादाबाद दंगा चार दशक पहले हुई हिंसा का सच आया सामने कई सरकारें आई नहीं लेकिन किसी ने भी इसमें रुचि नहीं दिखाई

Update: 2023-08-09 03:19 GMT

 लखनऊ: कई मुख्यमंत्री आए गए यहां तक की बीजेपी के भी कई मुख्यमंत्री रहे लेकिन मुरादाबाद में 45 साल पहले हुए दंगे की रिपोर्ट को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने न केवल मुरादाबाद की डीएम एसपी से कह कर ढूढंवाया बल्कि कैबिनेट की मंजूरी देते हुए इस रिपोर्ट के सभी तथ्यों को उजागर किया। मंगलवार को विधानसभा में जारी रिपोर्ट में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रिपोर्ट के विलंब से आने का कारण भी बताया। 

इस जांच रिपोर्ट में कहा गया कि 1986 1987 1989 1990 1992 1994 1995 2000 2002 2004 2005 को यह कैबिनेट में रखने के लिए मुख्यमंत्री के समक्ष पेश हुई। लेकिन मुख्यमंत्री ने सांप्रदायिक स्थिति, रिपोर्ट के प्रकाशन के प्रभाव और कई कारणों से उच्च स्तर पर रिपोर्ट को लंबित रखने का निर्णय लिया। रिपोर्ट को कैबिनेट का अनुमोदन नहीं मिला बाद में किन्हीं कारणों बस संबंधित पत्रावली से जांच रिपोर्ट से अलग हो गई। आश्वासन की पूर्ति के लिए रिपोर्ट खोजी गई लेकिन वह पत्रावली पर नहीं मिली। रिपोर्ट की खोज के लिए मुरादाबाद के डीएम एसएसपी से कहा गया लेकिन कामयाबी नहीं मिली। भाषा विभाग ब पुस्तकालय में भी खोज कराई गई। लेकिन रिपोर्ट नहीं मिली। बाद में यहअनुभाग के रजिस्टर में पाई गई, इस रिपोर्ट को कैबिनेट से 12 मई 2023 को मंजूर कराया गया और इस कारण इसे सदन के पटल में रखे जाने का विलंब हुआ। 

रिपोर्ट में दिए गए सुझाव 

- सांप्रदायिक रूप से संवेदन सील क्षेत्र में गड़बड़ी पैदा करने वाले लोगों और पैसे पर अपराधियों की गतिविधियों पर रोक लगनी चाहिए

- सरकार को दोनों समुदायों के संख्या के कर्म को दूर करना चाहिए ताकि गलतफहमी ना रहे

- जब दंगा हो तो लाडो स्पीकर के जरिए सही तथ्यों की घोषणा कर अफवाहों का खंडन किया जाए क्योंकि प्रत्यक्षदर्शी होने का दावा करने वाले भयावह वह वर्णन करते हैं

- अवैध हथियार बनाने में रखने वालों की नियमित जांच की जाए दंगे के कारण उत्पन्न होने वाले मामलों कनाडा कोर्ट में होना चाहिए

इस तरह बनता गया दंगों के लिए माहौल

डॉ शमीम अहमद की महत्वाकांक्षा बहुत ऊंची थी। यूपी में मुस्लिम लीग को उन्होंने पुनर्जीवित किया था। उन्होंने 1971 के मध्यावधि चुनाव में लड़ा था। उस समय भी उन्होंने सांप्रदायिक उपद्रव भड़काने का प्रयास किया था लेकिन वह हार गए। उन्होंने फिर 1974 के विधानसभा के लिए चुनाव लड़ा लेकिन भी फिर हार गये थे।  1980 के मध्यवर्ती चुनाव में उन्हें मुस्लिम लीग का टिकट मिल गया था तो शमीम अहमद ने मुस्लिम वोटो के सांप्रदायिक विद्वेष बढ़ाना शुरू कर दिया और एक घायल गाय बाजार में छोड़ दी गई। बाल्मिक समाज की एक लड़की का अपहरण व बलात्कार हुआ बाद में उसकी शादी के वक्त जा रही बारात पर हमला किया गया है इसके बाद मुसलमान बाल्मीकियों के बीच दंगा हो गया। 

जांच आयोग के निष्कर्ष

आयोग ने माना ईद वाले दिन पुलिस अधिकारियों ने पूरी तरह सावधानी बरती थी। ईदगाह पर गोली चलाई गई जब बाहर रहने वालों के जीवन पर संकट आ गया।  गोली केवल आत्मरक्षा के लिए चलाई गई इस तथ्य के बावजूद दंगाइयों ने हिंदुओं अधिकारियों और पुलिस बल पर विवेकपूर्ण ढंग से हमला किया साथ ही उनके हथियार तथा गोली बारूद छीन कर उत्तेजना फैलाई। जरूरत के हिसाब से पर्याप्त बल प्रयोग किया गया यदि उन्होंने इस प्रकार की कार्रवाई न की होती तो शहर में पूर्णतया अव्यवस्था फैल जाती और जन जीवन और संपत्ति का अपार नुकसान होता अधिकतर लोगों की मौत भगदड़ के कारण हुई थी। 

रिपोर्ट की खास बातें

- मुरादाबाद के ईदगाह बर्फ खाना पुलिस चौकी गल शहीद, पुलिस चौकी फैजगंज चौराहा, तहसील स्कूल चौराहा, नागफनी मोहल्ला, नवापुर मोहल्ला, किसरोल, कोतवाली ,गंज बाजार मोहल्ला, बरवाला,दौलत बाग कंबल का ताजिया में दंगा हुआ। 

- दंगा के वक्त मुरादाबाद के डीएम एसपी आर्य, एसपी बी एन सिंह, अपर पुलिस अधीक्षक बीबी दास, सीओ प्रथम ए के मिश्रा, अपर जिला मजिस्ट्रेट बीएसआर यादव थे।  पुलिस पीएसी ने अपने अधिकारियों के निर्देश पर काम किया। 

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