यूपी के इन दो और शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली की तैयारी में योगी सरकार

Update: 2021-08-14 06:37 GMT

अवनीश विद्यार्थी 

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विधानसभा चुनाव से पहले 2 और शहरों में पुलिस आयुक्त प्रणाली (Police Commissionerate System) लागू कर सकती है। 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में यह सिस्टम लागू करने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मंशा को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने प्रदेश के 4 शहरों में इस सिस्टम को लेकर समीक्षा के निर्देश दिए थे। प्रधानमंत्री ने हाल ही में एक कार्यक्रम में पुलिस आयुक्त प्रणाली को लेकर चल रहे प्रयासों की सराहना करते हुए इसे शहरी क़ानून व्यवस्था को लेकर आवश्यक बताया था ।

सीएम योगी के निर्देश पर हाल ही में अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी और डीजीपी मुकुल गोयल ने मौजूदा पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम वाले शहरों लखनऊ, नोएडा, वाराणसी और कानपुर की समीक्षा की है । इसके बाद से डीजीपी मुकुल गोयल खुद बारी-बारी से इन शहरों की समीक्षा कर रहे हैं। यहां से मिल रहे पॉजिटिव रिजल्ट्स को देखते हुए गाजियाबाद, प्रयागराज, आगरा और मेरठ में भी इस सिस्टम को लागू करने पर विचार किया जा रहा है। माना जा रहा है कि यूपी विधानसभा चुनाव से पहले इनमें से कम से कम 2 शहरों में यह सिस्टम लागू हो जाएगा।

गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार, पुलिस आयुक्त प्रणाली गाजियाबाद में लागू करना लगभग तय माना जा रहा है। इसका मुख्य कारण शहर का एनसीआर का क्षेत्र होना है। दिल्ली और इसके आसपास के अन्य राज्यों के सभी प्रमुख शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू है। केवल गाजियाबाद में यह नही है और अब इस सिस्टम की यहां मांग की जा रही है। हाईकोर्ट की उपस्थिति , आबादी के लिहाज से बड़े शहर प्रयागराज में भी इस सिस्टम की जरूरत बताई जा रही है। इसी तरह मेरठ और आगरा शहर भी आबादी के हिसाब से बड़े शहरे हैं। लेकिन गाजियाबाद और प्रयागराज में इस प्रणाली की खासी आवश्यकता महसूस की जा रही है।

प्रणाली को लेकर गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश के जिन चार शहरों में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम लागू हुआ है, वहां पुलिस के बारे में लोगों की धारणा में बदलाव आया है। अपराध में भी कमी आई है। इसका सबसे बड़ा असर कार्रवाई पर पड़ा है। लोगों की सुनवाई के लिए अधिकारियों की संख्या बढ़ गई है। अधिकारियों द्वारा एक-एक चीज पर मॉनिटरिंग की जा रही है। आम जन से संबंधित मामलों के निस्तारण में भी तेजी देखने को मिली है। वहीं, निचले स्तर पर जवाबदेही तय की जा रही है।

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