उत्तर प्रदेश में तबादला कारोबार का सच सामने आ रहा है। अभी उत्तर प्रदेश के जलशक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटिक ने अपनी व्यथा सुनाकर गृह मंत्री अमित शाह को बताकर इस्तीफ़ा दिया। लेकिन सवाल यह है कि गृह मंत्री इस इस्तीफे का करेंगे क्या? क्योंकि इस्तीफा तो योगी आदित्यनाथ स्वीकार करेंगे। तो इसका मतलब दिनेश खटीक योगी आदित्यनाथ पर दबाब बना कर राजनीत का खेल खेल रहे है।
तबादलों को लेकर नाराज चल रहे जलशक्ति विभाग के राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफे की खबर ने मंगलवार रात सत्ता के गलियारों में हलचल मचा दी। खटीक का आरोप है कि जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह ने उनकी संस्तुति पर एक भी तबादला नहीं किया। खटीक से संपर्क करने पर उनका मोबाइल बंद था। सूत्रों के मुताबिक वह सरकार के सौ दिन पूरे होने के बाद भी कामकाज न मिलने से नाराज थे।
मेरठ में जल शक्ति राज्यमंत्री दिनेश खटीक के इस्तीफा देने और एस्कॉर्ट वापस करने की चर्चा मंगलवार रात तेजी से फैल गई। हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब उन्होंने सुरक्षा के लिए लगाई गई पुलिस की एस्कॉर्ट को वापस भेजा है। पिछले महीने ही उन्होंने पुलिसवालों पर मुकदमा दर्ज करने को लेकर हुए टकराव के बाद इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी और एस्कॉर्ट को वापस भेज दिया था।
चार जून 2022 को गंगानगर में टेंट व्यापारी कोमल कुमार के साथ मारपीट हुई थी, जिसमें सिपाही आकाश और विकास पर कार्रवाई नहीं की जा रही थी, जिस पर राज्यमंत्री दिनेश खटीक ने थाने में पहुंचकर मुकदमा दर्ज कराने की मांग की थी। इसी को लेकर मंत्री और इंस्पेक्टर में नोकझोंक भी हुई थी।
पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई नहीं होने से क्षुब्ध होकर दिनेश खटीक ने इस्तीफा देने के लिए प्रेस वार्ता भी बुला ली थी। बाद में अफसरों ने बातचीत कर मामला शांत किया था। उस समय मंत्री की नाराजगी दूर कर टेंट व्यापारी की तहरीर पर दो सिपाहियों पर लूट, मारपीट और एससी-एसटी एक्ट में मुकदमा दर्ज कर लिया गया था। हालांकि सिपाहियों की तरफ से भी टेंट व्यापारी पर डकैती का मुकदमा पुलिस ने दर्ज किया था।
भाजपा की प्रदेश इकाई ने भी मांगी थी मामले की रिपोर्ट
भाजपा की प्रदेश इकाई ने क्षेत्रीय इकाई से इस संबंध में रिपोर्ट तलब की थी। दिनेश खटीक ने ट्वीट भी किए थे कि पुलिस सरकार को फेल करने में जुटी है। कहा था कि थानों में वसूली और उत्पीड़न चल रहा है। न्याय नहीं है।
दिनेश खटीक का पुलिस और प्रशासन से टकराव का रिश्ता पुराना रहा है। पिछले कार्यकाल में भी कार्यकर्ताओं की पैरवी करते हए उनके कई ऑडियो वायरल हुए थे, लेकिन संगठन का भरोसा उन पर बना रहा।
देखिए इस्तीफे का पत्र